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Pakistan Train Hijack: जाफर एक्सप्रेस में कैसे चला था खूनी खेल? बचाए गए बंधकों ने सुनाई खौफनाक मंजर की आपबीती

पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक के बाद जिंदा बचे लोगों ने मीडिया को बताया कि उस खौफनाक मंजर के दौरान उन पर क्या-क्या गुजर रही थी. 

Pakistan Train Hijack: जाफर एक्सप्रेस में कैसे चला था खूनी खेल? बचाए गए बंधकों ने सुनाई खौफनाक मंजर की आपबीती
Shariqul Hoda|Updated: Mar 14, 2025, 04:13 PM IST
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Balochistan Train Hijack: पाकिस्तान के बलूचिस्तान जो ट्रेन हाईजैक की खबर आई, उसने पूरी दुनिया को हैरान करके रख दिया, 11 मार्च 2024 को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर घात लगाकर हमला कर दिया था. गुडलार और पीरू कुनरी के सुदूर इलाके में इस वारदात को अंजाम दिया गया. ट्रेन में तकरीबन 440 मुसाफिर मौजूद थे.

कई लोगों की गई जानें
इस हाईजैक में करीब 20 पैसेंजर्स और पाकिस्तानी आर्मी के कई सैनिकों की जानें गईं थीं. दूसरी तरफ पाक सेना ने दावा किया है कि उन्होंने 33 विद्रोहियों को मार गिराया. वहीं आतंकियों की कैद से आजाद हुए चश्मदीदों खौफनाक मंजर को याद किया और अपनी आपबीती सुनाई

चश्मदीद ने सुनाई आपबीती
13 मार्च को एक चश्मदीद अर्सलान यूसुफ ने रॉयटर्स को बताया कि विद्रोहियों ने पहले ट्रेन के ट्रैक में ब्लास्ट किया था. हमलावर बंदूखों, रॉकेट लॉन्चर और दूसरे हथियारों से लैस थे. वो मुसाफिरों पर गोलियां चलाने लगे. विद्रोही हर किसी से उसकी पहचान पूछने लगे और सभी को अलग-अलग ग्रुप्स में बांटने लगे. 

यूसुफ ने आगे बताया कि बीएलए के विद्रोही कुछ सैनिकों को पकड़कर जान से मार देते थे. वो खास लोगों को टारगेट करते थे, जो कोई विरोध करता, उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था. एक दूसरे मुसाफिर मोहम्मद तनवीर ने कहा कि कई लोग इस दौरा सिर्फ पानी पीकर अपनी जिंदगी बचा रहे थे.

नाउम्मीद हो गए थे लोग

जाफर एक्सप्रेस के ड्राइवर अमजद ने बताया कि आतंकियों ने ट्रेन की खिड़कियों को तोड़ा और ट्रेक के अंदर दाखिल हो गए, उन्हें लगा कि हम मर चुके हैं. अमजद ने आगे बता कि जब फायरिंग शुरू हुई तो वो लोग इंजन के फर्श पर छिप गए, तकरीबन 27 घंटे तक वो वहीं मौजूद रहे. इस हाइजैक के दौरान 31 साल के महबूब अहमद को कई गोलियां लगीं. उन्होंने कहा कि काफी लोग ट्रेन से भागने लगे जिसमें कुछ कामयाब भी रहे, हालांकि उनमें से ज्यादातर को गोलियों से भून डाला गया है, काफी लोग बचने की उम्मीद खो चुके थे.

थम गई थीं सांसे
वहां मौजूद एक और यात्री इशाक नूर ने बताया कि वो और उनके साथ मौजूद लोग अपनी सांसे रोके हुई थे, उन्हें ये पता नहीं था कि आगे क्या होने वाला है. मोहम्मद नूर ने बताया कि जब एक घंटे बाद फायरिंग बंद हुई तो विद्रोहियों ने जबरदस्ती ट्रेन का दरवाजा खोला और अंदर दाखिल हो गए.  आतंकियों ने धमकाते हुए कहा कि ट्रेन से बाहर निकलो नहीं तो जान से हाथ धो बैठोगे. मोहम्मद नूर ने विद्रोहियों से कहा कि उनकी बीवी अभी भी ट्रेन के अंदर मौजूद है तो उन्हें भी बाहर निकाल लिया गया. लोगों को चेतावनी दी गई ही कि ट्रेन से उतरकर सीधे चलते रहें और पीछे मुड़कर न देखें.

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