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SCO समिट में पाकिस्तान कश्मीर पर तो चीन लद्दाख पर रोया! जयशंकर ने भी उसी मंच से सुनाई खरी-खरी

jammu kashmir article 370: पाकिस्तान में एससीओ समिट में एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठा. वहीं चीन ने लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने पर आपत्ति जताई. दोनों ही मुल्कों ने जिस मंच पर ये आवाज उठाई, उसी मंच से जयशंकर ने दो टूक भारत की बात रखकर स्वदेश वापसी कर ली. 

sco summit
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Rahul Vishwakarma|Updated: Oct 16, 2024, 11:18 PM IST
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SCO summit in pakistan: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे 5 साल हो गए, लेकिन पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन अब तक उसी गम में डूबे हुए हैं. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में दोनों ही मुल्कों ने कश्मीर का जिक्र करते हुए 370 हटाने को भारत का एकतरफा एक्शन बताया. चीन ने इस मुद्दे पर अपनी टांग अड़ाते हुए कहा कि ये मसला द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार हल होना चाहिए. वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर उसी मंच से उन्हें खरी-खरी सुनाकर स्वदेश रवाना हो गए. 

चीन के प्रधानमंत्री ली बुधवार को संपन्न हुए SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में थे. वह चीनी नागरिकों पर आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच पाकिस्तान के नागरिक और सैन्य नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता और बैठकें करने के लिए इस्लामाबाद जल्द पहुंच गए थे. ली ने चीन द्वारा निर्मित ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी उद्घाटन किया. ग्यारह वर्षों में किसी चीनी प्रधानमंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा है. उनकी यह यात्रा 60 अरब अमेरिकी डॉलर की सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत कई परियोजनाओं में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर बलूचों द्वारा बार-बार किए जा रहे हमलों को लेकर बीजिंग में बढ़ती चिंताओं के बीच हुई. 

चीन-पाकिस्तान के ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सभी लंबित विवादों के समाधान की आवश्यकता तथा किसी भी एकतरफा कार्रवाई का विरोध करने की बात दोहराई. इस दौरान पाकिस्तान के याद दिलाने पर चीन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विवाद पुराना है. इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए. 

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ज्वाइंट स्टेटमेंट में सीधे तौर पर तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन पाकिस्तान ने उस कदम का विरोध किया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया. 

उधर चीन ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता कमजोर हुई है. ली की पाकिस्तान यात्रा, बीएलए (बलूच लिबरेशन आर्मी) के सदस्यों द्वारा चीनी काफिले पर किए गए आत्मघाती हमले के तत्काल बाद हुई है, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि पाकिस्तान में बार-बार हो रहे आतंकवादी हमले और मौजूदा राजनीतिक अराजकता द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं और उनके बीच अटूट दोस्ती है. प्रधानमंत्री ली कियांग ने पाकिस्तान सरकार, संसद और सैन्य नेतृत्व के साथ व्यापक और गहन बातचीत की, जिसके 'सकारात्मक परिणाम' सामने आए. 

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उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती समय के साथ और भी मजबूत होती गई है. प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने दोहराया कि वह चीन-पाकिस्तान संबंधों को चीन की कूटनीति में प्राथमिकता देगा, जो संयुक्त वक्तव्य का भी हिस्सा है. माओ ने कहा कि इस्लामाबाद ने इस बात पर जोर दिया कि चीन के साथ संबंध पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला है और चीन के साथ दोस्ती पाकिस्तानी समाज के सभी क्षेत्रों में उच्च स्तर की आम सहमति है. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन, सीपीईसी परियोजनाओं में काम कर रहे सैकड़ों चीनी कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करेगा, माओ ने कहा कि ली की यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने सुरक्षा निवेश को बढ़ाने, सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और पाकिस्तान में चीनी कर्मियों, परियोजनाओं और संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया है. 

वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सम्मेलन में कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड पहल और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे जैसे प्रयासों का विस्तार किया जाना चाहिए. भारत ने चीन की एकतरफा पहल के प्रति खास उत्साह नहीं दिखाया है. उसने चीन-पाकिस्तान गलियारे की कई बार आलोचना करते हुए कहा है कि यह उसकी क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है क्योंकि इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है. शरीफ ने भारत के रुख पर कहा कि हमें ऐसी परियोजनाओं को संकीर्ण राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपनी सामूहिक संपर्क क्षमताओं में निवेश करना चाहिए जो आर्थिक रूप से एकीकृत क्षेत्र के साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं. 

इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि व्यापार और संपर्क पहलों में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए और भरोसे की कमी पर  ईमानदारी से बातचीत करना आवश्यक है. एससीओ में चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं. 

(भाषा इनपुट के साथ)

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