Indus Sutlej River: भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तान के साथ साल 1960 में हुई सिंधु जल संधि समाप्त कर दिया. इसके तहत अब पाकिस्तान के पास सिंधु का पानी नहीं जा पाएगा. इससे पाकिस्तान को लंबे समय तक काफी नुकसान होने वाला है, लेकिन चीन के दखल से पाकिस्तान के इस नुकसान की भरपाई हो सकती है. वहीं इससे भारत को नुकसान भी पहुंच सकता है. ऐसा क्यों चलिए जानते हैं.
तिब्बत से निकलती हैं दोनों नदियां
दरअसल सिंधु और सतलुज नदियां भारत से नहीं बल्कि तिब्बत से होकर निकलती हैं. तिब्बत इस वक्त चीन के कब्जे में है. वहीं ये नदियां हिमालय की ऊंचाई के ग्लेशियर्स से निकलती हैं, जिसमें सिंधु नदी तिब्बत में उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बहती है. इसके बाद यह भारत के लद्दाख में प्रवेश करती है. वहीं सतलुज नदी तिब्बत से शुरू होकर सीधा हिमाचल प्रदेश में प्रवेश लेती है. ऐसे में अगर चीन इसे कंट्रोल करता है तो इसका क्या असर होगा? क्या चीन भारत के लिए पानी बंद कर सकता है?
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भारत के लिए पानी रोक सकता है चीन?
जी हां, चीन तकनीकी रूप से सिंधु और सतलुज नदी का पानी रोक सकता है. दोनों नदियों के तिब्बत से बहने के कारण ऐसा संभव है. चीन ने जहां से सिंधु नदी शुरू होती है उस इलाके पर त्संगपो और नगरी शिक्वान्हे जैसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट्स बनाए हैं. ये जल प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं. इसके अलावा चीन की ओर से सतलुज पर जदा गॉर्ज में एक बैराज बनाया गया है. यहां पर उसने हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स भी शुरु किए हैं. चीन इन बांधों के जरिए दोनों नदियों के पानी के प्रवाह को कम करने के साथ ही उसे रोकने या इनका रुख बदलने की क्षमता रखता है.
चीन-भारत समझौता
पाकिस्तान चीन के साथ नजदीकी के कारण सिंधु जल को लेकर मदद मांग सकता है. पानी रोकना अंतरराष्ट्रीय जल कानूनों का उल्लंघन माना जाता है. ऐसा करने पर चीन को आलोचनाएं झेलने पड़ सकती है. वहीं भारत-चीन के बीच बाढ़ के मौसम में हाइड्रोलॉजिकल डाटा शेयर करने के समझौते थे, जो साल 2023 में समाप्त हो गए थे, हालांकि इसके बावजूद चीन ने सतलुज का डाटा दिया था. वहीं भारत-चीन के बीट ऑफीशियली कोई जल बंटावारा संधि नहीं है. ऐसे में पानी को लेकर चीन के पास ज्यादा आजादी है.