Pakistan Economic Crisis Latest News: ट्रंप के टैरिफ बम ने पाकिस्तानियों को झकझोर दिया है. पहले ही पाकिस्तान में रोटी-बोटी के लाले पड़े थे और मुल्क कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था. वो तो गनीमत है कि पाकिस्तान में लाखों की तादाद में गधे मौजूद है, जो जिन्नालैंड का वजूद बचाए हुए हैं. बस इसी के चलते पाकिस्तानी अपनी किस्मत पर रो रहे हैं. और मुल्क की लाचारी-बेबसी के लिए अपने बाप-दादाओं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
गधों ने बचाई पाकिस्तान की इकोनॉमी
अपनी पैदाइश के वक्त से ही पाकिस्तान सिर्फ मुश्किलों से ही तो गुजरा है. इस मुश्किल वक्त में गधों को ही अपना बाप बनाता रहा है. आज की तारीख में पाकिस्तान का वजूद अगर बचा है तो वो सिर्फ गधों के चलते.
अपने देश की हालत पर तंज कसते हुए पाकिस्तान की पत्रकार आरजू काजमी कहती हैं, 'गधों की आबादी एक बार फिर पाकिस्तान में ज्यादा हो गई है. इसमें हमें हैरान होने की जरूरत नहीं है. ना परेशान होने की जरूरत है क्योंकि ये जो हम एक्सट्रा गधे निकाल रहे हैं. वो हम भेज देंगे जी चाइना और चाइना वालों को तो वैसे भी गधे पसंद है. तभी तो वो हमसे इतना प्यार करते हैं.'
अपने दादा-परदादाओं को कोस रहे लोग
हमारा मकसद गधा लैंड की वाहवाही करना नहीं बल्कि उनकी गधा मजबूरी को उजागर करना है. क्या आप जानते हैं कि अब खुलेआम पाकिस्तानी भी इस बात को कबूल कर रहे हैं कि...अगर पाकिस्तान बेबस-लाचार-खस्ताहाल हुआ है. अगर गधे पर पाकिस्तान का वजूद टिका है तो उसके जिम्मेदार पाकिस्तान के हुक्मरान नहीं बल्कि पाकिस्तानियों के बाप-दादा है. आखिर क्यों, ये भी जान लीजिए.
वायरल वीडियो में एक पाकिस्तानी कहता है, अगर हम गरीब है ना तो इसके जिम्मेदार है हमारे दादे-परदादे. उनका ध्यान था सिर्फ बच्चों पर. बच्चे पर बच्चे, बच्चे पर बच्चे. यार इतने बच्चे पैदा कर दिए कि पाकिस्तान की आबादी 26 करोड़ पहुंच गयी है.
देश में आटे-दाल का अभाव
अब सवाल है कि क्या पाकिस्तानियों को अपने मौलाना-मौलवियों की बात याद नहीं आती. जो खुल्लेआम 4 शादिय़ां करने और धड़ल्ले से दर्जनों बच्चे पैदा करने की नसीहत देते रहते हैं. उन्हीं मौलानाओं की बातों में आकर पाकिस्तानियों ने जमकर शादियां की और फिर बच्चों की फौज खड़ी कर दी. लेकिन उन बच्चों को खिलाने की बात आयी तो खुदा पर सबकुछ छोड़ दिया. आज यहीं वजह है कि पाकिस्तान की अवाम को खाने के लाले-पड़े हैं. भीख मांगकर शहबाज मुल्क का पेट भर रहे हैं.
दरअसल, पाकिस्तान की आबाद धुआंधार तरीके से बढ़ रही है. जबकि हकीकत ये है कि पाकिस्तान के पास खाने को आटा नहीं है. जानते हैं, इसकी बड़ी वजह खुद पाकिस्तानी है. जो पढ़ने-लिखने की बजाय...मौलाना-मौलवियों के चक्कर में पड़े रहते हैं. उन्हीं की बातों पर आंख मुंद कर यकीन करते हैं...बस इसी जाहिलपन का फायदा पाकिस्तानी हुक्मरान उठाते हैं.
क्या अंत की ओर बढ़ रहा पाकिस्तान?
हालात तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर अब भी पाकिस्तान नहीं संभला. उसने अपनी जहरीली सोच को खत्म नहीं किया और अपने आपको मौलाना-मौलवियों से नहीं बचाया तो पाकिस्तान कयामत वाले दिन नहीं बल्कि उससे पहले ही आजाद हो जाएगा. वो भी दुनिया के नक्शे से.