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भारत, रूस-चीन के साथ मनाएगा WW-II खत्म होने की एनिवर्सरी? इतिहासकार के बयान पर बवाल!

PM Modi China visit: एशियाई दिग्गजों के बीच संबंधों में आई खटास और मिठास की खबरों के बीच जियोपॉलिटिक्स के जानकार इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सितंबर में चीन दौरे पर जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए. 

भारत, रूस-चीन के साथ मनाएगा WW-II खत्म होने की एनिवर्सरी? इतिहासकार के बयान पर बवाल!
Shwetank Ratnamber|Updated: Aug 03, 2025, 04:59 PM IST
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Will PM Modi attend China’s Victory Day parade: भारत-चीन के बीच कभी अच्छे संबंध नहीं रहे. चालबाज 'ड्रैगन' ने भारत को कई बार डंसने की कोशिश की. खासकर आजादी के फौरन बाद से उसका एजेंडा भारत के लिए ठीक नहीं रहा. पीएम मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं के मुताबिक अंग्रेजों की हुकूमत खत्म होने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चीन से बेहद करीबी भाईचारे वाला रिश्ता रखते थे, वहीं दूसरी ओर चीनियों ने उसी दौरान नेहरू की नाक के नीचे भारत की पीठ में छुरा घोंप कर 1962 में देश पर हमला कर दिया. पहले प्राइम मिनिस्टर का बड़ा फेमस डॉयलाग था- 'हिंदी-चीनी भाई-भाई'. वहीं चीन को यूएन में स्थाई सीट देने का मामला हो या कुछ और हमेशा उन्होंने चीन पर ब्लाइंड फेथ किया और उस दौर की नीतियों की कीमत पूरे देश ने चुकाई.

'चीन भारत की जमीन हड़पना चाहता है लेकिन आज भारत न्यूक्लियर स्टेट है'

चीन, आज भी भारत के अरुणाचल और नॉर्थ-ईस्ट के अन्य हिस्सों की जमीन पर कब्जा करने की बुरी नीयत रखता है, लेकिन आज का हिंदुस्तान परमाणु शक्ति से लैस भारत है, इसलिए गलवान में चीनी सैनिकों के गुस्ताखी करने पर उन्हें वहीं पटककर मारता है. पड़ोसी चीन के साथ 78 साल की कड़वाहट भरे रिश्तों के बीच आज भारत की सेना दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना और भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवी बड़ी इकॉनमी है.

भारत, रूस-चीन के साथ मिलकर मनाएगा दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं एनिवर्सरी?

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-चीन रिश्तों की इस लंबी और कड़वी प्रष्ठभूमि के बीच एक इतिहासकार ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सितंबर में चीन की विजय दिवस परेड में शामिल होने का आग्रह किया है. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इसकी संभावना बहुत कम यानी न के बराबर है. दरअसल ग्लोबल साउथ में शोध संस्थानों के एक नेटवर्क, ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के डायरेक्टर विजय प्रसाद ने कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 3 सितंबर को बीजिंग में होने वाली परेड में शामिल होने और चीन और रूस के साथ द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ मनाने का पुरजोर सुझाव दिया है.

भारत-चीन सीमा विवाद का क्या होगा?

प्रसाद ने 26 जुलाई को चीनी मीडिया आउटलेट Guancha.cn द्वारा आयोजित एक लाइव शो के दौरान कहा, चीन, भारत और रूस एक त्रिपक्षीय बैठक कर सकते हैं और एक सहयोगी के रूप में रूस की शक्ति का लाभ उठाकर, चीन और भारत के बीच मतभेदों को प्रभावी ढंग से सुलझा सकते हैं. उन्होंने चीन-भारत सीमा विवाद को एक राजनीतिक मुद्दा बताते हुए कहा कि इसका समाधान संभव है.

पीएम मोदी के चीन जाने की संभावना का प्रतिशत शून्य 

हालांकि, पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन-भारत संबंधों में हाल ही में आई नरमी के बावजूद, पीएम मोदी के इसमें भाग लेने की संभावना नहीं है. वहीं इतिहासकार के सुझाव को लेकर सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की साउथ एशियन स्टडी इंस्टीट्यूट के विजिटिंग रिसर्च फेलो इवान लिडारेव का कहना है कि दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ी परेड में पीएम मोदी की उपस्थिति से भारत में एक बड़ा सियासी बखेड़ा खड़ा हो जाएगा, ऐसे में उनके आने की संभावना जीरो है.  

लिडारेव ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, अगर पीएम मोदी चीन में आयोजित परेड में शामिल होते हैं, तो उन पर 'भारत के प्रतिद्वंद्वियों के साथ नज़दीकियां बढ़ाने के आरोप लग सकते हैं'. लिडारेव ने अक्टूबर में हुए सीमा समझौते के बाद प्रधानमंत्री की चीन नीति की भारतीय विपक्ष द्वारा लगातार आलोचना पर भी अपी बात रखी.

FAQ-

सवाल- चीन, भारत से बातचीत क्यों चाहता है?
जवाब-
वैश्विक पटल पर खुद को लोकतंत्र का रक्षक दिखाने का ढोंग करने वाला चीन इमेज बिल्डिंग पर खास ध्यान देता है. उसकी विस्तारवादी छवि के बारे में दुनिया जानती है, लेकिन वो खुद को सबसे अलग और न्याय का रक्षक बताने के साथ लोकतंत्र का प्रहरी बताने से नहीं चूकता, जबकि खुद चीन में बहुदलीय राजनीतिक सिस्टम नहीं है. सब कुछ स्वयंभू चीन की कम्युनिस्ट सरकार है, जो अपनी मर्जी से देश को हांकती है, वहां असहमति जताने का अधिकार किसी को नहीं है. ऐसे में चीन भारत से बातचीत का दिखावा करके अपनी छवि चमकाना जाता है.

सवाल-भारत और चीन के बीच तनाव और युद्ध की राजनीतिक प्रष्ठभूमि क्या रही?
जवाब- 
जब चीन ने घोषणा की कि वह तिब्बत पर कब्जा करेगा, तो भारत ने तिब्बत मुद्दे पर बातचीत का प्रस्ताव देते हुए विरोध पत्र भेजा. चीन किसी भी अन्य भारतीय गणराज्य की तुलना में अक्साई चिन सीमा पर सैनिकों को तैनात करने में कहीं ज्यादा सक्रिय था.  नेहरू के प्रधानमंत्री काल का भारत, चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर इतना चिंतित था कि उसने जापान के साथ शांति संधि के समापन के लिए एक सम्मेलन में भी भाग नहीं लिया क्योंकि चीन को आमंत्रित नहीं किया गया था. भारत ने दुनिया से जुड़े मामलों में चीन का प्रतिनिधि बनने का भी प्रयास किया क्योंकि चीन कई मुद्दों से अलग-थलग था.

सवाल-भारत और चीन युद्ध कब हुआ?
जवाब- 20 अक्टूबर, 1962 को भारत पर हमला हुआ, जिसे 1962 के चीन-भारत युद्ध के नाम से जाना जाता है. चीन द्वारा कभी हमला न किए जाने के विश्वास ने भारतीय सेना को तैयारी करने का मौका नहीं दिया और इसका नतीजा ये हुआ कि करीब 10 से 20 हजार भारतीय सैनिकों और करीब 80,000 चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध हुआ. युद्ध लगभग एक महीने तक चला और 21 नवंबर को चीन द्वारा युद्ध विराम की घोषणा के बाद समाप्त हुआ.

सवाल- चीन को लेकर भारत में क्या स्थिति चलती है.
जवाब- बीजेपी, कांग्रेस और राहुल गांधी को चीन का करीबी बताती है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी चीन के साथ हर तरह का व्यवहार क्यों नहीं खत्म कर लेती.

सवाल- दूसरे विश्वयुद्ध की परेड में पीएम मोदी की उपस्थिति को लेकर SASI के विजिटिंग रिसर्च फेलो इवान लिडारेव ने और क्या कहा?
जवाब- लिडारेव ने कहा, 'अगर मोदी आते हैं तो परेड में मोदी की उपस्थिति को एक भव्य, प्रतीकात्मक संकेत माना जाएगा, जो चीन-भारत संबंधों में भारी बदलाव लाएगा. हांलाकि ये भी सही है कि संबंधों में अभी इतना सुधार नहीं हुआ है कि उन्हें फिर से स्थापित किया जा सके, यानी प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे पर आने की संभावना नहीं है.'

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