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DNA: गद्दार-गद्दार-गद्दार...ईरान के साथ मुनीर ने खेला डबल गेम, मीठी-मीठी बातें कर पीठ में घोंपा चाकू

Israel-Iran War: पिछले एक दशक में ईरान और पाकिस्तान में करीब 15 बार झड़पें हुईं. पाकिस्तान और ईरान दोनों का एक दूसरे के अलगाववादी गुटों को पनाह देने का आरोप रहा है.  पाकिस्तान में भी बलूचिस्तान है और ईरान में भी सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत है.

DNA: गद्दार-गद्दार-गद्दार...ईरान के साथ मुनीर ने खेला डबल गेम, मीठी-मीठी बातें कर पीठ में घोंपा चाकू
Rachit Kumar|Updated: Jun 23, 2025, 11:20 PM IST
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Iran-US War: ईरान दुनिया के लिए होरमुज रूट बंद कर रहा है तो पाकिस्तान अपना एयर रूट, अमेरिका के लिए खोल रहा है ताकि वो आराम से खलीफा के देश में एंट्री कर सके और बम बरसा सके. पाकिस्तान ने ईरान के खिलाफ अपने एयरबेस और पोर्ट को अमेरिका को देने का सौदा कर लिया है.

मुनीर बने ट्रंप का मोहरा

 मुनीर ईरान के खिलाफ ट्रंप का मोहरा है. ये दावा ईरान की ओर से किया गया है. इससे पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में जमकर बवाल मच गया है. ईरान के खोरसान न्यूज ने ये दावा किया है कि रविवार को अमेरिका ने जो ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए, उनके लिए उसने पाकिस्तानी एयरबेस का इस्तेमाल किया.

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य साहिबज़ादा मुहम्मद हामिद रज़ा ने भी अपने ही आर्मी चीफ मुनीर और शहबाज सरकार के खिलाफ ये आरोप लगाते हुए असेंबली में कहा, 'आप ईरान के खिलाफ अपना एयरबेस और समंदर दे रहे हैं. इस पर अभी तक विदेश मंत्री का कोई बयान नहीं आया है. आपको तो कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि आपके तो विदेशों में फ्लैट हैं. पाकिस्तान में कोई मसला हुआ, तो मुशर्रफ की तरह आपको भाग जाना है.'

ईरान की पीठ में पाक ने घोंपा चाकू

हाल ही में पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ईरान के दौरे पर गए थे. ईरान को भाई बताया था और अब ईरान की ही पीठ पर छुरा भोंक दिया. गद्दारी मुनीर के पाकिस्तान की फितरत है. इसकी एक नहीं दसियों मिसालें हैं.

22 जून की आधी रात को ईरान के तीन एटमी ठिकानों पर अमेरिका ने हमले किए. इससे ठीक 4 दिनों पहले पाक आर्मी चीफ मुनीर ने ट्रंप के साथ लंच किया. इसका क्या मतलब निकलता है? जिस दिन पाकिस्तान ने ट्रंप को शांति का नोबल प्राइज देने का प्रस्ताव दिया उसके दूसरे दिन ही ट्रंप ने ईरान पर 1300-1300 किलो के बम बरसाए. इसका क्या मतलब निकलता है? 15 जून को पाकिस्तान ने ईरान की पीठ पर तब खंजर घोंपा जब 13 जून को इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया.

मुनीर ने बघेरी को दी थी घड़ी

13 जून को इजरायली हमले में ईरान के आर्मी चीफ मोहम्मद बघेरी मारे गए. इससे 19 दिन पहले आसिम मुनीर की बाघेरी से मुलाकात हुई थी जिसमें मुनीर ने उन्हें एक हाई एंड कलाई घड़ी गिफ्ट की थी, कहते हैं ये जीपीएस बीकन से लैस थी. इससे बघेरी कब कहां कैसे मूव कर रहे हैं इससे अमेरिका और इजरायल उन्हें ट्रैक कर रहे थे, इस मौत का क्या मतलब निकलता है?

इन सभी घटनाओं का बस एक ही मतलब निकलता है, गद्दारी. ये बात अब ईरान को समझ आ गई होगी. एक तरफ तो पाकिस्तान चुपचाप से अमेरिका को ईरान के खिलाफ हमले के लिए सारे लॉजिस्टिक सपोर्ट और इन्फॉर्मेशन उपलब्ध करवा रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिकी हमले की निंदा ये कहते हुए कर रहा है कि इन हमलों ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सभी नियमों का उल्लंघन किया है.

पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन का मानना है कि ट्रंप और मुनीर की मुलाकात सिर्फ एक सामान्य डिप्लोमेटिक मीट नहीं थी. उन्होंने आशंका जताई कि अमेरिका ने पाकिस्तान से सैन्य या खुफिया सहयोग को लेकर बात की होगी, चाहे वह ओवरफ्लाइट की अनुमति हो या ईरान पर दबाव बनाने में मदद करने को कहा होगा.

इस्तेमाल करने के लिए दोस्ती करता है अमेरिका

रुबिन ने पुरानी मिसालों का हवाला देते हुए कहा कि 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया था, तब उसने ईरान से इसी तरह का एक गुप्त समझौता किया था. अमेरिकी विमानों को ईरानी हवाईअड्डों पर उतरने की अनुमति दी गई थी. ठीक इसी तरह, पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में भी यह देखा गया है कि अमेरिका तब तक पाकिस्तान को महत्व देता है जब तक उसे उससे कोई रणनीतिक लाभ मिल रहा हो.

ईरान और पाकिस्तान का 900 किलोमीटर का लंबा बॉर्डर है. ईरान वो पहला देश था जिसने पाकिस्तान को एक देश के तौर पर 1947 में मान्यता दी थी. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ईरान ने पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक मदद की थी. कश्मीर मुद्दे पर भी कई बार ईरान ने पाकिस्तान का समर्थन किया है. लेकिन पाक से सहयोग के साथ-साथ झड़प का भी लंबा इतिहास है.

ईरान-पाक के रिश्तों में उतार-चढ़ाव

पिछले एक दशक में ईरान और पाकिस्तान में करीब 15 बार झड़पें हुईं. पाकिस्तान और ईरान दोनों का एक दूसरे के अलगाववादी गुटों को पनाह देने का आरोप रहा है.  पाकिस्तान में भी बलूचिस्तान है और ईरान में भी सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत है.

पाकिस्तानी जनरलों का डबल गेम, कोई नई बात नहीं है. इसका लंबा इतिहास है. अफगानिस्तान में जिन आतंकियों को मारने के लिए पाकिस्तान अमेरिका से डॉलर ले रहा था, वही डॉलर वो उन्हीं आतंकियों की मदद के लिए खर्च कर रहा था. ये तजुर्बा अमेरिका को है. और अब वही तजुर्बा चीन को भी हो गया है. 

पहलगाम अटैक के बाद जब भारत ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान की पिटाई कर रहा था तब चीन उसे अपने ड्रोन, विमान, राडार और एयर डिफेंस सिस्टम से मदद कर रहा था. लेकिन मुनीर एक लंच में ट्रंप की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगा. शी-जिनपिंग को क्या मिर्ची नहीं लगी होगी? चीन को भी ये बात जितनी जल्दी समझ आ जाए उतना उसके लिए ठीक होगा कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे पाक ने ठगा नहीं.

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