Pakistan History: हिन्दू मुस्लिम के आधार पर देश का विभाजन कराने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के वक्त भी पाकिस्तान कंगाली की हालत में था. उसे कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं था. लेकिन बांबे का एक बैंक था, जिसने पाकिस्तान को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद की.जिन्ना के करीबी दोस्त और अलग इस्लामिक देश बनाने की सोच में उसके साथी बिजनेसमैन हबीब इस्माइल ने पाकिस्तान को बचा लिया. मोहम्मद अली जिन्ना के कहने पर हबीब परिवार अपने कारोबार समेट कर पाकिस्तान चला गया.
हबीब हाउस से बनाया हबीब बैंक
हबीब हाउस आजादी के पहले से भारत ही नहीं, दुनिया का जाना माना औद्योगिक समूह था.इस परिवार के मुखिया इस्माइल अली ने 1841 में बांबे में बिजनेस शुरू किया. फिर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 1921 में एक कारोबारी समूह हबीब एंड संस शुरू किया गया, जो उस वक्त के वित्तीय संस्थानों में सबसे बेहद अहम था. विश्व के बड़े वित्तीय संस्थानों में उसका जलवा था. इस्माइल ने चार बेटों के साथ मिलकर 1941 में हबीब बैंक की स्थापना की.
मोहम्मद अली जिन्ना का प्रभाव
हबीब फैमिली के सदस्य मोहम्मद अली हबीब पर मोहम्मद अली जिन्ना का इस कदर प्रभाव था कि अलग पाकिस्तान देश बनने पर परिवार अपना सारा कारोबार समेटकर बांबे से कराची चला गया. मोहम्मद अली ने तब पाकिस्तान को कंगाली से निकालने के लिए जिन्ना को खाली चेक दिया था. जिन्ना ने उस पर 8 करोड़ रुपये (1947 में) की रकम भरी और पाकिस्तान डूबने से बच पाया. दरअसल, हबीब बैंक जब शुरू हुआ था तो जिन्ना ने खुद अपना बैंक खाता यहां खोला था. इससे आम लोगों का भरोसा भी बैंक पर बना और ये चल निकला. इसके बाद जिन्ना की पार्टी मुस्लिम लीग की फंडिंग में भी हबीब बैंक ने भरपूर मदद की.
जिन्ना को भारतीय बैंकों से था डर
आजादी के पहले बॉम्बे ही नहीं कराची से लेकर लाहौर तक भारतीय बैंकों का दबदबा था. जिन्ना को चिंता सता रही थी कि बंटवारा होते ही ये बैंक और औद्योगिक समूह पाकिस्तान को मटियामेट कर देंगे. लिहाजा हबीब फैमिली को उन्होंने पाकिस्तान शिफ्ट होने के लिए मनाया. हबीब इस्माइल और उनके परिवार को भी लगा कि जिन्ना तो पाकिस्तान के कायदे आजम होंगे. इससे उनका बिजनेस कई गुना तरक्की पाकिस्तान में कर सकता है और वो कराची चले गए.
आज पाकिस्तान का सबसे बड़ा बैंक
आज हबीब बैंक पाकिस्तान का सबसे बड़ा निजी बैंक था. लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इस बैंक को भी लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी और 1971 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया, लेकिन 1991 में इसे फिर प्राइवेट बैंक बना दिया. आज यह एशिया के सबसे बड़े बैंकों में शुमार है.आजादी के वक्त हबीब बैंक की 30-40 शाखाएं ही थीं. लेकिन फिर इस बैंक ने दुनिया के दूसरे देशों में अपना कारोबार फैलाया, लेकिन भारत में फिर कदम नहीं रखा.
हबीब बैंक का मालिक
हबीब फैमिली के मुखिया हबीब इस्माइल एक तांबे के कारखाने में काम करते थे. 13 साल की उम्र में उन्हें तब पांच रुपये मिलते थे. हबीब ने पांच साल की मेहनत में ही कुछ पैसे बचाए और अपनी तांबे-पीतल की दुकान खोली. फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.तांबा-पीतल, लोहा जैसे तमाम खनिजों का बड़े पैमाने पर व्यापार हबीब फैमिली ने शुरू किया, जो अफ्रीका, यूरोप से लेकर तमाम देशों में फैला. चीन और जापान में भी कंपनी ने पैर जमाए.
बांबे में खुला हबीब बैंक
हबीब का कारोबार बढ़ने के साथ उनकी कमाई भी जबरदस्त हुई.इसी जमा पूंजी और स्थानीय कारोबारियों के सहयोग से 1921 में हबीब बैंक एंड संस की स्थापना की गई. कॉटन-तिलहन और अन्य बिजनेस से जुड़े लोगों को इसने सस्ता कर्ज देना शुरू किया और बैंक का नाम हबीब बैंक एंड लिमिटेड पड़ा.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत पतली
पाकिस्तान पर आज 256 अरब डॉलर अर्थात 21.6 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 67% है. पाकिस्तान में महंगाई दर 30 फीसदी के करीब है. आटा-दाल और चावल का रेट भी 180 से 300 रुपये किलो तक है. बेरोजगारी दर आठ फीसदी है. 18-20 घंटे बिजली कटौती हो रही है. विकास दर शून्य के करीब जा पहुंची है. एक डॉलर 280 पाकिस्तानी रुपये के करीब है.
दोबारा निजी बैंक बना
हबीब बैंक ने पिछले 30-40 सालों में इसका कारोबार 800 अरब रुपये तक पहुंच चुका है. दुनिया के ज्यादातर इस्लामिक देशों में हबीब बैंक की शाखाएं हैं. इसमें तुर्की-कतर, यूएई, मलयेशिया, बहरीन आदि देश शामिल हैं. चीन-ब्रिटेन से लेकर टोक्यो तक समूह का कारोबार फैला है.