फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि उनका देश जंग नहीं चाहता, लेकिन विवादित क्षेत्रों से अपने जहाज़ कभी पीछे नहीं हटाएगा. यह बयान उन्होंने चीन के साथ स्कारबोरो शोल के पास फिर से हुई कोस्टगार्ड मुठभेड़ के बाद दिया है. मार्कोस ने यह भी कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि चीन के विदेश मंत्रालय ने क्यों चेतावनी दी कि वह 'आग से खेल रहे हैं.' उन्होंने बताया कि भारत दौरे के दौरान बस इतना कहा था कि अगर ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच युद्ध हुआ तो फिलीपींस भी अनचाहे ही उसमें शामिल हो जाएगा. उनके मुताबिक, यह सिर्फ एक तथ्य था, न कि किसी को उकसाने की कोशिश. वहीं, दूसरी तरफ फिलीपींस ने एक वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि सोमवार (11 अगस्त, 2025) को दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की गश्ती बोट का पीछा करते वक्त एक चीनी नौसेना पोत अपने ही तट रक्षक पोत से टकरा गया. इस टकराव की पुष्टि चीनी कोस्ट गार्ड के प्रवक्ता गान यू ने भी की. हालांकि, इस घटना के बारे में उन्होंने ज्यादा जानकारी नहीं दी.
बुधवार को भारतीय मीडिया आउटलेट फर्स्टपोस्ट के साथ एक इंटरव्यू में मार्कोस ने कहा कि ताइवान में 'बहुत सारे फिलिपिनो नागरिक हैं और अगर ताइवान में संघर्ष होता है तो यह तुरंत एक मानवीय समस्या होगी.' उन्होंने कहा कि, 'व्यावहारिक रूप से कहें तो, अगर चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर टकराव होता है, तो फिलीपींस अपनी भौतिक, भौगोलिक स्थिति के कारण इससे बाहर नहीं रह सकता.' 'हमें वहां जाना होगा, वहां जाने का रास्ता खोजना होगा, और अपने लोगों को वापस लाने का रास्ता खोजना होगा.' वहीं, चीन ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कड़ा विरोध व्यक्त किया और तर्क दिया कि 'भौगोलिक स्थिति' और ताइवान में 'फिलिपिनो की बड़ी संख्या' को अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
मार्कोस ने कहा कि फिलीपींस 'युद्ध नहीं करना चाहता'. लेकिन वह इस बात से हैरान हैं कि चीन ने उनकी टिप्पणियों को भड़काऊ बता रहा है. चीन ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित ज्यादातर देश ताइवान को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता नहीं देते हैं.
हालांकि, अमेरिकक इस स्वशासित द्वीप को बलपूर्वक लेने के किसी भी कोशिश का विरोध करता है और उसे हथियार मुहैया कराने के लिए भी प्रतिबद्ध है. मार्कोस ने सोमवार को यह भी कहा कि चीन ने दक्षिण चीन सागर पर मनीला की स्थिति की गलत व्याख्या की है. उन्होंने कहा, 'हम अपने अभियान तेज़ नहीं करते. हम सिर्फ़ जवाब देते हैं.' उन्होंने आगे कहा कि फ़िलीपींस को रक्षात्मक सुरक्षा क्षेत्र पर खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा 'क्योंकि हम खतरे में हैं.'
वहीं, अमेरिकी वायु सेना कर्नल रे पॉवेल ने सोशल मीडिया पर बताया कि इससे पहले दिन में फिलीपीन कोस्ट गार्ड और मत्स्य ब्यूरो के जहाजों को स्कारबोरो शोल के पास चीनी जहाजों के एक बहुत भारी बेड़े का सामना करना पड़ा. इसकी पुष्टि फिलीपीन कोस्ट गार्ड के प्रवक्ता जे टारिएला ने भी सोमवार को सोशल मीडिया पर की. उन्होंने कहा कि देश के जहाजों और मछुआरों को समुद्र में अन्य जहाजों से खतरनाक युद्धाभ्यास का सामना करना पड़ा. स्कारबोरो शोल, जिसे फिलीपींस में बाजो डी मासिनलोक और चीन में हुआंगयान द्वीप के नाम से जाना जाता है. इसपर दोनों देश दावा करते हैं. लेकिन इस पर फिलहाल चीन का नियंत्रण है.
वहीं, सोमवार को जब मार्कोस से पूछा गया कि वह क्या करेंगे, तो उन्होंने कहा, 'हम अपने किसी भी जहाज को पीछे हटने का निर्देश कभी नहीं देंगे.' उन्होंने कहा, 'हम मौजूद रहेंगे. हम अपने क्षेत्र की रक्षा करते रहेंगे. हम अपने संप्रभु अधिकारों का प्रयोग करते रहेंगे. और किसी के भी विरोध के बावजूद, हम ऐसा करते रहेंगे जैसा कि हमने पिछले तीन सालों में किया है.' जबकि, पिछले सप्ताह चीन में एक्सपर्ट्स के बीच कुछ अटकलें लगाई गई थीं कि ताइवान के बारे में मार्कोस की भारत में की गई टिप्पणियां अमेरिका के दबाव में थीं. वहीं, पेंटागन ने कथित तौर पर अपने सहयोगी दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान से ताइवान को लेकर चीन के साथ संघर्ष की स्थिति में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था.