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वो देखिए... तुर्किये ने पाकिस्तान को बम-ड्रोन दिए, साइप्रस गए पीएम मोदी तो उस बॉर्डर तक पहुंच गए

PM Modi Cyprus: तुर्की के करीब द्वीपीय देश साइप्रस जाकर पीएम मोदी ने एर्दोआन को बड़ा संदेश दिया है. पीएम उस बॉर्डर तक पहुंच गए जहां से तुर्की के कब्जे वाले कथित नॉर्थ साइप्रस देश क सीमा लगती है. साइप्रस के राष्ट्रपति ने पीएम को नॉर्थ साइप्रस का झंडा भी दिखाया. 

वो देखिए... तुर्किये ने पाकिस्तान को बम-ड्रोन दिए, साइप्रस गए पीएम मोदी तो उस बॉर्डर तक पहुंच गए
Anurag Mishra|Updated: Jun 16, 2025, 08:43 PM IST
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ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को हथियार देने वाले तुर्की (तुर्किए) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह तस्वीर बहुत चुभेगी. पीएम साइप्रस गए, वहां उनका जमकर स्वागत हुआ और देश का सबसे बड़ा सम्मान भी दिया गया. लेकिन बात इतनी ही नहीं थी. काला चश्मा पहने प्रधानमंत्री उस ग्रीन लाइन पर भी पहुंच गए जहां से उत्तरी साइप्रस दिखाई देता है. ये वही उत्तरी साइप्रस है जिसका झंडा तुर्की से मेल खाता है. इसे सिर्फ तुर्की ने मान्यता दे रखी है जबकि इस देश के दो टुकड़े को दुनिया मान्यता नहीं देती है.

वो तुर्की ही था जिसने साइप्रस में सेना भेजकर इस खूबसूरत आईलैंड के दो टुकड़े कर दिए थे. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तरी साइप्रस का इलाका दिखाने बॉर्डर के बेहद करीब साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस लेकर चले गए. प्रधानमंत्री ने खुलकर साइप्रस की क्षेत्रीय अखंडता का सपोर्ट किया.

इस यूरोपीय देश को तुर्की के हमले के कारण बंटवारा झेलना पड़ा और तब से वही स्थिति बरकरार है. साइप्रस के राष्ट्रपति ने मोदी को निकोसिया के करीब वो पहाड़ियां दिखाईं जो अब भी तुर्किये के कब्जे में हैं. संयुक्त राष्ट्र साइप्रस के दोनों हिस्से के बीच में बफर जोन रखता है. भारत खुलकर साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ साइप्रस की एकता की बात करता रहा है. अब आप मैप देखिए. साइप्रस में तुर्किये की तरफ का हिस्सा नॉर्थ साइप्रस और दूसरी तरफ का साइप्रस (यहीं पीएम गए) है. 

अब आप वीडियो देखिए. पीएम को साइप्रस के राष्ट्रपति हाथ से जिस इलाके की ओर इशारा कर रहे हैं वहां एक चांद की शक्ल की तस्वीर भी दिखाई देती है. वही नॉर्थ साइप्रस है. आज भी वहां तुर्किश सेना मौजूद है. कहने को यह आजाद और अलग है लेकिन इसका आधिकारिक नाम Turkish Republic of Northern Cyprus है. 

तुर्किये साइप्रस विवाद कई दशक से चला आ रहा है. 1974 में तुर्किये की सेना ने इस देश पर हमला कर दिया था. उत्तरी हिस्से में तुर्किये का ही हुक्म चलता है. हालांकि भारत और पूरी दुनिया साइप्रस गणराज्य को मान्यता देती है और पूरा इलाका साइप्रस का मानती है. अब पीएम का बफर जोन में जाना सीधे तौर पर तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन को संदेश है कि भारत अगर भूकंप में बर्बाद तुर्किये के नागरिकों की मदद करने के लिए दौड़ सकता है तो दुश्मन का साथ देने वाले को करारा संदेश भी दे सकता है. 

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तुर्किये लगातार कश्मीर पर पाकिस्तान की भाषा बोलता रहा है. पिछले दिनों भारत के ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पाकिस्तान के जमावड़े में अजरबैजान के साथ-साथ तुर्किये की भी मौजूदगी थी. उसने पाकिस्तान को घातक ड्रोन सप्लाई किए थे जिसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया. दरअसल, एर्दोआन खुद को मुस्लिम जगत का खलीफा बनाना चाहते हैं. अब पीएम मोदी ने तुर्की के क्षेत्रीय विरोधी और गैस संपन्न साइप्रस जाकर अकेले इस देश के साथ ही नहीं, बल्कि ग्रीस, आर्मेनिया और मिस्र से भी रिश्ते मजबूत करने का संकेत दे दिया है. 

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