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जब अचानक बैठ गए थे महात्मा गांधी... कम लोगों को मालूम होगी बापू से जुड़ी ये अनसुनी कहानी

Mahatma Gandhi News:  नीलामी 7 से 15 जुलाई के बीच बोनहम्स में होगी. कलाकार के भतीजे कैस्पर लीटन ने बीबीसी को बताया, 'यह एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की पेंटिंग है. यह बहुत अच्छा होगा अगर इसे भारत या अन्य जगहों पर अधिक व्यापक रूप से देखा और सराहा जा सके.'

जब अचानक बैठ गए थे महात्मा गांधी... कम लोगों को मालूम होगी बापू से जुड़ी ये अनसुनी कहानी
Shwetank Ratnamber|Updated: Jun 05, 2025, 04:33 PM IST
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Rare Mahatma Gandhi portrait on sale: महात्मा गांधी का 1931 में बना एक बेहद दुर्लभ चित्र, जिसके लिए वो बैठकर पोज देने के लिए राजी हुए थे, अब वो नीलाम होने वाला है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोर्टेट की अनुमानित कीमत 50,000-70,000 पाउंड यानी 82 लाख रुपये है. ब्रिटिश आर्टिस्ट क्लेयर लीटन द्वारा गांधीजी की लंदन यात्रा के दौरान बनाए गए इस चित्र पर कथित तौर पर एक हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ता ने हमला करके तोड़ने की कोशिश की थी.

अनसुनी कहानी

ये रेयर ऑफ द रेयरस्ट चित्र अगले महीने जुलाई में नीलाम होगा. ऑक्शन की तैयारियां होने के बाद इसका औपचारिक ऐलान कर दिया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नीलामी घर यानी ऑक्शन हाउस बोनहम्स ने कहा, 'पेंटिंग एकमात्र ऐसा तेल चित्र माना जाता है जिसके लिए गांधी वास्तव में बैठे थे.' इसे बनाने वाले आर्टिस्ट की फैमिली ने बताया कि एक हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ता ने 1974 में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित होने पर चित्र को तोड़ने की कोशिश की थी.

विरासत में मिला पोर्टेट

ये दुर्लभ ऑयल पेंटिंग पहली बार नीलामी में आ रही है, जो 1989 में लीटन की मृत्यु तक उनके निजी संग्रह में रही, जिसके बाद यह उनके परिवार को विरासत में मिली. नीलामी 7 से 15 जुलाई के बीच बोनहम्स में होगी. कलाकार के भतीजे कैस्पर लीटन ने बीबीसी को बताया, 'यह एक अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की पेंटिंग है. यह बहुत अच्छा होगा अगर इसे भारत या अन्य जगहों पर अधिक व्यापक रूप से देखा और सराहा जा सके.'

दावे पर सवाल

बापू के इस बेहद दुर्लभ चित्र को लेकर इसे बनाने वाले आर्टिस्ट की फैमिली लगातार दावा कर रही है कि इस पेंटिंग को तोड़ने के लिए हमला किया गया. हालांकि अपने इस दावे की पुष्टि करने के लिए उन्होंने अभी तक कोई दस्तावेजी सबूत नहीं सौंपा है. हालांकि, पेंटिंग में क्षति के निशान दिखाई देते हैं, जिसमें कई जगहों पर मरम्मत की गई दरारें भी शामिल हैं.

कौन थी लीटन?

इसे बनाने वाली लेटन, लकड़ी की नक्काशी और अपनी ऑयल पेंटिंग के लिए पूरे यूरोप में मशहूर थीं. लीटन, महात्मा गांधी से 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन के लिए लंदन की यात्रा के दौरान मिली थीं, जो भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोजित सम्मेलनों की एक श्रृंखला थी. 1931 में उन्हें ब्रेल्सफोर्ड के कार्यालय में गांधीजी के साथ बैठकर उनका स्केच और पेंटिंग बनाने का अवसर मिला.

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