World News in Hindi: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच इस साल का सबसे भीषण हमला पिछले दिनों कीव पर किया गया. उसके बाद यूक्रेन की तरफ से ये बात निकलकर आ रही है कि वो अपने देश में नाटो सेनाओं की तैनाती की गुजारिश संबंधित देशों से करेगा. उसकी इस बात से रूस भड़क गया है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेश्कोव ने कहा कि यूक्रेन की तरफ से की जाने वाली ऐसी कोई भी संभावित हरकत पूरी तरह से अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि ऐसा यदि होता है तो पूरे यूरोप और वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाएगा.
इससे पहले रूस की सुरक्षा परिषद के सेक्रेटरी सर्गेइ शोइगू ने एक इंटरव्यू में चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐतिहासिक रूप से रूस के जो क्षेत्र रहे हैं उन इलाकों में शांति सेना के नाम पर किसी भी अन्य देश की तैनाती तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पैदा कर देगी.
दरअसल यूक्रेन के अधिकारियों ने बुधवार को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के साथ लंदन में एक बैठक की. उसके बाद ही ये बात निकलकर आई कि यूक्रेन में नाटो देशों के शांतिसैनिकों की तैनाती की जा सकती है. गौरतलब है कि ये सभी नाटो के सदस्य देश हैं. यूक्रेन और रूस के बीच झगड़े के मूल में नाटो की सदस्यता का मसला ही है. यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने का इच्छुक रहा है और रूस इसका मुखर विरोधी रहा है.
पहलगाम हमले पर न्यूयॉर्क टाइम्स की गंदी हरकत, ट्रंप सरकार ने खुद NYT को सरेआम बेइज्जत किया
इसी संदर्भ में सर्गेइ शोइगू ने कहा था कि ऐसा होने की स्थिति में रूस और नाटो के बीच सीधा संघर्ष हो सकता है और नतीजतन तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. उन्होंने ये भी दावा किया कि पश्चिमी देश रूस के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे हैं. अगले तीन-पांच साल में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है. उन्होंने न्यूज एजेंसी तास को दिए इंटरव्यू में कहा कि 2030 तक यूरोपीय राजनेता और उनकी सेना रूस के खिलाफ जंग के लिए तैयार होना चाहते हैं.
यूरोप की तरफ से सबसे पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस साल मार्च की शुरुआत में कहा था कि यूक्रेन के समर्थन में हमको एक गठबंधन बनाना चाहिए. इस गठबंधन में जो यूरोपीय देश खुद से शामिल होना चाहें उनको मौका दिया जाना चाहिए. मार्च में ही पेरिस में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुल मैक्रों ने भी यूरोपीय देशों के इच्छुक सदस्यों से ऐसा गठबंधन बनाने की बात करते हुए कहा था कि इस गठजोड़ से ऐसा सैन्यबल बनाया जाना चाहिए जिसकी तैनाती यूक्रेन के सामरिक इलाकों में की जाए. हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि उससे पहले रूस के साथ एक शांति समझौता किया जाना जरूरी है.