Donald Trump Vs Vladimir Putin: अंग्रेजी का मशहूर कथन है- When the future you built in your mind collapses, the ruins often burn with fury. यानि जब मन में गढ़ा गया भविष्य या सपना टूटता है, तो उसके मलबे में गुस्से की आग लग जाती है. ऐसे में अब दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों में शुमार अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दिल में भी ऐसी ही आग भड़क उठी है और ये आग लगाई है उतने ही ताकतवर माने जाने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की 367 मिसाइलों और ड्रोन्स ने. पुतिन के कहने पर ये मिसाइलें और ड्रोन यूक्रेन में लॉन्च किए गए. इस हमले में रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई बड़े शहरों को निशाना बनाया.
पुतिन ने यूक्रेन को मारा और सहम गए ट्रंप
रूस की मिसाइलों और ड्रोन हमले में अब तक 13 लोगों की मौत और 60 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. इस हमले के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से ज्यादा अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बौखलाए हैं. क्योंकि पुतिन ने यूक्रेन पर नहीं ट्रंप के शांतिदूत बनने के सपने पर मिसाइल और ड्रोन दागे हैं. आज रूस के हमले के बाद डॉनल्ड ट्रंप का दर्द गुस्से के रूप में कैसे बाहर आया. आपको पहले वो पढ़ना चाहिए, इसके बाद हम डॉनल्ड ट्रंप को इस हमले से लगे बड़े झटके का विश्लेषण आपको पढ़ाएंगे.
यूक्रेन का इकलौते मददगार पर तंज
39 महीने से जारी रूस यूक्रेन वॉर में हथियारों की संख्या के लिहाज से ये सबसे बड़ा हवाई हमला था और अब ट्रंप कह रहे हैं. वो पुतिन से खुश नहीं है. आज आपको समझना चाहिए ट्रंप को पुतिन पर इतना गुस्सा क्यों आ रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह पुतिन के हमले से डॉनल्ड ट्रंप पर सहयोगियों का बढ़ा दबाव है. यूक्रेन पर हमले के बाद राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने सीधे अमेरिका पर निशाना साधा है.
- ज़ेलेंस्की ने दुनिया को इस हमले में 3 बच्चों के मौत की जानकारी भी दी.
- यूक्रेन के राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि अमेरिका की चुप्पी से पुतिन का हौसला बढ़ा है. जिसका नतीजा हमले के तौर पर सामने आया.
- अमेरिका ने पुतिन के शांति वार्ता में नहीं आने पर यूरोपीय देशों की तरह रूस पर नए प्रतिबंध भी नहीं लगाए थे.
- अब ज़ेलेंस्की ने फिर दोहराया है कि रूस का हमला उस पर नए प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त है.
- जिसके बाद डॉनल्ड ट्रंप पर ऐसा करने का दबाव बढ़ गया है.
अब आप ये भी समझिए ट्रंप ये वॉर क्यों खत्म करवाना चाहते हैं. रूस-यूक्रेन वॉर के दौरान अमेरिका अब तक यूक्रेन को लगभग 183 बिलियन डॉलर यानि 15 लाख 24 हज़ार 390 अरब रुपये की मदद दे चुका है. और ट्रंप इस युद्ध में अमेरिका के और डॉलर लगाने के मूड में नहीं है. आपको ये भी जानना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की रूस-यूक्रेन वॉर को खत्म करवाने को लेकर क्या योजना बनाई थी. इस योजना को यूक्रेन और यूरोप ने क्यों खारिज किया और रूस के नए हमले से शांति वार्ता पर कितना असर पड़ेगा.
छन से जो टूटे कोई सपना...
-ट्रंप ने चुनाव के दौरान दावा किया था. वो सिर्फ 24 घंटे में रूस यूक्रेन का युद्ध समाप्त कर सकते हैं.
-इसके लिए वो यूक्रेन की NATO सदस्यता पर रोक लगाने को तैयार थे. जिससे रूस की सुरक्षा चिंताओं को दूर किया जा सके.
-ट्रंप ने क्रीमिया और डोनबास को रूस का हिस्सा मानने का सुझाव दिया था. जिसे यूक्रेन ने अपनी अखंडता के लिए गंभीर चुनौती बताया.
-ट्रंप की योजना में रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने का सुझाव भी शामिल था. जिससे रूस को आर्थिक राहत मिल सकती थी.
-डोनाल्ड ट्रंप की इस शांति योजना को यूक्रेन, यूरोपीय देशों और अमेरिका के एशियाई सहयोगियों का समर्थन नहीं मिला.
-ट्रंप ने भले ही 24 घंटे में युद्ध समाप्त करवाने के दावे किए हों. लेकिन युद्ध जारी रहने से उनका शांतिदूत बनने का सपना लगभग टूट गया.
-रूस के बड़े हमले ने ट्रंप के शांति के प्रयासों को पटरी से उतार दिया है. दुनिया इसे ट्रंप की बड़ी विफलता के रूप में देखेगी
और डॉनल्ड ट्रंप को लग रहा है, उनकी इस विफलता की सबसे बड़ी वजह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं. आपको ये भी समझना चाहिए. जिस वक्त ट्रंप यूक्रेन और रूस के बीच में समझौता करवाने की कोशिश कर रहे थे. उस वक्त पुतिन ने यूक्रेन पर इतना बड़ा हमला क्यों किया.
पुतिन ने कहा- दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगे
रूस ने इन हमलों को यूक्रेन के हमलों का जवाब बताया. जो हमले यूक्रेन ने रूस के सैन्य और औद्योगिक ठिकानों पर किए थे. मास्को के एयरपोर्ट को भी हमले में निशाना बनाया गया था. पुतिन ने नए हमलों के जरिए रूस की ताकत दिखाई है. इससे शांति वार्ता में दबाव बनाने की कोशिश भी समझा जा रहा है. पुतिन ने संदेश दे दिया शांति वार्ता में वो अपनी किसी शर्त से पीछे हटने को तैयार नहीं. डोनबॉस इलाके के साथ पुतिन जेपोरेजिया और खेरसॉन पर भी कब्जा नहीं छोड़ेंगे.
ट्रंप को को सब हल्के में ले रहे?
नए हमलों पर ट्रंप के कड़े बयानों को भी रूस ने भावनात्मक टिप्पणी कहा है. मतलब पुतिन अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को सीरियस ले ही नहीं रहे. रूस की इस प्रतिक्रिया ने ट्रंप की और ज्यादा फ़जीहत करवा दी है. अब तक डॉनल्ड ट्रंप यूक्रेन को अपना मित्र बताते रहे हैं. लेकिन अब डॉनल्ड ट्रंप क्या करेंगे? क्या पुतिन और ट्रंप आमने सामने भी आ सकते हैं. इसकी उम्मीद अब भी कम है.
क्योंकि ट्रंप जानते हैं पुतिन पर दबाव डालना बहुत मुश्किल है. इसमें रिस्क भी बहुत हैं. पुतिन के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाकर ट्रंप शायद और फजीहत ना करवाना चाहें. क्योंकि चालबाज चीन और सनकी किम जोंग भी पुतिन के आगे कायदे में रहते हैं. यानी बीजिंग और प्योंगयांग अगर मॉस्को के साथ आ गए तो अमेरिका की कथित सुपरपावर का फालूदा हो जाएगा.