Taiwan: इस वक्त दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तनाव और जंग का माहौल बना हुआ है. एक तरफ रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से ज्यादा वक्त से जंग जारी है. दूसरी तरफ, मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच हुई 12 दिनों की लड़ाई ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. अब दुनिया के सामने एक और बड़ी चिंता सामने आ रही है. दो सबसे ताक़तवर देश अमेरिका और चीन भी आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं. दोनों देशों के बीच ट्रेड, टैरिफ और ताइवान को लेकर तनाव फिर से बढ़ने लगा है. इस बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने दो दिन पहले अपने सहयोगी देशों से पूछा था कि अगर चीन से जंग होती है तो कौन-कौन उसका साथ देगा?
हालांकि, इस सवाल का जवाब अमेरिका के लिए चौंकाने वाला रहा. उसके दो प्रमुख सहयोगी जापान और ऑस्ट्रेलिया ने साफ तौर पर यह संकेत दिया कि वे इस लड़ाई में अमेरिका का साथ नहीं देंगे. यानी अमेरिका को पहले मोर्चे पर ही बड़ा झटका लगा है. लेकिन, इन सबके बीच, ताइवान ने एक ऐसा कदम उठाया है. इससे एशिया, खासतौर पर पूर्वी एशिया में हड़कंप मच गया गया है और एक जंग की आहट महसूस होने लगी है. चलिए जानते हैं कि आखिर ताइवान ने क्या किया है?
दरअसल, स्व-शासित द्वीप ताइवान ने चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच 10 दिवसीय मिलिट्र एक्सरसाइज शुरू किया है. इसके तहत ताइवान ने राजधानी ताइपे के हवाई अड्डे के पास HIMARS और पैट्रिएट जैसे मिसाइल सिस्टम तैनात किए हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताइवान ने ये डिफेंस सिस्टम चीन के संभावित हमले से राजधानी की सुरक्षा करने के मकसद से तैनात किए हैं. यहां सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन सिस्टम की तैनाती घनी आबादी वाले ताइपे शहर में की गई है. जबकि इंटरनेशनल हवाई अड्डे के पास टैंक और मोर्टार लॉन्चर गाड़ी भी तैनात हैं. लिबर्टी टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ताइवानी एयर फोर्स ने शुक्रवार को सौंगशान हवाई अड्डे के ईस्ट में एक नदी के पास भी पैट्रिएट मिसाइल सिस्टम की तैनाती की थी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ताइवान कथित तौर पर अमेरिका से मिले नौ पैट्रिएट PAC-2 और PAC-3 मिसाइल बैटरियों को ऑपरेट करता है. इसकी खासियत यह है कि ये सिस्टम दुश्मनों के हमले को भेदने में सक्षम हैं, जिनमें बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों के हमले शामिल हैं.
इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि ताइवान ने अपना 41वां हान कुआंग नाम का मिलिट्री एक्सरसाइज का आयोजन ऐसे वक्त में किया है, जब चीन के साथ तनाव चरम पर है. दोनों बीच आखिर झगड़ा किस बात को लेकर है.चलिए जानते हैं. ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है, जबकि चीन इस द्वीप पर अपना दावा करता है. चीन ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर जरूरत पड़ी तो ताकत का इस्तेमाल करके इसका एकीकरण कर सकता है. हालांकि, इंटरनेशनल लेवल पर कई देश ताइवान को मान्यता देते हैं.
चीन और अमेरिका के बीच ताइवान के मुद्दे पर टकराव सालों से चल रहा है. अमेरिका नक्शे में ताइवान को एक देश के रूप में देखता है. साथ ही, USA ने सुरक्षा की गारंटी भी दे रखी है. इसके अलावा अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है. यही वजह है कि अमेरिका ताइवान रिलेशंस एक्ट (1979) के तहत इस द्वीप को डिफेंस इक्विपमेंट और समर्थन देता रहा है.