Operation Sindoor: भारत के ताबड़तोड़ हमले से पाकिस्तान में दहशत है. इस बीच, तालिबान के एक सीनियर नेता ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अलर्ट जारी किया है. पाकिस्तान में अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत रहे मुल्ला अब्दुल सलाम जईफ ने पश्तूनों को भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई में शामिल न होने की चेतावनी दी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक तीखे शब्दों में लिखे गए पोस्ट में ज़ईफ़ ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान जिहाद के नाम पर पश्तून समुदायों को भड़काने की कोशिश कर सकता है. उन्होंने पश्तून समुदायों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को 'पाकिस्तान के राजनीतिक खेलों से दूर रखें.'
उनकी ये टिप्पणियां भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते के बीच आई हैं. भारत ने मंगलवार रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. भारत के इस एयरस्ट्राइक में 100 आतंकवादी मारे गए और कई घायल हो गए.
ज़ईफ के बयान के क्या हैं मायने?
तालिबान का मौजूदा वक्त में भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ रिश्ता जटिल है. हालांकि, ऐतिहासिक रूप से वे पाकिस्तान के सहयोगी रहे हैं. जबकि तालिबान मुख्य रूप से पश्तून है. अब ज़ईफ के इस बयान ने सियासी हलकों में एक और बहस छेड़ दी है, जिसमें अफ़गानिस्तान के पश्तून समुदायों के बीच पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ विवाद में जातीय लड़ाकों की संभावित लामबंदी के बारे में बढ़ती चिंताओं को बढ़ा दिया है.
तालिबान की चिंता
जबकि इसे दक्षिण एशिया में इंटरनल डिविजन्स और जियोपॉलिटिकल पैंतरेबाज़ी के रूप में देखा जा सकता है. भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मोहरे के रूप में इस्तेमाल होने से बचने की तालिबान की ये चिंता क्षेत्र को और अधिक अस्थिर होने से बचाना चाहते हैं और अफगानिस्तान के गवर्निंग बॉडी के रूप में अपनी कानूनी हैसियत को बनाए रखना चाहते हैं.
अफ़गान ट्रेड पर इफेक्ट
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती दुश्मनी की वजह से अफगानिस्तान से निर्यात होने वाले सामान के कंटेनर वाघा बॉर्डर पर फंसे हुए हैं. अफ़गानिस्तान-पाकिस्तान संयुक्त चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के चीफ नकीबउल्लाह सफ़ी ने कहा, 'इसका अफ़गान ट्रेड पर लंबे वक्त तक इफेक्ट पड़ेगा. वाघा क्रॉसिंग भारत को हमारे निर्यात के लिए महत्वपूर्ण है सूखे मेवों से भरे कई ट्रक अभी भी फंसे हुए हैं और उन्हें मंजूरी का इंतज़ार है.'