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डगमगाने लगी अब इस मुस्लिम देश की सत्ता, विपक्षी नेता को जेल में डालकर बुरे फंसे खलीफा; देशभर में सड़कों पर उत्पात

Turkey Political Crisis: तुर्की में विपक्षी नेता एक्रेम इमामोग्लू की गिरफ़्तारी के बाद हड़कंप मचा हुआ है. राष्ट्रपति रेजेप तैयब एर्दोगन के खिलाफ लोग सड़क पर उतर गए हैं. इमामोग्लू पर आपराधिक संगठन चलाने, रिश्वतखोरी, जबरन वसूली, बोली में हेराफेरी और अवैध डेटा संग्रह के आरोप हैं,

डगमगाने लगी अब इस मुस्लिम देश की सत्ता, विपक्षी नेता को जेल में डालकर बुरे फंसे खलीफा; देशभर में सड़कों पर उत्पात
Md Amjad Shoab|Updated: Mar 23, 2025, 10:56 PM IST
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Turkey News: इस्तांबुल के मेयर एक्रेम इमामोग्लू की गिरफ़्तारी के बाद तुर्की में घमासान मचा हुआ है. हजारों लोग राष्ट्रपति रेजेप तैयब एर्दोगन के खिलाफ सड़क पर उतर गए हैं और इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इमामोग्लू एक प्रमुख विपक्षी नेता और राष्ट्रपति एर्दोगन के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी हैं. तुर्की में इमामोग्लू एर्दोगन के बाद सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले नेता हैं. उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इसी आरोप में रविवार को उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया है, जिससे बाद देश में की सियासत में उथल पुथल मच गई है. यही कारण है कि एर्दोगन को अपनी कुर्सी का भी डर सताने लगा है.

इमामोग्लू की गिरफ़्तारी इस हफ़्ते की शुरुआत में उनके घर पर छापेमारी के बाद हुई. उनके समर्थकों का तर्क है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, जिनका मकसद 2028 के राष्ट्रपति पद की दौड़ के एक प्रमुख दावेदार को किनारे करना है. हालांकि, सरकारी अधिकारी राजनीतिक हस्तक्षेप से इनकार कर रहे हैं और इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि ज्यूडिशियरी स्वतंत्र रूप से काम कर रही है.

इमामोग्लू पर क्या हैं आरोप?
इमामोग्लू के खिलाफ़ आपराधिक संगठन चलाने, रिश्वतखोरी, जबरन वसूली, बोली में हेराफेरी और अवैध डेटा संग्रह के आरोप शामिल हैं. आतंकवाद से संबंधित अपराधों के लिए उन पर आरोप लगाने के लिए एक अलग अनुरोध को खारिज कर दिया गया. इस बीच, पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, इस्तांबुल, अंकारा और इज़मिर में दंगा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पानी की बौछारें, आंसू गैस और प्लास्टिक की गोलियां चलाईं, जिनमें से कुछ ने पत्थरों और आतिशबाजी से जवाबी कार्रवाई की.

इमामोग्लू की गिरफ़्तारी विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) द्वारा उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन देने के लिए आयोजित एक प्रतीकात्मक प्राथमिक चुनाव के साथ हुई. जवाब में, पार्टी ने गैर-सदस्यों के लिए राष्ट्रव्यापी मतपेटियां स्थापित कीं, ताकि वे संकटग्रस्त मेयर के समर्थन में ‘एकजुटता वोट’ डाल सकें.

इस्तांबुल में एक वोटर ने कहा, 'यह अब सिर्फ़ सीएचपी के बारे में नहीं है; यह तुर्की में लोकतंत्र के बारे में है.' दूसरों को डर है कि देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. इमामोग्लू ने अपने समर्थकों से दृढ़ रहने का आग्रह करते हुए कहा, 'हम अपनी धार्मिकता, अपने साहस, अपनी विनम्रता और अपने दृढ़ संकल्प से एर्दोगन को हरा देंगे.' उनकी पत्नी, दिलेक काया इमामोग्लू ने उनकी अवज्ञा को दोहराते हुए कहा, 'हम डरते नहीं हैं और हम कभी हार नहीं मानेंगे.'

इंटरनेशनल आक्रोश और आर्थिक गिरावट
विपक्षी नेता की गिरफ़्तारी की इंटरनेशनल मानवाधिकार संगठनों ने तीखी आलोचना की है. यूरोपीय काउंसिल ने इस फैसले की निंदा की और इमामोग्लू की फौरन रिहाई की मांग की. सियासी एक्सपर्ट इस कदम को एर्दोगन द्वारा अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को खत्म करने की कोशिश के रूप में देखते हैं.

इस गिरफ़्तारी ने वित्तीय बाज़ारों को हिलाकर रख दिया है. तुर्की लीरा में तेज़ी से गिरावट आई और देश का बेंचमार्क BIST 100 इंडेक्स शुक्रवार को लगभग आठ फीसदी कम होकर बंद हुआ. इमामोग्लू ने अपनी गिरफ़्तारी से पहले चेतावनी दी थी कि इस मामले ने तुर्की की इज्जत और अर्थव्यवस्था में जनता के यकीन को नुकसान पहुंचाया है.

'स्ट्रीट टेरर' 
इमामोग्लू की गिरफ़्तारी उनके खिलाफ़ कानूनी चुनौतियों की सबसे ताजा घटना है. उन्हें पहले 2022 में तुर्की की सुप्रीम इलेक्ट्रॉल काउंसिल का कथित रूप से अपमान करने के लिए मुजरिम करार दिया था.  हाल ही में, एक यूनिवर्सिटी ने कथित अनियमितताओं के कारण उनकी डिग्री को कैंसिल कर दिया. जिसकी वजह से वो राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने से महरूम हो गया.

इमामोग्लू का सियासी उरूज एर्दोगन के शासन के लिए एक बड़ी चुनौती रही है. उन्होंने 2019 में इस्तांबुल के मेयर पद पर जीत हासिल की, एर्दोगन की पार्टी को हराकर सत्तारूढ़ एकेपी को बड़ा झटका दिया. हालांकि,  चुनाव दोबारा कराया गया, लेरिन उन्होंने उससे भी बड़ी जीत हासिल की. इस तरह से इमामोग्लू की लोकप्रियता और भी बढ़ गई.

तुर्की के सबसे बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शनों पर बैन के बावजूद, प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं. सरकार ने अशांति को रोकने की कसम खाई है, इसे 'सड़कों पर आतंक' करार दिया है. हालांकि, विपक्षी नेता विद्रोही बने हुए हैं, और इमामोग्लू की गिरफ़्तारी को लोकतंत्र के खिलाफ़ राजनीतिक तख्तापलट बता रहे हैं. तुर्की में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने के साथ, सभी की निगाहें एर्दोगन की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं और इस बात पर भी कि क्या विपक्ष बढ़ते तानाशाही उपायों के खिलाफ़ अपनी गति बनाए रख सकता है.

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