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एर्दोगान को सता रहा तख्तापलट का डर! नया संविधान लाने की तैयारी में तुर्की के राष्ट्रपति

Turkish President Recep Tayyip Erdogan: तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप तैयप एर्दोगान को सैन्य तख्तापलट का डर सता रहा है. पिछले 22 सालों से तुर्की की बागडोर संभाल रहे एर्दोगान ने अब सत्ता में पकड़ बनाने का नया हथकंडा आजमाया है. 

Turkish President Recep Tayyip Erdogan
Turkish President Recep Tayyip Erdogan
Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jun 02, 2025, 12:28 PM IST
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Turkish President Recep Tayyip Erdogan: तुर्की के राष्ट्रपति रेसिप तैयप एर्दोगान को भी अपने करीबी दोस्त पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की तरह तख्तापलट का डर सता रहा है. करीब 20 सालों से सत्ता में काबिज एर्दोगान अब संविधान बदलने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि सत्ता में जिंदगी भर बने रह सके. 

एर्दोगान ने 10 कानूनी विशेषज्ञों का समूह बनाया है, जो नया संविधान तैयार करेगा. दरअसल, एर्दोगान अगले चुनाव में राष्ट्रपति नहीं बन सकते हैं या तो वो मध्यावधि चुनाव कराएं या फिर संविधान में बदलाव करें. उनका कार्यकाल अभी 2028 तक हैं, लेकिन वो समय से पहले चुनाव नहीं कराना चाहते, क्योंकि देश में अभी उनके खिलाफ भारी गुस्सा है. खासकर इंस्ताबुल के मेयर की गिरफ्तारी को लेकर जनता आक्रोशित है. 

नए संविधान के लिए एर्दोगान ने दलील ये दी है कि पुराना कांस्टीट्यून 1980 में सेना के तख्तापलट के दौरान बनाया गया था. जनता के हित के लिए नया संविधान बनाया जा रहा है.

हालांकि आलोचकों और विपक्षी दलों का कहना है कि मौजूदा संविधान के अनुसार, कोई भी राष्ट्रपति दो बार चुना जा सकता है. ऐसे में वो आजन्म पद पर बने रहने की तैयारी में जुटे हैं.  

एर्दोगान तुर्की में 2003 से सत्ता में हैं. पहले वो देश के प्रधानमंत्री रहे और उन्होंने देश की संसदीय व्यवस्था की जगह राष्ट्रपति प्रणाली लागू कराई ताकि उनकी पकड़ मजबूत रहे. ओपिनियन पोल के अनुसार, वो मौजूदा समय में अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी पीछे हैं. जनवरी में उन्होंने संकेत दिया था कि वो फिर से चुनाव लड़ सकते हैं, जो दिखाता है कि उनका इरादा क्या है.

मार्च 2025 में इस्तांबुल मेयर एकरेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी ( Istanbul Mayor Ekrem Imamoglu) के बाद देश भर में जोरदार प्रदर्शन हुए थे. इससे एर्दोगान की फजीहत हुई थी. उन्होंने 1 जून को अपने समर्थकों के साथ बैठक में पुष्टि कर दी कि वो नया संविधान तैयार करा रहे हैं.

हालांकि एर्दोगान की पार्टी के पास संसद में इतनी सीटें नहीं हैं कि वो संविधान में मनमाफिक बदलाव करा पाएं. उन्हें दूसरे राजनीतिक दलों के समर्थन की जरूरत होगी या फिर जनमत संग्रह के जरिये जनता का समर्थन हासिल करना होगा. लेकिन तुर्की में इसको लेकर बवाल शुरू हो गया है.

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