UAE Gift To India In Eid: रमजान के पवित्र महीने के दौरान संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कैदियों के लिए बड़े पैमाने पर क्षमा की घोषणा की है, जिसमें 500 से अधिक भारतीय नागरिक भी शामिल हैं. फरवरी के अंत में लागू इस फैसले के तहत राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 1,295 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने 1,518 कैदियों को क्षमादान दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, शेख मोहम्मद बिन जायद ने इसके साथ एक और बड़ा वादा किया है जिसमें रिहा किए गए कैदियों की पैसों से भी मदद की जाएगी. जिससे कैदी अपने अर्थिक जिम्मेदारियों को पूरा कर सकेंगे.
दुबई ने कैदियों को दिया क्षमादान
दुबई के अटॉर्नी जनरल, चांसलर एसाम इस्सा अल-हुमैदान ने कहा कि यह निर्णय शेख मोहम्मद के उन लोगों को एक नई शुरुआत देने के समर्पण को दर्शाता है जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है. उन्होंने पुष्टि की कि दुबई पुलिस के साथ समन्वय में दुबई पब्लिक प्रॉसिक्यूशन ने उनकी रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रियाओं को लागू करना शुरू कर दिया है. हर साल रमजान में क्षमादान यूएई की दया दिखाने और दूसरा मौका देने की परंपरा का हिस्सा है. सामूहिक रिहाई सामाजिक स्थिरता को मजबूत करते हुए जेल की आबादी को कम करने में एक व्यावहारिक भूमिका भी निभाती है.
1,500 से अधिक कैदियों को मिली माफी
UAE सरकार ने इस साल बड़ी संख्या में कैदियों को रिहा करने का फैसला लिया है. राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने 1,295 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया, जबकि प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने 1,518 कैदियों को माफी दी. इस आदेश को फरवरी के अंत में लागू कर दिया गया.
भारतीय कैदियों को भी मिला लाभ
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रिहा किए गए कैदियों में 500 से अधिक भारतीय नागरिक शामिल हैं. यह माफी UAE की उस नीति को दर्शाती है जिसमें मानवीय मूल्यों और न्याय को प्राथमिकता दी जाती है.
कैदियों के वित्तीय दायित्व भी होंगे पूरे
रिहा किए गए कैदियों के लिए राहत यहीं खत्म नहीं होती. राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद की सरकार ने उनके वित्तीय दायित्वों को पूरा करने का भी वादा किया है. इससे उनके परिवारों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम किया जाएगा और वे बिना किसी वित्तीय दबाव के नया जीवन शुरू कर सकेंगे.
समाज में पुनर्वास और स्थिरता पर जोर
UAE का यह कदम न केवल मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज में स्थिरता लाने का भी प्रयास करता है. माफी से जेलों में भीड़ कम होगी और पूर्व कैदी अपने परिवारों के साथ एक नई शुरुआत कर पाएंगे.