US-China Tariff Tensions: पिछले महीने अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया में टैरिफ जिस तरह बढ़ाया उससे हाहाकार मच गया. चीन को तो बर्बाद करने के लिए चीनी आयात पर 145% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, पूरी दुनिया में मानो चीन को अब अमेरिका व्यापार में बर्बाद कर देगा. ट्रंप आए दिन भाषण दे रहे थे, लेकिन अचानक ट्रंप का मन बदल गया और अब टैरिफ वार में चीन से टक्कर लेने के बजाए व्यापारक करने पर जोर दे रहे हैं और सबसे बड़ी बात ट्रंप ने 115% टैरिफ को चीन पर से घटाया है. यानी ट्रंप को सिर्फ बिजनेस से मतलब है वह क्या बोलते हैं इससे मायने नहीं. यह फिर साबित हो गया चीन के मामले में. आइए समझते हैं पूरा मामला.
अमेरिका ने 130% घटाया टैरिफ
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने अमेरिका ने चीनी आयात पर 145% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसे अब घटाकर 30% कर दिया गया है. वहीं, चीन ने भी अमेरिकी आयात पर अपने टैरिफ को 125% से घटाकर 10% करने का ऐलान किया है. इसके अलावा, चीन ने 2 अप्रैल के बाद लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों को हटाने का वादा किया है, जिसमें दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट्स जैसे हाई-टेक उत्पाद शामिल हैं. इस खबर से वॉल स्ट्रीट में तेजी देखी गई, जहां एसएंडपी 500 और नैस्डैक ने कई महीनों बाद अपने उच्चतम स्तर को छुआ.
क्या है पूरा मसला?
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर ने करीब 600 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को ठप कर दिया था. इसकी वजह से सप्लाई चेन प्रभावित हुईं थी. कई कंपनियों में छंटनी हुई और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को अपनी आक्रामक टैरिफ नीति की जीत बताया. उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा चीन अब पूरी तरह खुलेगा, और ये दोनों देशों के लिए शानदार होगा. ये एकता और शांति के लिए भी अच्छा है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ये समझौता केवल सतही है. अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा और ट्रंप की फेंटानिल संकट पर बीजिंग से और सख्त कदम उठाने की मांग जैसे मुद्दे अभी हल नहीं हुए हैं.
अमेरिका झुका, चीन की बल्ले-बल्ले
वाशिंगटन के सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के विशेषज्ञ स्कॉट केनेडी ने कहा, "ये अमेरिका का पीछे हटना है, न कि चीन का झुकना. व्यापार युद्ध शुरू करने और इसे बढ़ाने वाला अमेरिका ही था."
जिनेवा में हुई टैरिफ वॉर को कम करने की बात
जिनेवा में हुई हाई-लेवल बातचीत में अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और चीनी अधिकारियों ने इस समझौते को अंतिम रूप दिया. बेसेंट ने कहा, "दोनों पक्ष डी-कपलिंग (आर्थिक अलगाव) नहीं चाहते. हम संतुलित व्यापार चाहते हैं, और दोनों इसके लिए प्रतिबद्ध हैं." इस समझौते के तहत दोनों देश एक नया आर्थिक संवाद मंच शुरू करेंगे, लेकिन अगली बैठक की तारीख अभी तय नहीं है. यह आपसी समझौता कब तक रहेगा,यह देखना बाकी है.