Kayalee Daughter Story: कहा जाता है कि एक पिता के लिए इससे अधिक दुख की बात क्या हो सकती है जिसे अपने बेटे या बेटी को कांधा देना पड़े. एक मां पर दुख का पहाड़ टूट पड़ता है जब वो अपनी आंखों के सामने अपने बच्चे को अंतिम सांस लेते हुए देखती है. जिस घटना के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं. वो कोई फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत है. अमेरिका के इदाहो में रहने वाले कायली और जेक मैसी को कुछ उसी दौर से गुजरना पड़ा. अस्पताल में उनकी 15 महीने की बेटी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी. लेकिन वो बच ना सकी. उसकी यादों को सजों कर रखने के लिए उन्होंने खास काम किया.
शायद सबसे बेहतर ऑप्शन यही था
कायली बताती हैं कि वो अंत्येष्टि गृह में बैठे थे. हमें यह तय करने के लिए एक कैटलॉग दिया कि बेटी के साथ क्या करना है. कैटलॉग के पन्नों को पलटना और उसमें भी कलश चुनना बहुत भयानक था. सच पूछिए तो हम दाह-संस्कार चाहते थे क्योंकि बेटी की अंतिम निशानी यानी राख हमारे घर आ सके. हालांकि घर पर दो छोटे बच्चे होने के कारण वो ऐसी कोई चीज नहीं चाहते थे जिससे हमारे दोनों बच्चे डरें, टूटने का डर हो. हमें लगा कि एक कलश की हमारे घर में मौजूद तो हो सकता है. लेकिनम क्या वो दूसरे बच्चों के लिहाज से सही होगा. ईमानदारी से कहें तो हमारे परिवार के लिए कोई भी विकल्प सही नहीं लगा. हम बस इस कैटलॉग को पलट रहे थे. उनमें सुंदर पत्थरों की यह तस्वीर थी.
हम कैटलॉग घर ले आए और हमने अपना उत्तर देने से पहले कुछ दिनों तक इसके बारे में सोचा. ऐसा लगा कि यदि सभी विकल्प खराब थे तो सुंदर पत्थरों वाला सबसे कम खराब विकल्प लगा. हमने वह चुना जो सबसे कम खराब था. हमने अपने दूसरे दो बच्चों रोजी और पीटर को पहले स्थान पर रखने की कोशिश की. यह समझने की कोशिश कि वे किस चीज के आसपास सबसे अधिक आरामदायक होंगे. कुछ महीनों बाद हमें हैंड रिटेन नोट के साथ सुंदर बॉक्स मिला. उसकी देखभाल करना हमारे लिए सम्मान की बात थी. वो बेहद व्यक्तिगत लगा. याद है कि मैंने वह कार्ड खोला और ऐसा लगा जैसे इन लोगों को मेरी बेटी की परवाह है. हमने इन छोटे थैलों को खोलना जारी रखा जिनमें पत्थर थे, वे पत्थर बहुत सुंदर थे. सफेद रंग वाले पत्थरों में पीले रंग के छोटे-छोटे छींटे हैं. यह नहीं पता कि पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे क्या होते हैं, लेकिन वे खास उपहार की तरह महसूस होते हैं.
15 महीने की पॉपी को क्या हुआ था
आखिर कायली और जेक मैसी की बेटी को क्या हुआ था. साल 2023 का था महीना अप्रैल. कायली और जेक की बेटी पॉपी 9 महीने की हो चुकी थी. जब वो अपने उम्र के चौथे महीने में पहुंची तो पैरेंट्स को महसूस हुआ कि उसकी बेटी की आंखों में कुछ दिक्कत है. वो डॉक्टर के पास गए और पता चला कि वो एक गंभीर बीमारी टीबीसीडी का सामना कर रही है. कायली बताती हैं कि उनकी बेटी को देखने में दिक्कत आ रही है. वो कई डॉक्टरों के यहां गई. डॉक्टरों की सलाह के बाद ब्रेन की एमआरआई हुई और पता चला कि उसके दिमाग के सेंटर वाले हिस्से में परेशानी है और उसकी वजह से दिक्कत हो रही है. वो लगातार अस्पताल के चक्कर लगाती रहीं. लेकिन रोग के बारे में सही पहचान नहीं हो सकी. हालांकि हिम्मत नहीं हारी.
अस्पताल जाने की सिलसिला चलता रहा. एक एडवांस टेस्ट में पता चला कि वो एक गंभीर जेनेटिक बीमारी का शिकार है. ऐसा लगता है कि वो उस समय, वह दुनिया की 38वीं बच्ची थी, जिसका निदान किया गया था. वह आगे कहती है. जेनेटिर मामलों के एक्सपर्ट डॉक्टरों ने भी इसके बारे में पहले कभी नहीं सुना था. हमें एहसास हुआ कि इस रोग का इलाज आसान नहीं है. अब यह पता नहीं कि हम कितना सही सोच पा रहे थे. हम वास्तव में अनुभवहीन थे. अपनी बेटी को बचाने की हर संभव कोशिश करते रहे. लेकिन उसे बचा नहीं सके. बेटी अब उनसे दूर जा चुकी थी. लेकिन वो चाहते थे कि किसी भी तरह से वो उनकी यादों में बनी रहे. और उसके लिए बेहतर विकल्प की तलाश करते रहे.