Tulsi Gabbard India Visit: अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने सोमवार को कहा कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ‘बहु-राष्ट्रीय’ यात्रा के तहत भारत की यात्रा करेंगी. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति एवं स्वतंत्रता के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत संबंध बनाने और संचार के मार्ग खुले रखने के मकसद से गबार्ड यह यात्रा कर रही हैं. ट्रंप प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में पहली महिला लड़ाकू अनुभवी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह गबार्ड की भारत की पहली यात्रा होगी.
इंटेलिजेंस चीफ का बयान
गबार्ड ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैं हिंद-प्रशांत की बहु-राष्ट्रीय यात्रा पर हूं, एक ऐसा क्षेत्र जिसे मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूं क्योंकि मैं प्रशांत क्षेत्र में पली-बढ़ी हूं. मैं जापान, थाईलैंड और भारत की यात्रा करूंगी. अमेरिका लौटते समय फ्रांस में कुछ देर के लिए रुकूंगी.’
भारत से अच्छे रिश्तों की पक्षधर हैं तुलसी
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप के शांति, स्वतंत्रता और समृद्धि के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत संबंध, समझ विकसित करना और खुले संचार का मार्ग खुला रखना महत्वपूर्ण है.’ वहीं तुलसी अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान के अफसरों से मिलेंगी और ये बात भी पाकिस्तान को अच्छी नहीं लगेगी.
पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची
उनका पहला पड़ाव होनोलुलु होगा जहां वह ‘आईसी भागीदारों और इंडोपैकोम’ (अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान) के नेताओं तथा ‘प्रशिक्षण में शामिल अमेरिकी सैनिकों’ से मिलेंगी. दरअसल गबार्ड भारतीय मूल की हैं. पाकिस्तान, भारत से दुश्मनी मानता है, ऐसे में नई दिल्ली में आने और इस्लामाबाद न जाने से पाकिस्तान को बुरा लग सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ में ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए अमेरिका की यात्रा के दौरान गबार्ड ने फरवरी की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी. वह 12 फरवरी को राष्ट्रपति के अतिथि गृह ‘ब्लेयर हाउस’ में मोदी से मिलने वाली पहली अमेरिकी अधिकारी थीं. यह मुलाकात भारतीय नेता के अमेरिकी राजधानी पहुंचने के कुछ ही समय बाद हुई थी.
गबार्ड से मुलाकात के बाद मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, ‘वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की. उनकी नियुक्ति पर उन्हें बधाई दी. भारत-अमेरिका मित्रता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसकी वह हमेशा से प्रबल समर्थक रही हैं.’ (इनपुट: पीटीआई भाषा)