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ट्रंप प्रशासन में जिहादियों को जगह, लश्कर कैंप में ट्रेनिंग लेने वाले आतंकी को बनाया सलाहकार

US India Relations: आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर को नसीहत बांटने वाला अमेरिका ने खुद ऐसा कदम उठाया है, जिसकी तीखी आलोचना हो रही है. ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस सलाहकार बोर्ड में ऐसे विवादास्पद नियुक्तियां की हैं, जिनके आतंकी संगठनों से संबंध रहे हैं.

Donald Trump
Donald Trump
Amrish Kumar Trivedi|Updated: May 18, 2025, 02:22 PM IST
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Indo US  Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक नए विवाद में घिर गए हैं. व्हाइट हाउस पैनल में दो जिहादियों को शामिल करने से यह विवाद छिड़ा है और इससे अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ नीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

ट्रंप प्रशासन पर व्हाइट हाउस एडवाइजरी बोर्ड में इस्माइल रोयेर और शेख हम्जा युसूफ को शामिल किया गया है, जिनके इस्लामिक जिहादियों से कथित तौर पर रिश्ते रहे हैं. रोयेर को 2004 में आतंकी गतिविधियों का दोषी पाया गया था. उसने लश्कर ए तैयबा ट्रेनिंग कैंप ज्वाइन करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया था. 

रोयेर ने कथित तौर पर वर्ष 2000 में लश्कर ए तैयबा के आतंकी शिविर में हिस्सा लिया था और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा. उसने भारतीय ठिकानों पर गोलीबारी भी की थी. उसे ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस एडवाइजरी बोर्ड में दिग्गजों के साथ शामिल कर लिया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति की पूर्व सहयोगी लारा लूमर ने इन नियुक्तियों की आलोचना की है. उनका कहना है कि जिहादियों और आतंकी समूहों से जुड़े होने के बावजूद इस्माइल रोयेर और शेख हम्जा युसूफ को इनाम दिया गया. लूमर इस्लाम और धार्मिक स्वतंत्रता कार्यों के मामलों से जुड़ी रही हैं. उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त कैसे किया जा सकत है.  

इस्माइल रोयेर का असली नाम रेंडेल रोयेर था, लेकिन वर्ष 2000 में उसने इस्लाम ग्रहण कर लिया. उसे अमेरिकी अदालत ने आतंकी गतिविधियों के आरोप में 20 साल जेल की सजा सुनाई. वो वर्जीनिया जिहादी नेटवर्क का हिस्सा था. एफबीआई ने 2003में उसकी छानबीन शुरू की और आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया. उस पर अमेरिका के खिलाफ युद्ध छेड़ने और लश्कर ए तैयबा और अलकायदा दी मदद के आरोप साबित हुए.उसने 2004 में अपना गुनाह कबूल किया और हथियार और विस्फोटकों का इस्तेमाल करने और युवकों को आतंक के लिए भड़काने के आरोप में उसे 20 साल जेल हुई, लेकिन 13 साल सजा काटने के बाद वो छूट गया. 

रोयेर ने अपने कबूलनामे में माना है कि वो मसूद खान, मुहम्मद अतीक और ख्वाजा महमूद हसन जैसे युवकों के साथ आतंकी मामलों में लिप्त था और उसने पाकिस्तान में लश्कर ए तैयबा के एक ट्रेनिंग कैंप में भी प्रशिक्षण लिया था, जहां उन्हें सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल और अन्य हथियार चलाने का प्रशिक्षण मिला. 

उसने इब्राहिम अहमद अल हमदी जैसे युवकों को भी लश्कर कैंप में ट्रेनिंग दिलाई. हमदी ने वहां ग्रेनेड चलाना सीखा और भारत के खिलाफ अभियानों में हिस्सेदार रहा. 

एडवाइजरी बोर्ड में दूसरा आरोपी शेख हम्जा युसूफ जेयटुना कलेज का सह संस्थापक रहा है. वो बर्कले जैसे कई शैक्षिणक संस्थानों की धार्मिक संस्थाओं से जुड़ा था, लेकिन उसकी जिहादी गतिविधियां भी थीं. उसका नाम मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास से भी जुड़ा. वो शरिया कानून का पाठ युवकों को पढ़ाता था. 

 

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