Most Dangerous Missiles of Iran Against Israel: ईरान ने अपनी मिसाइल ताकत के जरिए इजरायल को सीधे चुनौती दे दी है सिर्फ पिछले हफ्ते से शुरू हुए हमलों में ईरान ने 400 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागकर पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि उसे हल्के में लेने की कतई भूल ना करें. ईरान ने साबित कर दिया है कि अब उसकी मिसाइल ताकत किसी से कम नहीं है. अब सवाल ये है कि क्या ईरान के मिसाइल हमलों से बच पाएगा इजरायल या फिर ये टकराव नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा? आइए, आज की हमारी इस स्पेशल रिपोर्ट में जानते हैं ईरानी मिसाइलों की ताकत और उनकी दमदार तकनीक के बारे में एक-एक बारीक डिटेल.
जानलेवा मिसाइलों का असली खेल शुरू
इजरायल की सड़कों पर जानलेवा मिसाइलों का खेल शुरू हो चुका है..और ईरान ने इसे खूनी सच्चाई में बदल दिया है. उत्तरी इजरायल में ईरान की तरफ से एक साथ कई मिसाइलें दागी गईं. जिसमें फतेह-1 और खैबर जैसी खतरनाक बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल थीं. इजरायल के अशदोद में हाइवे पर सामान्य रफ्तार से चल रही इस कार के डैश कैम में वो मंजर कैद हुआ जिसने जंग की असली तस्वीर पूरी दुनिया के सामने लाकर रख दी है.
वायरल हो रहे एक वीडियो में कार सुकून से आगे बढ़ रही थी, आसपास सन्नाटा था. तभी अचानक दाहिनी तरफ थोड़ी दूर पर आसमान से गिरी ईरान की मिसाइल और फिर शुरू हुआ भयावह अंधियारे का दौर. मिसाइल के धमाके की आवाज इतनी तेज थी कि कानों के परदे फटने लगे. मिसाइल जहां गिरी, वहां से आग का गोला और धुआं उठने लगा. उसी रफ्तार से चारों तरफ मिट्टी, पत्थर और मलबे के टुकड़े हवा में उड़ने लगे.
कार की विंडशील्ड पर बारूद के मलबे टकराने लगे..ऐसा लगा कि कांच टूट जाएगा और मलबा अंदर घुस जाएगा. पूरी सड़क धूल और धुएं से ढक जाती है, हाइवे पर कार ड्राइवर को सामने कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है..इसीलिए उसने गाड़ी की रफ्तार थोड़ी धीमी कर ली.
दूसरे हफ्ते में दाखिल 'मिडिल ईस्ट' की जंग
जिंदगी और मौत के बीच की ये रेखा अब बेहद पतली हो चुकी है. ईरान और इजरायल के बीच युद्ध को अब दो हफ्ते होने वाले हैं..इस जंग का दायरा हर पल बढ़ता जा रहा है. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी एयरस्ट्राइक ने जंग को नए मोड़ पर पहुंचा दिया है. ईरान ने जवाब में खैबर जैसी घातक मिसाइलें इजरायल पर दाग दी हैं..और सबूत दे दिया कि ये जंग अब किसी भी हद तक जा सकती है.
परमाणु ठिकानों पर हमले से बौखलाए ईरान ने इजरायल पर पहली बार खैबर मिसाइल दागी है. खैबर या खुर्रमशहर मिसाइल का नाम एक ईरानी शहर के नाम पर रखा गया है जो 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के दौरान भारी लड़ाई का केंद्र था. ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल खैबर ने इजरायल में भयानक तबाही मचाई है और दावा किया गया है कि खैबर को इंटरसेप्ट करने में इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित हुआ.
इजरायल पर बरसीं 400 मिसाइलें!
पिछले हफ्ते शुरू हुए इजरायली हमले के बाद ईरान ने अभी तक 400 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दागी हैं. जिनमें से 40 से ज्यादा मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में इजरायली एयर डिफेंस नाकाम रहा है. बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान की डिफेंस स्ट्रैटजी का सेंटर रही हैं और मिसाइलों की बदौलत ही ईरान ने इजरायल में भारी तबाही मचाई है. फिलहाल इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं है कि ईरान के पास कितनी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं और उनमें कितनी संख्या में खैबर मिसाइलें हैं. अगर ईरान के पास खैबर मिसाइलों की संख्या ज्यादा है तो इजरायल के लिए मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ने वाली हैं..ऐसा क्यों कहा जा रहा है? इसे समझते हैं.
कितनी खतरनाक है खैबर मिसाइल?
ईरानी शस्त्रागार की सबसे एडवांस बैलिस्टिक मिसाइल है खैबर. इन मिसाइलों में MIRV टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. MIRV ऐसी तकनीक है जिसमें एक ही मिसाइल अपने साथ कई वारहेड ले जाती है. साथ ही एक ही मिसाइल में लोड वारहेड से अलग-अलग लक्ष्यों पर स्वतंत्र रूप से निशाना लगाया जा सकता है.
इसे ऐसे समझिए..जैसे एक बस में कई यात्री बैठे हों और हर यात्री को अलग-अलग जगहों पर उतारा जा सके. वैसे ही MIRV मिसाइल अपने वारहेड को अलग-अलग जगहों पर भेज सकती है. जबकि पारंपरिक मिसाइल सिर्फ एक ही वारहेड ले जाती है और एक ही लक्ष्य को भेदती है..जबकि MIRV मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों को तबाह कर सकती है.
खैबर मिसाइल में मौजूद MIRV तकनीक की खासियत ये है कि इसमें हरेक वारहेड का अपना गाइडेंस सिस्टम होता है. ऐसे में इसे रोकना या इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल होता है. इसकी वजह ये है कि एक साथ कई वारहेड अलग-अलग दिशाओं में जाते हैं और दुश्मन की मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भ्रमित कर देते हैं. यही कारण रहा कि खैबर को इंटरसेप्ट करने में इजरायल का आयरन डोम, Arrow-3 और David Sling जैसे डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित हुए. अब आपको खैबर मिसाइल की ताकत से रू-ब-रू कराते हैं.
बेहद ताकतवर खैबर मिसाइल
खैबर मिसाइल की रेंज 2000 किलोमीटर तक है. ये 1 हजार 500 किलो तक वॉर हेड ढोने की ताकत रखती है. इसे खुर्रमशहर-4 के नाम से भी जाना जाता है.
ईरान का दावा है कि ये हाइपरसोनिक मिसाइल है. ये फायर होने के बाद भी अपनी दिशा बदल सकती हैं.
आपने अब तक खैबर बैलिस्टिक मिसाइल की ताकत और दहशत के बारे में जान लिया है लेकिन असली खौफ तो अब शुरू होने वाला है. अब हम बात करेंगे ईरान की दूसरी घातक मिसाइल सेजिल और ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइल फतह-1 के बारे में..ये मिसाइलें न सिर्फ दुश्मन को चकमा देती हैं बल्कि अपनी रफ्तार और दिशा बदलने की क्षमता से युद्ध की परिभाषा ही बदल रही हैं.
ईरान ने इस बार पूरे जोर-शोर से इजरायल पर हमला बोल दिया है. ईरान अब तक करीब 400 मिसाइलें और सैकड़ों ड्रोन इजरायल की धरती पर गिरा चुका है. इनमें फतह-1, शहाब-3, गदर, सेजिल और खैबर जैसी लॉन्ग-मिड रेंज मिसाइलें शामिल हैं. जो साबित करती हैं कि ईरान की नापाक मंशा सिर्फ धमकी भर नहीं, बल्कि वास्तविक विनाश फैलाने की है. ईरान की कई मिसाइलें सीधे इजरायल के रिहायशी इलाकों में गिरी हैं. जिससे आम लोगों की ज़िंदगी तहस-नहस हो गई है..इजरायल को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. ये जंग अब जन-धन दोनों की कीमतें वसूल रही है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इजरायल और ईरान दोनों पड़ोसी देश भी नहीं हैं. बावजूद इसके ईरान ने सैकड़ों किलोमीटर दूर से मिसाइलें और ड्रोन भेजकर साबित कर दिया है कि वो पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाने पर आमादा है.
कितनी देर में पहुंचती है मिसाइल?
अगर ईरान मैक-5 गति वाली बैलिस्टिक मिसाइल से हमला करता है तो मिसाइल को इजरायल तक पहुंचने में सिर्फ 12 मिनट लगते हैं. जबकि सुपरसोनिक मिसाइल को हिट करने में 6 से 7 मिनट का वक्त लग जाता है. वही क्रूज मिसाइलों को इजरायल पहुंचने में करीब दो घंटे का समय लग जाता है. जबकि ड्रोन को ये दूरी तय करने में नौ घंटे तक का वक्त लग सकता है.
ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल ताकत
बीते 19 जून को ईरान ने अपनी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के जरिए इजरायल की धरती पर कहर बरपा दिया. फतह-1 की चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी कि ईरान ने अपने पिटारे से एडवांस स्टेज-2 सेजिल बैलिस्टिक मिसाइल निकाल दी. IRGC ने पहली बार अपनी खतरनाक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल सेजिल दागी. इस युद्ध में सेजिल मिसाइल का ये पहला इस्तेमाल था. ईरान ने ज़ोर देकर कहा कि ये हमला ऑपरेशन 'ट्रू प्रॉमिस-3' का हिस्सा था जिसमें इज़रायल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया.
कितनी ताकतवर है सेजिल मिसाइल?
सेजिल, ईरान की सबसे ख़तरनाक मिसाइलों में से एक है. 2008 में इसका पहला सफल परीक्षण हुआ था. ये सॉलिड फ्यूल पर चलने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे ईरान ने अपनी पुरानी शहाब मिसाइलों के आधार पर विकसित किया है. शहाब मिसाइल लिक्विड ईंधन पर चलती थी जबकि सेजिल ठोस ईंधन पर चलती है. जिससे इसे लॉन्च करना बेहद तेज़ और आसान हो गया है.
इसकी रेंज 2000 किलोमीटर तक है और ये 700 किलो वारहेड ले जा सकती है. सेजिल मिसाइल पूरी तरह से ईरान में डिज़ाइन और तैयार की गई है यानी ईरान अब किसी दूसरे देश की मदद के बिना अपनी मिसाइलें बना सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे सड़क पर चलने वाले मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है. जिससे इसे छिपाना और स्थान बदलना बेहद आसान हो जाता है.
सेजिल को डांसिंग मिसाइल भी कहते हैं क्योंकि ये हाइली मैनुवरेबल है. सीधी भाषा में कहे तो ये मिसाइल अपने टारगेट की ओर बड़ी तेजी से और आसानी से घूम-घूमकर अटैक कर सकती है. इसकी ताकत की बात करें तो इजरायल के आयरन डोम और एरो जैसे एडवांस और पावरफुल डिफेंस सिस्टम को भी ये भेद सकती है.
ईरान की हाइपरसोनिक ताकत
इजरायल की तरह-तरह की मिसाइलों के बाद ईरान ने बीते 17 जून को फतह-1 मिसाइल से तेल अवीव पर हमला किया था..जिसकी चर्चा हर ओर होने लगी थी.आपको बताते हैं कि फतह- 1 मिसाइल पर ईरान इतना क्यों इतराता है? और इस युद्ध में इस मिसाइल का इस्तेमाल इतना खास क्यों है?
कितनी ताकतवर फतह-1 मिसाइल?
इसकी रफ्तार 6,100 किलोमीटर प्रति घंटा तक है. ये 1,400 किलोमीटर तक हमला करने में सक्षम है. ये 200 किलो विस्फोटक ले जा सकती है. फतह-1 मीडियम रेंज की मिसाइल है. आधुनिक डिफेंस सिस्टम को भेदने की ताकत रखती है. ये बीच उड़ान में दिशा बदल सकती है. फतह-1 मिसाइल सॉलिड फ्यूल पर चलती है. एक बार इसे दाग दिया जाए तो फिर ये अपने ठिकाने पर जाकर ही लगती है.
फतह-1 मिसाइल में हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल वॉरहेड का इस्तेमाल किया जाता है जो दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को चकमा देने के लिए बनाया गया है.
दावा किया जाता है कि फतह मिसाइल इजराइल के सुपर एडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम जैसे आयरन डोम और एरो को भी चकमा देने में सक्षम है. ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स इसे इजराइल स्ट्राइकर कहते हैं...साल 2023 में इसका पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन किया गया था.