S400 Missile System Fails: भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के ठिकानों पर हमले किए और बड़ी तादाद में आतंकवादियों को मौत की नींद सुलाया. हालांकि पाकिस्तान ने भी भारत के हमलों के जवाब में कई जगहों पर ड्रोन से हमला करना चाहा लेकिन उन्हें नाकाम बना दिया. पाकिस्तान के हमलों को नाकाम बनाने में भारत के 'आकाश' और रूस के S-400 का भी अहम किरदार था. हालांकि रूस के S-400 मिसाइल सिस्टम ने भारत में तो कमाल दिखा लेकिन खुद अपने देश को यूक्रेन के हमलों से नहीं बचा पाया. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि रूस में S-400 मिसाइल सिस्टम ने हाथ खड़े कर दिए.
यूक्रेन ने 1 जून को रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया. इस हमले में रूस के एयरबेस और 40 विमान या तो तबाह हो गए या फिर उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचा है. दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन की तरफ से किए गए इस ड्रोन हमले से रूस को लगभग 2 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है. हैरानी की बात है कि यूक्रेन ने रूस के अंदर लगभग 4000 किलोमीटर घुसकर इन हमलों को अंजाम दिया है. इस ऑपरेशन का नाम 'स्पाइडर वेब' रखा गया था. इस हमले को यूक्रेन की डिफेंस एजेंसी SBU ने अंजाम दिया है. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी इसे एक बड़ी कामयाबी बताया.
बेलाया (साइबेरिया)
दियागिलेवो (रियाज़ान)
इवानोवो (मध्य रूस)
ओलेनया (मुरमान्स्क)
यूक्रैनका (अमूर क्षेत्र)
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि रूस के पास आधुनिक हथियार होने के बावजूद यूक्रेन का यह हमला कैसे कामयाब हो गया. रूस के पास S-400 और S-500 जैसे खतरनाक मिसाइल सिस्टम हमले को रोकने में कैसे असफल हो गए. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में रक्षा एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि यूक्रेन ने यह हमले रूस के अंदर जाकर ट्रकों में छिपाकर लाए गए ड्रोन से किए हैं. साथ ही यह ड्रोन बहुत नीचे उड़ रहे थे, जिनकी तादाद लगभग 117 थी. यही कारण है कि रूस के S-400 जैसे खतरनाक मिसाइल सिस्टम नाकाम और थक गए.
खुफिया एजेंसी नाकाम और हथियारों की तैनाती भी गलत
इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा है कि इसमें सारा दोष मिसाइल सिस्टम्स को नहीं दिया जा सकता, बल्कि यह रूस की खुफिया एजेंसियों की भी बड़ी नाकामी है. क्योंकि दावा यह भी किया जा रहा है कि यूक्रेन इस खतरनाक हमले की तैयारी लगभग 1 साल से कर रहा था. साथ ही इन सिस्टम्स के असफल होने के पीछे एक और वजह यह भी हो सकती है कि उन्हें गलत जगहों पर तैनात किया हुआ हो या फिर ऑपरेटर्स ठीक से ऑपरेट ना कर पाए हों.