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Abu Dhabi Mandir: कैसा है अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर, जानें खासियत

Abu dhabi Mandir: सऊदी अरब के अबू धाबी में बने मंदिर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा है. आइए जानते हैं इस भव्य मंदिर में कौन-कौन सी देव प्रतिमाएं हैं.  

Abu Dhabi Mandir: कैसा है अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर, जानें खासियत
  • उत्तर प्रदेश के अयोध्या के पास छपिया
  • नीलकंठ वर्णी नाम से भी जाना जाता था  

नई दिल्ली: Abu Dhabi Mandir: आबू धाबी में बना भव्य हिंदू मंदिर BAPS स्वामीनारायण अक्षर पुरुषोत्तम संस्था द्वारा निर्मित है. यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण को समर्पित है, जो एक हिंदू धार्मिक गुरु थे जिन्होंने 18वीं और 19वीं शताब्दी में गुजरात, भारत में रहते थे. मूर्ति सफेद संगमरमर से बनी है और भगवान स्वामीनारायण को बैठे हुए मुद्रा में दर्शाती है. मंदिर में अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां भी होंगी, जिनमें भगवान शिव, भगवान गणेश और देवी दुर्गा शामिल हैं. आइए जानते हैं इस भव्य मंदिर में कौन-कौन सी देव प्रतिमाएं हैं.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा
अबू धाबी में बने इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है. इस मंदिर को BAPS संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है.  BAPS एक ऐसी संस्था है, जिसने दुनियाभर में 1,100 से ज्यादा हिंदू मंदिरों का निर्माण किया है. ये मंदिर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से भी काफी बड़ा है. आबू धाबी का मंदिर सऊदी अरब  पर स्थित है.  

आबू धाबी के BAPS में किसकी होगी पूजा 
आबू धाबी में बने जिस हिंदू मंदिर में मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय से संबंधित है और यहां मुख्य तौर पर इस संप्रदाय के आराध्य स्वामी नारायण महाप्रभु की मंदिर के गर्भ गृह में विशाल प्रतिमा विराजमान है.

हिंदू देवी-देवताओं की अन्य प्रतिमा 
आबू धावी के BAPS मंदिर में स्वामी नारायण महाप्रभु के अलावा यहां सीता-राम, लक्ष्मण जी, हनुमान जी, शिव-पार्वती समेत इन देव प्रतिमाओं का भी पूजन किया जाएगा.

कौन थे स्वामी नारायण  
स्वामी नारायण, जिन्हें सहजानंद स्वामी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय के संस्थापक थे. उनका जन्म 3 अप्रैल 1781 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या के पास छपिया नामक गांव में हुआ था. बचपन से ही स्वामी नारायण धार्मिक मामलों में रुचि रखते थे. इनको नीलकंठ वर्णी नाम से भी जाना जाता था. बचपन से ही स्वामी नारायण महाप्रभु आध्यात्मिक प्रवृति के थे. इन्होंने भगवान राम की नगरी अयोध्या में रहकर वेद-शास्त्रों का अध्यन कर अपनी शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने लोगों को ईश्वर के प्रति भक्ति करने और सदाचार का जीवन जीने के लिए प्रेरित किया.
 
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.) 

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