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Kharmas 2024: खरमास के दौरान इन चीजों का करें दान, जानें मलमास जुड़ी पौराणिक कथा

Kharmas 2024: खरमास के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन पूजा-पाठ किया जाता है. इस साल 15 दिसंबर 2024 से खरमास शुरू हो रहा है. आइए जानते हैं खरमास के दौरान किन चीजों का दान करना चाहिए. 

Kharmas 2024: खरमास के दौरान इन चीजों का करें दान, जानें मलमास जुड़ी पौराणिक कथा
  • खरमास के दौरान इन चीजों का करें दान 
  • खरमास में सूर्य की कैसे करें पूजा 

नई दिल्ली: ज्योतिष में खरमास के दौरान किसी भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस दौरान पूजा-पाठ और दान का अधिक महत्व होता है. खरीदारी के लिए खरमास बेहद शुभ माना जाता है. इस साल 2024 खरमास  की शुरुआत 15 दिसंबर को रात 10:19 बजे सूर्य वृश्चिक से निकलकर गुरु की राशि धनु में प्रवेश करेगा. इसके बाद 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के आते ही खरमास खत्म हो जाएगा. आइए जानते हैं खरमास के दौरान किन चीजों का दान करना चाहिए. वहीं खरमास से जुड़ी कहानी के बारे में भी जानते हैं. 

खरमास में दान का महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इस महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं. इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है. खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है. घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें. पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, तेल, अबीर, गुलाल, हार-फूल, दीपक, धूपबत्ती आदि.

करें सूर्य पूजा
ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि खरमास में सूर्य ग्रह की पूजा रोज करनी चाहिए. सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं. जल में कुमकुम, फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए. सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें.

मान्यता : गधों ने रथ खींचा, इसलिए हुआ खरमास
ज्योतिषाचार्या एवं फेमस टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्य देव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते हैं. घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें एहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. तालाब के पास दो खर मौजूद थे.

मान्यता के मुताबिक सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया. गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में जद्दोजहद करने से रथ की गति हल्की हो गई और जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा किया. घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया. इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है. यही वजह है कि हर साल खरमास लगता है.  

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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