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इस PM का बेटा लड़ना चाहता था चुनाव, जवाब मिला- घर छोड़कर चले जाओ

Chandra Shekhar: पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कई किस्से आज भी याद किए जाते हैं. उनके बड़े बेटे पंकज लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन चंद्रशेखर ने उनके सामने एक शर्त रख दी थी.

इस PM का बेटा लड़ना चाहता था चुनाव, जवाब मिला- घर छोड़कर चले जाओ
  • 1990 में देश के PM बने थे चंद्रशेखर
  • वंशवाद की राजनीति के खिलाफ थे

नई दिल्ली: Chandra Shekhar: देश के कई ऐसे नेता हैं जिनके बेटों से लेकर नाती-पोते तक राजनीति में आ गए हैं. खुद नेता ही अपने उत्तराधिकारी का ऐलान करते हैं, धीरे-धीरे सियासत के सोपान पर अपने पुत्र-पुत्रियों को चलना सिखाते हैं और एक दिन अपनी गद्दी उन्हें सौंप देते हैं. लेकिन धार के विरुद्ध बहने वाले नेता गिने-चुने ही होते हैं. ऐसे ही थे पूर्व PM चंद्रशेखर. जब उनके बेटे ने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, तब उन्होंने उसे घर से निकल जाने के लिए कहा. 

नाजुक दौर में बने PM
1989 के लोकसभा चुनाव के बाद विश्वनाथ प्रताप (वीपी) सिंह देश के पीएम बने. लेकिन एक साल के भीतर ही उनकी सरकार गिर गई. इस दौरान देश में मंडल कमिशन के खिलाफ आंदोलन तेज थे. तब राजीव गांधी के समर्थन से चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बनाया गया. चंद्रशेखर 1977 से लगातार बलिया से सांसद का चुनाव जीतकर आ रहे थे. सिर्फ 1984 में सहानुभूति लहर में चुनाव हारे थे. हालांकि, चंद्रशेखर 7-8 महीने ही पीएम रहे, राजीव गांधी ने समर्थन खींचना चाहा उससे पहले ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

चंद्रशेखर ने रखी थी ये शर्त
द प्रिंट के एक आर्टिकल के मुताबिक, चंद्रशेखर के बड़े बेटे पंकज ने एक बार बिहार की महाराजगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी. चंद्रशेखर शुरू से ही वंशवाद की राजनीति के खिलाफ थे. उन्होंने अपने बेटे से कहा कि यदि वह चुनाव लड़ना चाहता है तो तुरंत घर छोड़ दे. पांच साल तक महाराजगंज के वोटर्स के बीच रहे और उनकी सेवा करे. ऐसा काम करे कि जनता से उसे सांसद बनाने की मांग निकलकर सामने आए. हालांकि, पंकज ने अपने पिता की ये बातें नहीं मानी. 

विधवा से करवाया बेटे का विवाह
चंद्रशेखर यारों के यार थे. वे अपनी दोस्ती के आगे कुछ नहीं देखते थे. वे दिल्ली में 3, साउथ एवेन्यू स्थित आवास में रहते थे. उनके बगल में ओम मेहता रहते थे, जो 1971 से 1977 के बीच इंदिरा सरकार में गृहमंत्री भी रहे. जब इमरजेंसी लगी तब मेहता ने चंद्रशेखर और उनके परिवार से दूरी बना ली, ताकि इंदिरा गांधी को बुरा न लगे. लेकिन चंद्रशेखर ने कभी ओम मेहता से दोस्ती नहीं तोड़ी. ओम मेहता की बेटी विधवा थी, चंद्रशेखर ने अपने बेटे पंकज से उसका विवाह करवा दिया और दोस्ती की मिसाल पेश की.

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