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Jayant Chaudhary RLD: दो चुनाव में आईं '0' सीटें, फिर भी BJP को जयंत चौधरी की जरूरत क्यों?

Jayant Chaudhary RLD and BJP: साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी RLD कोई सीट नहीं जीत पाई. फिर भी भाजपा को उनके समर्थन की जरूरत है. 

Jayant Chaudhary RLD: दो चुनाव में आईं '0' सीटें, फिर भी BJP को जयंत चौधरी की जरूरत क्यों?
  • BJP ने दिया 4-5 सीटों का ऑफर
  • पश्चिमी यूपी में RLD की अच्छी पकड़

नई दिल्ली: Jayant Chaudhary RLD and BJP: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. RLD को BJP ने NDA में आने का ऑफर दिया है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि भाजपा ने जयंत चौधरी को 4 से 5 सीटों पर लड़ने का ऑफर दिया है. जबकि समाजवादी पार्टी पहले ही उन्हें 7 सीटों का ऑफर दे चुकी है. दिलचस्प बात ये है कि RLD का 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला, फिर भी भाजपा इस पार्टी को अपने पाले में करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. चलिए, जानते हैं कि BJP को जयंत चौधरी की पार्टी RLD की जरूरत क्यों है?

दो चुनावों में खाली हाथ रही RLD
साल 2014 में जयंत चौधरी की पार्टी RLD ने BJP के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन खाता नहीं खुल पाया. खुद जयंत चौधरी ने भी मथुरा से हेमा मालिनी के सामने चुनाव लड़ा. लेकिन भाजपा की प्रत्याशी और अभिनेत्री हेमा ने जीत दर्ज की और जयंत चुनाव हार गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में RLD ने SP और BSP के साथ गठबंधन किया था. तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और तीनों पर ही पार्टी हार गई. जयंत ने बागपत से चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी डॉ. सतपाल मलिक के सामने 23 हजार वोटों से हार गए. 2014 के चुनाव में RLD का वोट प्रतिशत 0.9% रहा और 2019 में वोट शेयर 1.7% रहा.  

फिर भी BJP को RLD की जरूरत क्यों?
RLD का वोट बैंक पश्चिमी यूपी में है, जो जाट बाहुल्य इलाका है. जाटों की बड़ी आबादी के कारण इस इलाके को जाट लैंड भी कहा जाता है. यहां पर लोकसभा की 27 सीटे हैं. 2019 में भाजपा ने यहां 19 सीटें जीती थीं. जबकि 8 सीटें महागठबंधन के खाते में गई. इस बार PM मोदी ने कहा है कि NDA 400 और BJP 370 सीटों पर जीत दर्ज करेगी. इस सपने को पूरा करने के लिए पश्चिमी यूपी में BJP संभावनाएं तलाश रही है. 

करीबी मार्जिन से जीते थे बालियान
2019 में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के सामने मुजफ्फरपुर से अजित सिंह ने चुनाव लड़ा था. बालियान महज 6500 वोटों से चुनाव जीते. ऐसे में BJP के लिए यह चौंकाने वाला था, क्योंकि 2014 के चुनाव में जाटों ने पीएम मोदी के चेहरे पर भरपूर वोट दिए थे. ऐसे में इस बार BJP किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाह रही. 

किसानों की नाराजगी अब तक
भाजपा साल 2021 में कृषि कानून लेकर आई, जिनका किसानों ने बड़े स्तर पर विरोध किया. इसमें भी जाटों की तादाद अधिक थी. BKU के नेता राकेश टिकैत भी इसी जाति हैं और वो लगातार क्षेत्र में BJP के खिलाफ माहौल बना रहे हैं. लेकिन अब जयंत की पार्टी RLD भाजपा के पक्ष में आती है तो पश्चिमी यूपी के जाटों को मनाने में कुछ हद तक कामयाब हो सकती है. 

सपा को जयंत से अब भी उम्मीद
दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि जयंत चौधरी पाला नहीं बदलेंगे. शिवपाल यादव ने कहा है कि मैं जयंत को सालों से जानता हूं, वो सेक्युलर हैं और भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि जयंत जी बहुत सुलझे हुए हैं, वे राजनीति को समझते हैं, मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई के लिए जो संघर्ष चल रहा है, वे उसे कमजोर नहीं होने देंगे. 

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