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EC office के बाहर टीएमसी सांसदों का धरना, दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए निर्वाचन आयोग की पीठ से मिलने के बाद धरने की घोषणा की थी. सांसद डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन समेत कई नेता हिरासत में हैं. 

EC office के बाहर टीएमसी सांसदों का धरना, दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया
  • टीएमसी ने की जांच एजेंसियों के प्रमुखों को बदलने की मांग
  • आरोप-केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही एजेंसी

नयी दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (IT) के प्रमुखों को बदलने की मांग को लेकर सोमवार को निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर 24 घंटे के धरने पर बैठे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मिलने के बाद धरने की घोषणा की थी. 

कौन-कौन हिरासत में
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, साकेत गोखले और सागरिका घोष, विधायक विवेक गुप्ता, पूर्व सांसद अर्पिता घोष, शांतनु सेन और अबीर रंजन विश्वास और पार्टी की छात्र शाखा की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष सुदीप राहा को हिरासत में ले लिया गया. 

क्या है आरोप
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस आरोप लगा रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं. सेन ने नयी दिल्ली के लिये रवाना होने से पहले कोलकाता हवाईअड्डे पर कहा, ''भाजपा हमारी पार्टी के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. जिस तरह से तीनों एजेंसियां एनआईए, ईडी और सीबीआई काम कर रही हैं तथा टीएमसी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, वह शर्मनाक है. हम निर्वाचन आयोग से सभी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का अनुरोध करेंगे.'' 

टीएमसी हमलावर
टीएमसी ने रविवार को चुनाव से पहले एनआईए और भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया था. हालांकि, जांच एजेंसी ने इन आरोपों से इनकार किया और विवाद को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया था. 

जांच एजेंसी की टीम पर हमला
एनआईए की टीम शनिवार को पूर्व मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर में साल 2022 में हुए विस्फोट के मामले में दो मुख्य संदिग्धों को गिरफ्तार करने गई थी, लेकिन भीड़ ने जांच एजेंसी की टीम पर कथित तौर पर हमला कर दिया था. वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जांचकर्ताओं के द्वारा ग्रामीणों पर हमला किए जाने का आरोप लगाया, जिससे राजनीतिक विवाद छिड़ गया. 

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