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Sanjay leela Bhansali ने बताया ओटीटी और सिल्वर स्क्रीन में क्या है फर्क? कहा- 'दबाव में नहीं...'

Sanjay leela Bhansali: थिएटर में फिल्म रिलीज करना और ओटीटी पर फिल्म रिलीज करना दो अलग चीजें होती हैं. हाल ही में हीरामंडी से ओटीटी की दुनिया में कदम रखने वाले संजय लीला भंसाली ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर बातचीत की और दोनों के बीच के फर्क पर रिएक्शन दिया है. आइए जानते हैं क्या बोले डायरेक्टर? 

Sanjay leela Bhansali ने बताया ओटीटी और सिल्वर स्क्रीन में क्या है फर्क? कहा- 'दबाव में नहीं...'
  • ओटीटी और बॉक्स ऑफिस को लेकर बोले संजय लीला भंसली
  • बोले-'सफलता या विफलता का दबाव नहीं रहता'

 

नई दिल्ली: Sanjay leela Bhansali: संजय लीला भंसाली को उनकी अनोखी फिल्मोग्राफी के लिए जाने जाता है. उनके प्रोजेक्ट्स में एक्टर्स और कहानी के साथ-साथ लोकेशन और सेट काफी कुछ बयां करते हैं. उनकी फिल्मों में रंगो और गानों का अत्याधिक महत्व होता है जिसका ताजा नमूना हम उनकी हालिया रिलीज 'हीरामंडी' से लगा सकते हैं. भंसाली इस सीरीज से ओटीटी की दुनिया में कदम रख चुके हैं. ओटीटी की दुनिया और बॉक्स ऑफिस की दुनिया के फर्क पर उनके क्या विचार हैं आइए जानते हैं. 

सफलता या विफलता का दबाव नहीं रहता

पद्मावत' और 'गंगूबाई काठियावाड़ी' जैसी फिल्मों में अपनी भव्यता और शानदार कहानी कहने के लिए जाने वाले डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने साल 1996 में फिल्म 'खामोशी: द म्यूजिकल' से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया था. हालिया इंटरव्यू में कहा, 'ओटीटी प्लेटफॉर्म वो है, जिस पर आप जो चाहते हैं उसे बनाने के लिए बहुत अधिक स्वतंत्रता लाते हैं. आप लगातार बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन के दबाव में नहीं रहते हैं.'

भविष्य के करियर पर निर्भर 

जहां आपका भविष्य का करियर आपके काम की सफलता या विफलता पर निर्भर करता है. आगे उन्होंने कहा, 'बेशक, इस माध्यम में सफलता और विफलता भी मौजूद है. अगर लोग इसकी सराहना करते हैं, तो यह बहुत अच्छा है. वे इसे देखते रहते हैं, यह बहुत अच्छा है. अगर वे इसे दूसरी बार देखते हैं, तो यह और भी बेहतर है.'

'यह महत्वपूर्ण है कि लोग इसे देखें'

भंसाली ने 'हीरामंडी' को इतनी सफलता मिलने की उम्मीद जताते हुए कहा, 'आम तौर पर लोग एक सीरीज को दो बार नहीं देखते हैं. कम से कम मैंने तो यही सुना है, हालांकि मैं इससे ज्यादा परिचित नहीं हूं. मुझे उम्मीद है कि 'हीरामंडी' इतनी सफल हो जाती है कि लोग सारे एपिसोड दोबारा देखते हैं. चाहे लोग बार-बार देखते हों या खंडों में देखते हों, मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे देखें.'

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