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Junaid Khan की डेब्यू फिल्म Maharaj का रास्ता साफ, गुजरात हाई कोर्ट ने दी क्लीन चीट

Junaid Khan Maharaj Release: जुनैद खान की डेब्यू फिल्म 'महाराज' (Maharaj) रिलीज से पहले ही विवादों में फस्ती नजर आ रही थी. फिल्म की रिलीज को लेकर काफी बवाल हुआ था जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी. अब खबर आ रही है कि कोर्ट ने फिल्म को लेकर बाद फैसला ले लिया है.   

Junaid Khan की डेब्यू फिल्म  Maharaj का रास्ता साफ, गुजरात हाई कोर्ट ने दी क्लीन चीट
  • जुनैद खान की डेब्यू फिल्म को मिली राहत 
  • नेटफ्लिक्स को मिली रिलीज की परमिशन 

 

नई दिल्ली: Junaid Khan Maharaj Release: आमिर खान के बेटे जुनैद खान फिल्मी दुनिया में कदम रखने की तैयारी कर रहे हैं. मगर जुनैद खान अपनी डेब्यू फिल्म की रिलीज को लेकर ही सुर्खियों में आ गए हैं. कई दिन से फिल्म की  रिलीज और उसपर रोक को लेकर काफी विवाद हो रहा था. अब उनकी डेब्यू फिल्म 'महाराज' पर छाए काने बादल छटते नजर आ रहे हैं. हालिया अपडेट के मुताबिक गुजरात हाई कोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर लगी रोक को हटा दिया है. बता दें रि पहले ये फिल्म 14 जून को रिलीज होने जा रही थी लेकिन फिल्म की रिलीज से ऐन पहले इस पर रोक लगा दी गई थी.

गुजरात हाई कोर्ट ने दी फिल्म को क्लीन चीट 

गुजरात हाई कोर्ट ने शुक्रवार 21 जून,2024 को ओटीटी प्लैटफॉर्म नेटफ्लिक्स की फिल्म 'महाराज' की रिलीज पर लगाई गई अपनी अस्थायी रोक को वापस ले लिया है. इस खबर से यकीनन फिल्म की पूरी टीम को बड़ी राहत मिली होगी. कोर्ट का कहना है कि फिल्म 'महाराज' 1862 के महाराज मानहानि मामले से जुड़ी घटनाओं पर आधारित है और इसका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. न्यायमूर्ति संगीता के.विसेन जिन्होंने फिल्म पर रोक लगाई थी ने फिल्म को देखने के बाद फिल्म पर लगी रोक को हटाने के फैसला लिया. न्यायालय ने कहा, 'यह न्यायालय प्रथम दृष्टया इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि फिल्म महाराज उन घटनाओं पर आधारित है जिनके कारण मानहानि का मामला दायर किया गया और इसका उद्देश्य किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है.'

क्यों लगी थी फिल्म पर रोक? 

बता दें कि फिल्म 14 तारीख को रिलीज होने वाली थी मगर रोक के कारण न हो सकी. रोक का कारण व्यापारियों के एक समूह था.  समूह ने इस आधार पर कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसमें वैष्णव समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की गई है. वहीं फिल्म की बात करें तो ये लेखक सौरभ शाह की 2013 की किताब पर आधारित है जो साल 1862 के ऐतिहासिक मानहानि मामले पर आधारित है.  न्यायमूर्ति विसेन ने ये भी कहा, 'याचिकाकर्ताओं की प्राथमिक शिकायत कि फिल्म वैष्णव समुदाय को बदनाम करती है और उसका अपमान करती है, में कोई दम नहीं है.'

गौरवपूर्ण और अभिन्न अंग बने रहे

उन्होंने आगे कहा, 'फिल्म किसी भी तरह से धार्मिक भावनाओं को प्रभावित या आहत नहीं करती है. फिल्म यह निष्कर्ष निकालती है कि संप्रदाय किसी भी व्यक्ति या घटना से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. इस घटना को अपवाद मानते हुए वैष्णव संप्रदाय और उसके अनुयायी बढ़ते रहे और भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक ताने-बाने का गौरवपूर्ण और अभिन्न अंग बने रहे. यह आशंका भी जताई जा रही है कि इससे सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होने की संभावना है. हालांकि उसी मानहानि मामले के आधार पर 2013 में पुस्तक प्रकाशित हुई थी और किसी घटना की सूचना नहीं दी गई है.'

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