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जब पुलिस की नौकरी छोड़ मायानगरी पहुंचे राजेंद्र कुमार, फिर ले लिया इतना बड़ा फैसला!

Rajendra Kumar Special: 'जुबली कुमार' कहे जाने वाले राजेंद्र कुमार ने अपने करियर में कई शानदार फिल्में दीं. हालांकि, इस सपने को साकार कर पाने का रास्ता बेहद मुश्किल था. चलिए आज एक्टर के जन्मदिन पर कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं.

जब पुलिस की नौकरी छोड़ मायानगरी पहुंचे राजेंद्र कुमार, फिर ले लिया इतना बड़ा फैसला!
  • राजेंद्र कुमार ने छोड़ी थी नौकरी
  • राजेंद्र ने बेची थी पिता की घड़ी

Rajendra Kumar Special: हिन्दी सिनेमा में 1960-70 के दौर के हीरोज की जब भी बात उठेगी, वो हर जिक्र 'जुबली कुमार' के बिना अधुरा रहेगा. आज यहां हम बात कर रहे हैं राजेंद्र कुमार के बारे में. 20 जुलाई, 1929 को सियालकोट में जन्में राजेंद्र का फिल्मी करियर जितना शानदार रहा, उतनी ही दिलचस्प थी उनकी फिल्मों में एंट्री. एक्टर ने परिवार ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा कभी बड़े पर्दे पर दिखेगा, लेकिन जब वह पर्दे पर उतरे तो हजारों तालियां लूट ले गए. चलिए आज एक्टर के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं.

राजेंद्र कुमार ने छोड़ी थी पुलिस की नौकरी

राजेंद्र कुमार का परिवार बंटवारे के बाद भारत में एक नई जिंदगी की शुरुआत करने लगा. उनके पिता ने भारत में कपड़ों का बिजनेस शुरू किया, जिसमें वक्त के साथ उन्हें अच्छा कारोबार भी होने लगा. इस बीच राजेंद्र कुमार सरकारी नौकरी मिल गई. उनकी पुलिस विभाग में नौकरी लग गई थी. हालांकि, कहते हैं कि जब उन्हें पुलिस की ट्रेनिंग के लिए निकलना था, उससे 2 दिन पहले ही वह एक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए मायानगरी मुंबई आ गए.

राजेंद्र ने पिता की दी हुई घड़ी बेची

दरअसल, शायद किसी को पता ही नहीं था कि राजेंद्र कुमार के मन में एक कलाकार बनने का सपना कहीं छिपा बैठा था. अक्सर दोस्त भी उन्हें एक्टिंग में ही करियर बनाने की सलाह देते थे. ऐसे में एक्टिंग के लिए राजेंद्र जुनून भी बढ़ता गया और मौका मिलते ही वह मुंबई भाग आए. उस समय उनकी जेब में सिर्फ 50 रुपये थे, जो उन्हें तब अपने पिता की दी हुई घड़ी बेचकर मिले थे. हालांकि, मुंबई आकर राजेंद्र को एहसास हुआ कि एक्टर बनने की राह उतनी आसान नहीं थी, जितनी उन्होंने सोची थी.

इस तरह मिली इंडस्ट्री में एंट्री

काफी संघर्ष के बाद गीतकार राजेंद्र कृष्ण ने राजेंद्र कुमार की ओर मदद का हाथ बढ़ाया और उन्हें डायरेक्टर एचएस रवैल के सहायक के तौर पर काम दिला दिया. इसके लिए उन्हें 150 रुपये सैलरी मिलती थी. कुछ समय बाद ही उन्हें 1950 में आई फिल्म 'जोगन' में अपने अभिनय का जौहर दिखाने का मौका मिला. इस फिल्म में वह दिलीप कुमार और नूतन संग दिखे थे. हालांकि, इसके बाद से ही राजेंद्र की किस्मत पलट गई. 1950 से 1957 तक के वक्त में ही उन्होंने खुद को ऐसा साबित किया कि दर्शकों के दिलों पर राजेंद्र ही छा गए.

नूतन पर आया था राजेंद्र का दिल

राजेंद्र को दर्शकों का प्यार तो मिल रहा था, लेकिन असल जिंदगी में उन्हें वो प्यार नहीं मिल पाया जिसकी उन्हें चाहत थी. कहते है कि एक वक्त था जब राजेंद्र का दिल एक्ट्रेस नूतन के लिए धड़कता था, लेकिन जब उन्होंने अपने परिवार के सामने नूतन से शादी करने की इच्छा जताई तो उन्हें इजाजत नहीं मिली. ऐसे में दोनों ने एक दूसरे से दूर रहने का फैसला कर लिया. एक्टर के लिए नूतन से दूर रह पाना बेहद मुश्किल होता जा रहा था.

इस फिल्म में दोबारा साथ दिखे नूतन-राजेंद्र

रिपोर्ट्स की माने तो नूतन से दूर होने के बाद राजेंद्र कई महीनों तक रोते रहे. इस कारण उनकी आंखों में भी कुछ परेशानी हो गई थी. इसके बाद नतीजा ये निकाला गया कि वह दोनों दोबारा किसी फिल्म में साथ काम नहीं करेंगे. हालांकि, सालों बाद डायरेक्टर सावन कुमार ने राजेंद्र और नूतन की इस कसम तो तुड़वाते हुए उन्हें अपनी फिल्म 'साजन बिना सुहागन' में काम करने के लिए राजी कर लिया.

राजेंद्र को मिले कई अवॉर्ड्स

राजेंद्र कुमार आज बेशक हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी यादगार फिल्मों और किरदारों के कारण वह हमेशा ही हिन्दी सिने प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगें. राजेंद्र अपने करियर में 85 से भी ज्यादा फिल्मों का हिस्सा बने, इस दौरान उन्हें पद्मश्री सहित कई बड़े अवॉर्ड्स से नवाजा गया.

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