Air India most hated Seat 11A: इसे किस्मत कहें या क्या? Seat 11A, जो आमतौर पर ज्यादातर हवाई यात्रियों के लिए आखिरी पसंद होती है, लेकिन भारत की सबसे घातक विमानन आपदाओं में से एक में एक व्यक्ति की जान बचाने वाली चीज बन गई.
12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी. लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद विमान ने 'Mayday' कॉल भेजा, एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क खो दिया और हवाई अड्डे की परिधि से बाहर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई.
केवल एक व्यक्ति बच गया. वह ब्रिटिश-भारतीय विश्वास कुमार रमेश हैं. क्या इसका श्रेय उसी सीट को जाता है जिस पर अधिकांश यात्री बैठने से बचने की कोशिश करते हैं?
लेकिन 11A सीट 'सबसे ज्यादा नापसंद' क्यों है?
सीट 11A लंबे समय से लगातार उड़ान भरने वाले यात्रियों के बीच पहली पसंद नहीं है. लोग इसपर बैठना पसंद नहीं करते और इसके पीछे कारण भी हैं.
अमेरिकन एयरलाइंस के फ्लाइट अटेंडेंट के अनुसार, सीट 11A और 11F ऐसी सीटें हैं जिनके बारे में यात्री अक्सर शिकायत करते हैं. पिछले साल द सन से बात करते हुए, उन्होंने बताया कि इन सीटों पर बैठे यात्री आमतौर पर सबसे आखिर में उतरते हैं, क्योंकि ये सीटें विमान के ठीक बीच में होती हैं.
उन्होंने कहा, 'अगर आप जल्दी से जल्दी बाहर निकलना चाहते हैं, तो हर कीमत पर 11वीं पंक्ति से बचें.' लेकिन शायद यात्रियों को सबसे ज्यादा नापसंद यह बात है कि 11A विंडो सीट तो है, लेकिन बिना विंडो के.
कई कारणों से 9A, 10A, 11A और 12A जैसी सीटों पर कभी-कभी खिड़कियां नहीं मिलती. यह बोइंग 737 विमानों में विशेष रूप से आम बात है. इसका नतीजा यह कि निराश यात्री जिन्होंने खिड़की वाली सीट बुक की थी, उन्हें बगल में खाली दीवार मिली.
समय के साथ, सीट 11A से लोगों ने दूरी बना ली. लेकिन यह वही सीट है, जिसका कई लोगों ने बॉयकॉट किया, लेकिन शायद इसी ने शख्स का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभाई हो. चूंकि विश्वास रमेश के चमत्कारी बचने को 11A से जोड़ा गया, इसलिए लोग अब सोच रहे हैं कि क्या इस सीट को एक नया नाम मिलना चाहिए: 'चमत्कारी सीट.'
सीट 11A कैसे विश्वास के लिए 'भाग्यशाली' बन गई?
अस्पताल में करते हुए, विश्वास रमेश ने उस क्षण को याद किया जब उन्हें एहसास हुआ कि वे एयर इंडिया दुर्घटना के बाद भी कैसे जीवित हैं.
उन्होंने कहा,'मुझे नहीं पता कि मैं कैसे बच गया. कुछ समय के लिए, मुझे लगा कि मैं भी मर रहा हूं. लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो मैंने बाहर निकलने की कोशिश की. मैंने देखा कि गेट टूटा हुआ था और एक छोटा सा गैप था, मैं उसमें से कूद गया.' दरअसल, रमेश की सीट 11A इकोनॉमी सेक्शन की पहली पंक्ति में स्थित थी, जो बिजनेस क्लास के ठीक पीछे और बाईं ओर के आपातकालीन निकास के करीब थी. उस स्थिति ने शायद सारा अंतर पैदा कर दिया होगा.
उनका मानना है कि दुर्घटना के दौरान आपातकालीन दरवाजा खुल गया होगा. दरवाजा टक्कर लगने से टूट गया होगा. दूसरी तरफ एक दीवार थी, लेकिन मेरे पास, वह खुली थी. मैं भागा. मुझे नहीं पता कि कैसे.'
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