Operation Sindoor Success: भारत के ऑपरेशन सिंदूर की जबरदस्त सफलता पर प्रकाश डालते हुए शीर्ष अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि वाशिंगटन नई दिल्ली की सफलता से सीख सकता है और रक्षा निर्माण प्रक्रिया में अपने कुछ बदलावों को अपनी जरूरतों के हिसाब से ढाल सकता है.
स्मॉल वॉर्स जर्नल (SWJ) के लिए अपने विस्तृत विश्लेषण (जिसका शीर्षक है) 'India’s Wake-Up Call: Why US Defense Reform Must Match the Speed of Modern War' में प्रमुख अमेरिकी रक्षा विश्लेषक जॉन स्पेंसर और न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज के पूर्व अध्यक्ष और CEO विन्सेंट वियोला (जिन्होंने 101वें एयरबोर्न डिवीजन में भी काम किया है) ने भारत को 'घातक फिजिक्स का उस्ताद' कहा, जिससे अमेरिका बहुत कुछ सीख सकता है.
कौन जीतेगा आगे का युद्ध?
अपने विश्लेषण में, दोनों ने कहा कि अमेरिका को रक्षा सुधारों में व्यापक बदलाव की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आज के युद्ध, तथा क्षितिज पर मंडराने वाले और भी अधिक क्रूर युद्ध, धीमे, फूले हुए या नौकरशाही से विवश लोगों द्वारा नहीं जीते जाएंगे, बल्कि वे लोग जीतेंगे जो तेजी से सोच सकते हैं, तेजी से निर्माण कर सकते हैं, तथा अधिक चतुराई से लड़ सकते हैं और सबसे बढ़कर, वे लोग जीतेंगे जो आधुनिक युद्धक्षेत्र में आवश्यक मारक क्षमता के फिजिक्स में निपुण हैं.
'मेक इन इंडिया' का जिक्र
मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में शहरी युद्ध अध्ययन के अध्यक्ष स्पेंसर और वियोला ने भारत को एक 'सम्मोहक मॉडल' बताया और बताया कि कैसे 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई 'मेक इन इंडिया' पहल भारत के रक्षा क्षेत्र में सुधार लाने में एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई और एक दशक बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसमें किया गया भारी निवेश रंग लाया.
भारत की तारीफ
विशेषज्ञों ने SWJ में अपने लेख में लिखा, 'ऑपरेशन सिंदूर एक और सीमा पार आतंकवादी हमले का त्वरित और सटीक सैन्य जवाब मात्र नहीं था. यह एक रणनीतिक मोड़ था. केवल चार दिनों में, भारत ने घरेलू स्तर पर विकसित प्रणालियों का उपयोग करके सीमा पार के कठिन लक्ष्यों पर सटीकता, गति और जबरदस्त प्रभाव से हमला किया. कोई अमेरिकी प्रणाली नहीं. कोई विदेशी आपूर्ति लाइनें नहीं. केवल ब्रह्मोस मिसाइलें, आकाशतीर वायु रक्षा इकाइयां, और स्वदेश में डिजाइन या असेंबल किए गए युद्धक उपकरण.'
उन्होंने आगे कहा, 'भारत की ज़बरदस्त सफलता ने वायुशक्ति से कहीं अधिक स्थायी चीज का प्रदर्शन किया. इसने कुशल घरेलू औद्योगिक शक्ति पर आधारित राष्ट्रीय रक्षा सिद्धांत को मान्यता दी. और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसने अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी को एक स्पष्ट संदेश दिया. पाकिस्तान, जो हथियारों और अन्य चीजों के मामले में चीन पर निर्भर था वह पूरी तरह से परास्त हो गया. उसकी चीन निर्मित वायु रक्षा प्रणालियां भारत के सटीक हमलों को रोक, पता लगा या रोक नहीं सकीं. ऑपरेशन सिंदूर में, भारत ने सिर्फ जीत हासिल नहीं की. इसने एक चीनी समर्थित प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जबरदस्त सैन्य श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया.'
उन्होंने लिखा, 'भारत रक्षा पूंजीगत खरीद में घरेलू स्रोतों से 30 प्रतिशत से बढ़कर 65 प्रतिशत हो चुका है और इस दशक के अंत तक इसे 90 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है. इसने घरेलू उत्पादन के लिए पूंजीगत व्यय को 2019-2020 के 6 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2023-24 में लगभग 20 अरब डॉलर कर दिया है. इसने रक्षा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है, जिससे स्वदेशी क्षमता का निर्माण करते हुए विदेशी साझेदारों को शामिल किया जा सके. भारत ने सुधारों की सिर्फ बातें ही नहीं कीं. बल्कि उन्हें लागू भी किया. और जीत भी हासिल की.'
अमेरिका से क्या कहा?
अमेरिका से न केवल अपनी रक्षा औद्योगिक शक्ति को पुनर्जीवित करने, बल्कि पैमाने, गति और स्थिरता पर मारक क्षमता के फिजिक्स में भी महारत हासिल करने का आग्रह करते हुए, विशेषज्ञों ने स्थायी, तैनाती योग्य शिक्षण दल स्थापित करने का आह्वान किया, जो मीडिया रिपोर्टों से सबक लेने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें सीधे जमीन से चीजे इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किए गए हों.
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