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मोदी-शाह की BJP में कम चर्चित चेहरे बने CM, इसके क्या फायदे-नुकसान?

BJP New CM Faces: यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने ऐसे चेहरों को सीएम बनाया है जो रेस में थे ही नहीं. इससे पहले पार्टी ने पार्टी ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और गुजरात में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था. 

मोदी-शाह की BJP में कम चर्चित चेहरे बने CM, इसके क्या फायदे-नुकसान?
  • नई लीडरशिप उभरेगी
  • अंदरूनी बगावत का खतरा

नई दिल्ली: BJP New CM Faces: भाजपा ने दो राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया है. छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय और मध्य प्रदेश में डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया है. यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने ऐसे चेहरों को सीएम बनाया है जो रेस में थे ही नहीं. इससे पहले पार्टी ने पार्टी ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और गुजरात में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया था. धामी अपनी सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे, फिर भी उन्हें दोबारा सीएम बनाया गया. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जो चेहरे चर्चित नहीं हैं, उन्हें सीएम बनाने से क्या फायदे-नुकसान होंगे. 

BJP को क्या फायदे हो सकते हैं?

नई लीडरशिप उभरेगी: भाजपा नए चेहरों को मौका देकर आगे के लिए लीडरशिप तैयार कर रही है. ज्यादातर लोकप्रिय चेहरे उम्रदराज हो चुके हैं. पार्टी ने जिन नए चेहरों को मौका दिया है, वे राजनीति की लंबी पारी खेल सकते हैं. 

प्रभावी होगा आलाकमान: पुराने चेहरों को हटाने से आलाकमान मजबूत होगा. कांग्रेस के कई स्थानीय क्षत्रपों ने आलाकमान की अवेहलना की है. BJP नहीं चाहती कि उनके साथ भी ऐसा हो, इसलिए पुराने चेहरों को किनारे किया जा रहा है. 

एंटीइनकंबेंसी से छुटकारा: पुराने चेहरों के प्रति एंटीइनकंबेंसी भी रहती है. मध्य प्रदेश में शिवराज के चेहरे से प्रदेश का एक बड़ा वर्ग बोरियत महसूस करने लगा था. वो बदलाव चाहता था. यही कारण है कि भाजपा ने जनता के सामने नए चेहरे रखे हैं.

 BJP को क्या नुकसान हो सकते हैं?

अंदरूनी बगावत: नए चेहरों को लाने से पुराने नेता खफा हो सकते हैं. मोदी-शाह की भाजपा में वो सीधे तौर पर नहीं, तो अंदरूनी तौर पर बागी हो सकते हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान भी पहुंचा सकते है. इसलिए बगावत का खतरा हरदम बना रहेगा. 

जिताऊ चेहरा नहीं: कई नेता प्रदेश में काफी लोकप्रिय हैं. लेकिन जो नए चेहरे सीएम बने हैं, वे लोकप्रिय नहीं हैं. अपने दम पर दूसरों को चुनाव जितवाने के काबिल नहीं हैं. उत्तराखंड के सीएम अपनी ही सीट से चुनाव हार गए थे. पीएम मोदी के चेहरे के बाद राज्यों में भी लोकप्रिय चेहरा नहीं होगा.

खेमेबाजी: दिग्गज नेताओं को साइडलाइन करने से राज्य स्तर पर पार्टी में खेमे बन सकते हैं. सीएम से निराश विधायक प्रभावी नेताओं के खेमे में जा सकते हैं. इससे राज्य में पावर सेंटर बनने के लिए भी लड़ाई हो सकती है. अनुभवी चेहरों को सीएम बनाने पर वे खेमेबाजी रोक सकते हैं. नए चेहरे इसमें अनुभवी नहीं हैं. 

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