BITS Pilani students developed kamikaze drones: कुछ कर गुजरने की जिद हो तो वह कहीं से भी हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही कारनामा BITS पिलानी के दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने कर दिखाया है. जिन्होंने न केवल अपने हॉस्टल रूम में एडवांस ड्रोन का प्रोपोटाइप बनाया. बल्कि उसे इतना घातक बनाया है कि भारतीय सेना उसे अब अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है. ऐसे में, आइए जानते हैं क्या है ये ड्रोन और कैसे इंडियन आर्मी के बेड़े तक अपनी पहुंच बनाने में सफल रहा.
BITS पिलानी के छात्रों ने किया कमाल
BITS पिलानी के हैदराबाद कैंपस के मैकेनिकल इंजीनियर जयंत खत्री और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर शौर्य चौधरी ने मिलकर Apollyon Dynamics नाम की एक कंपनी बनाई है. इस कंपनी ने भारतीय सेना के लिए ऐसे कामिकेज ड्रोन बनाए हैं, जिनकी खासियत जानकर दुनिया हैरान है. ये ड्रोन सिर्फ तेजी से उड़ते ही नहीं, बल्कि दुश्मनों के रडार से भी बच निकलने में माहिर हैं.
हॉस्टल से निकलकर इंडियन आर्मी तक पहुंचा
जयंत खत्री और शौर्य चौधरी की कहानी वाकई कमाल की है. बिना किसी बड़े सपोर्ट के, इन दोनों ने ऑफ-द-शेल्फ कॉम्पोनेंट्स का इस्तेमाल करके अपने हॉस्टल के कमरे में ही पहले ड्रोन प्रोटोटाइप असेंबल किए. जयंत खत्री बताते हैं कि उन्होंने लिंक्डइन पर आर्मी ऑफिसर्स को ‘कोल्ड मैसेजेस’ भेजना शुरू किया. किस्मत अच्छी थी कि एक कर्नल ने जवाब दिया और डेमो के लिए चंडीगढ़ बुलाया. इस एक मौके ने सब कुछ बदल दिया. डेमो के दौरान इन ड्रोनों ने अपनी बम-ड्रॉपिंग और रेसिंग क्षमताओं से सेना के अधिकारियों को प्रभावित किया, जिसके बाद उनकी स्टार्टअप को ऑर्डर मिलने शुरू हो गए.
स्पीड, सटीकता और रडार से बच निकलने की ताकत
Apollyon Dynamics का फ्लैगशिप ड्रोन एक कामिकेज ड्रोन है, जो 300 किमी/घंटा से ज्यादा की स्पीड से उड़ सकता है. यह कमर्शियल ड्रोन से पांच गुना ज्यादा तेज है और 1 किलोग्राम तक का पेलोड सटीकता से पहुंचा सकता है. शौर्य चौधरी बताते हैं कि ‘हमारे ड्रोन सिर्फ तेज नहीं हैं, बल्कि उन्हें रडार पर भी डिटेक्ट नहीं किया जा सकता है.’ हर ड्रोन को इन-हाउस ही बनाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना की यूनिट्स ने इन ड्रोनों को जम्मू, हरियाणा के चंडीमंदिर, बंगाल के पानागढ़ और अरुणाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में शामिल करना शुरू कर दिया है.
सेना को मिलेगी ट्रेनिंग का फायदा
दोनों छात्रों की कंपनी एक कदम आगे बढ़कर आर्मी पर्सनल को ड्रोन ट्रेनिंग भी दे रहा है. इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें पहले से कोई फ्लाइट एक्सपीरियंस नहीं है. इसका मतलब यह है कि भारतीय सेना सिर्फ लेटेस्ट टेक्नोलॉजी हासिल नहीं कर रही, बल्कि उसे रियल-वर्ल्ड सिचुएशन में इफेक्टिवली इस्तेमाल करने की पूरी जानकारी और क्षमता भी मिल रही है.
भविष्य की तैयारी में अपोलियन डायनेमिक्स
जयंत और शौर्य का यह सफर रोबोटिक्स के प्रति उनके साझा जुनून से शुरू हुआ था. आज, अपोलियन डायनेमिक्स का विस्तार हो चुका है, जिसमें छह सेकंड-ईयर स्टूडेंट्स भी जुड़ गए हैं. यह टीम नेक्स्ट-जेनरेशन वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग और फिक्स्ड-विंग ड्रोन प्लेटफॉर्म्स पर काम कर रही है, ताकि ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी को और बढ़ाया जा सके.
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