Apache Attack Helicopters: भारतीय सेना की एविएशन कोर ने हाल ही में तीन बोइंग AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के साथ अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. ये हेलीकॉप्टर, फरवरी 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हुए 600 मिलियन डॉलर के सौदे का हिस्सा हैं. साथ ही ये सेना की हवाई हमले और टोही क्षमताओं को आधुनिक बनाने के लिए ऑर्डर किए गए छह अपाचे हेलीकॉप्टरों की पहली खेप थी.
शेष तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति दिसंबर 2025 तक होने की उम्मीद है, जिससे यह ऑर्डर पूरा हो जाएगा और पाकिस्तान के साथ अपनी अस्थिर पश्चिमी सीमा पर भारत की परिचालन तैयारियां मजबूत होंगी. इन हेलीकॉप्टरों को पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर तैनात किया जाएगा.
हेलीकॉप्टर नहीं हवा में उड़ने वाले टैंक
AH-64E अपाचे को उड़ने वाला टैंक भी कहा जाता है. दुनिया के सबसे एडवांस मल्टी रोल निभाने वाले ये अटैक हेलीकॉप्टरों में से एक है, जो अत्याधुनिक सेंसर, हेलफायर प्रिसिजन-स्ट्राइक मिसाइलों, स्टिंगर एयर-टू-एयर मिसाइलों और 30 मिमी चेन गन से लैस है, जो प्रति मिनट 625 कवच-भेदी राउंड फायर करने में सक्षम है.
265 किमी/घंटा की क्रूजिग गति और 476 किमी की रेंज के साथ, अपाचे एंटी-आर्मर, क्लोज एयर सपोर्ट और टोही अभियानों में उत्कृष्ट है. खासकर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में, जहां जोधपुर के नागतलाओ में 451 एविएशन स्क्वाड्रन स्थित है.
तीन अपाचे पहुंचे हिंडन एयरबेस
पहले तीन अपाचे 21 जुलाई, 2025 को हिंडन एयरबेस पहुंचे, जहां उन्हें एक An-124 भारी परिवहन विमान के माध्यम से ले जाया गया. जोधपुर में एक औपचारिक इंडक्शन समारोह की योजना बनाई गई है.
भारतीय सेना ने इस डिलीवरी को एक मील का पत्थर बताते हुए कहा, 'ये अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म भारतीय सेना की परिचालन क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे.' दिसंबर 2025 तक अपेक्षित तीन हेलीकॉप्टरों का दूसरा बैच ऑर्डर को पूरा करेगा, जिससे स्क्वाड्रन पूर्ण परिचालन क्षमता प्राप्त कर सकेगा.
अपाचे की आपूर्ति भारतीय सेना की उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष क्षेत्रों में सटीक हमले और टोही करने की क्षमता को बढ़ाएगी. भारतीय वायु सेना (IAF) के पास पहले से ही 22 AH-64E अपाचे हैं. ये पठानकोट और जोरहाट में तैनात हैं, जिन्होंने IAF के चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अभियानों में अपना महत्व साबित किया है, लेकिन रेगिस्तानी युद्ध में सेना की विशिष्ट नजदीकी हवाई सहायता के लिए अब आर्मी के लिए भी यह जरूरी थे, जो कि उन्हें मिल गए हैं.
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