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क्या है BSF का इतिहास? जिनसे बॉर्डर पर खौफ खाते हैं दुश्मन; जानें किन युद्धों में मनवाया अपना लोहा

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF. भारत की पहली रक्षा पंक्ति के रूप में जानी जाती है. जिसने 1971 वॉर और कारगिल वॉर में न केवल भारतीय सेना को बढ़त दिलाई, बल्कि जीत भी सुनिश्चित की.

क्या है BSF का इतिहास? जिनसे बॉर्डर पर खौफ खाते हैं दुश्मन; जानें किन युद्धों में मनवाया अपना लोहा
  • भारत की सीमा सुरक्षा के लिए BSF का हुआ गठन
  • आतंक व घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर है तैनात

Border security force details: अक्सर हम अपने घरों में सुकून से सोते हैं, त्योहार मनाते हैं, या अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त रहते हैं, यह जाने बिना कि सरहदों पर कोई हमारी रक्षा के लिए अपनी जान दांव पर लगाए खड़ा है. भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि हमारी सीमाएं कई देशों से मिलती हैं, और इन सीमाओं को सुरक्षित रखना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध ने सबक सिखाया कि हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक समर्पित और ट्रेंड सुरक्षा बल की आवश्यकता है. इससे पहले, राज्यों की पुलिस टुकड़ियां अलग-अलग हिस्सों में सीमा की रक्षा करती थीं, जिसमें तालमेल और प्रभावी रणनीति का अभाव था. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, और BSF का गठन किया गया. जिसने भारत की सुरक्षा को एक नई दिशा दी. आइए BSF के गठन से लेकर सैलरी और बड़े युद्धों में निभाई गई भूमिका के बारे में विस्तार से जानते हैं.

1965 में हुआ BSF का गठन
यह दिसंबर 1965 का महीना था, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध की तपिश अभी भी महसूस की जा रही थी. इस युद्ध ने हमारी सीमा सुरक्षा रणनीति में मौजूद कमियों को उजागर कर दिया था. भारत सरकार ने तुरंत कार्रवाई की और 1 दिसंबर 1965 को एक विशेष बल का गठन किया. नाम रखा गया सीमा सुरक्षा बल.

Border Security Force (BSF). इसे 'भारत की पहली रक्षा पंक्ति' के रूप में स्थापित किया गया. यह सिर्फ एक पुलिस बल नहीं था, बल्कि एक ऐसा अर्धसैनिक बल था जिसे शांतिकाल में सीमा की निगरानी और सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया, और युद्धकाल में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने की जिम्मेदारी. इस दिन से भारतीय सीमाओं की सुरक्षा एक नए और मजबूत हाथों में आ गई.

इन युद्धों में बीएसएफ ने दिखाई ताकत
बीएसएफ का गठन भले ही शांतिकाल की सीमाओं की निगरानी के लिए हुआ हो, लेकिन इसके जवानों ने हर बड़े युद्ध में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है.

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
इस युद्ध में बीएसएफ ने जबरदस्त भूमिका निभाई. BSF ने पाकिस्तानी सेना की अग्रिम चौकियों को ध्वस्त कर अपनी ताकत दिखाई. जिससे भारतीय सेना के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ हुआ. वहीं, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी बीएसएफ ने मुक्ति वाहिनी के साथ मिलकर काम किया और पूर्वी पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में घुसकर दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया. कई जगहों पर तो बीएसएफ ने सीधे पाकिस्तानी सेना से मोर्चा लिया और उन्हें पीछे धकेल दिया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 की जंग में बीएसएफ ने जीत का रास्ता तैयार किया था.

कारगिल युद्ध 1999
कारगिल की बर्फीली चोटियों पर जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था, तब भी बीएसएफ के जवान सबसे पहले मोर्चे पर थे. उन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर दुश्मन को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई. कठिन परिस्थितियों में भी उनका साहस और दृढ़ संकल्प काबिले तारीफ था.

सीमा पार घुसपैठ और आतंकवाद का मुकाबला
इन बड़े युद्धों के अलावा, बीएसएफ लगातार पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ, तस्करी और आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए चौबीसों घंटे तैनात रहती है. वे आए दिन सीमा पार से होने वाले हमलों, स्नाइपर फायरिंग और ड्रोन गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब देते हैं. हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि बीएसएफ ने पाकिस्तान की 118 से अधिक चौकियों और उनकी निगरानी प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, जो उनकी आक्रामक सुरक्षा नीति का एक हिस्सा है.

BSF जवानों की सैलरी कितनी होती है?
बीएसएफ में सेवा देना सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि देश सेवा का एक बड़ा जुनून है. इस चुनौतीपूर्ण काम के लिए जवानों को उचित वेतन और भत्ते दिए जाते हैं.  जिनमें पद के मुताबिक सैलरी कुछ इस तरह है.

कांस्टेबल- एक बीएसएफ कांस्टेबल का मूल वेतन ₹21,700 से शुरू होता है और ₹69,100 तक जा सकता है. यह पे लेवल 3 के तहत आता है.
सब-इंस्पेक्टर (SI)- सब-इंस्पेक्टर का मूल वेतन ₹35,400 से ₹1,12,400 प्रति माह तक हो सकता है. यह पे लेवल 6 के तहत आता है.

अन्य भत्ते- मूल वेतन के अलावा, जवानों को कई अन्य भत्ते भी मिलते हैं जो उनकी कठिन ड्यूटी और जोखिम भरे माहौल को देखते हुए दिए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं. महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, परिवहन भत्ता, राशन मनी अलाउंस, जोखिम भत्ता, चिकित्सा सुविधाएं और वर्दी भत्ता. इन भत्तों से बीएसएफ के जवानों को एक सम्मानजनक सैलरी मुहैया की जाती है.

BSF की भर्ती प्रक्रिया क्या है?
बीएसएफ में शामिल होना एक सम्मान की बात है, और इसके लिए एक कठोर और कई स्टेप्स की भर्ती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल सबसे योग्य और दृढ़निश्चयी उम्मीदवार ही सुरक्षा बल का हिस्सा बनें. आइए भर्ती प्रकिया को इन 7 बिंदुओं में समझते हैं.

1. विज्ञापन और आवेदन- बीएसएफ समय-समय पर अपनी आधिकारिक वेबसाइट (rectt.bsf.gov.in) और प्रमुख समाचार पत्रों में विभिन्न पदों (कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर आदि) के लिए भर्ती अधिसूचनाएं जारी करता है. उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

2. लिखित परीक्षा- यह पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है. इसमें सामान्य ज्ञान, तर्कशक्ति यानी रिजनिंग, गणित और हिंदी या अंग्रेजी जैसे विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं.

3. इसके बाद  शारीरिक मानक परीक्षण (PST) और शारीरिक दक्षता परीक्षा (PET) होती है.  PST में उम्मीदवारों की ऊंचाई, वजन और छाती के माप की जांच की जाती है. वहीं, PET में दौड़, लंबी कूद और ऊंची कूद जैसे शारीरिक परीक्षण शामिल होते हैं.

4. इसके अलावा, कुछ पदों के लिए  ट्रेड टेस्ट होते हैं. अगर उम्मीदवार किसी विशेष ट्रेड, जैसे- कुक, मोची, दर्जी, माली आदि के लिए आवेदन कर रहा है, तो उसे उस ट्रेड से संबंधित स्किल परीक्षा देनी होती है.

5. इन सब चरणों को पास करने के बाद चिकित्सा परीक्षा (Medical Examination) होती है. जिसमें योग्य उम्मीदवारों की विस्तृत चिकित्सा जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से सेवा के लिए पूरी तरह फिट हैं.

6. आखिरी में दस्तावेज सत्यापन (Document Verification) किया जाता है. जिसमें उम्मीदवारों के सभी शैक्षिक और अन्य जरूरी दस्तावेजों का सत्यापन किया जाता है.

7. इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक पास करने वाले उम्मीदवारों को ही बीएसएफ में शामिल होने का अवसर मिलता है. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए हमेशा सबसे योग्य और समर्पित जवान ही तैनात रहें.

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