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भारत को सबसे ज्यादा किसने लूटा? अंग्रेज और मुगल में हो जाएंगे कन्फ्यूज

भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में से एक है, लेकिन इतिहास में यहां की धरती पर कई आक्रमणकारी आएं और लूटकर चले गए. यह आर्थिक लूट ही थी, जिसने भारत को 'सोने की चिड़िया' से निकालकर गरीबी के दलदल में धकेल दिया.

भारत को सबसे ज्यादा किसने लूटा? अंग्रेज और मुगल में हो जाएंगे कन्फ्यूज
  • मुगलों और अंग्रेजों ने सैकड़ों साल भारत पर किया राज
  • भारत के संसाधनों को लूटकर अपना साम्राज्य बढ़ाया
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भारत के लंबे और समृद्ध इतिहास में कई विदेशी आक्रमणकारी आए, जिन्होंने यहां के धन को बेतहाशा लूटा. लेकिन जब बात सबसे बड़े लुटेरे की आती है, तो अक्सर लोग मुगल और अंग्रेजों के बीच भ्रमित हो जाते हैं. हालांकि, दोनों की जब ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर तुलना की जाती है, तो परिणाम हैरान करने वाले आते हैं.

मुगल और अंग्रेज- कौन था बड़ा लुटेरा?
भारत पर मुगलों ने कई सदियों तक राज किया. वे यहां आए, यहीं बस गए और उन्होंने जो धन कमाया, उसे यहीं के महलों, किलों, मस्जिदों और स्मारकों के निर्माण पर खर्च किया. उनका धन भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर ही घूमता रहा, जिससे स्थानीय कारीगरों, व्यापारियों और किसानों को भी फायदा हुआ. बेशक, मुगलों ने भी कर लगाए और कुछ हद तक धन का इस्तेमाल अपने साम्राज्य के विस्तार पर किया, लेकिन धन का बड़ा हिस्सा भारत से बाहर नहीं गया.

इसके ठीक उलट थे अंग्रेज. उनका मकसद भारत में बसना नहीं, बल्कि यहां के संसाधनों का इस्तेमाल अपने देश ब्रिटेन को समृद्ध बनाने के लिए करना था.

1757 से 1947 तक अंग्रेजी राज
अंग्रेजों ने भारत पर करीब 190 सालों तक राज किया. इस राज की शुरुआत मोटे तौर पर 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद हुई, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना सीधा नियंत्रण बढ़ाना शुरू किया. यह राज 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के साथ खत्म हुआ. इस पूरे दौर में अंग्रेजों ने भारत की अर्थव्यवस्था को इस तरह से ढाल दिया कि वह सिर्फ ब्रिटेन के फायदे के लिए काम करे.

अंग्रेजों ने बेतहाशा लूट मचाई
अंग्रेज भारत से कई तरह से धन की लूट करते थे. भारत से कपास, नील, मसाले, अफीम जैसे कच्चे माल कौड़ियों के दाम पर ब्रिटेन भेजे गए. ब्रिटेन में बने सस्ते मशीनी कपड़े और अन्य सामान भारतीय बाजारों में महंगे दामों पर बेचे गए, जिससे भारत के सदियों पुराने कुटीर उद्योग तबाह हो गए.
अंग्रेजों ने किसानों पर भारी लगान लगाया. यह कर इतना ज्यादा था कि कई बार अकाल पड़ने पर भी इसे माफ नहीं किया जाता था, जिससे लोग भुखमरी के शिकार हुए. भारत में ब्रिटिश प्रशासन और सेना का सारा खर्च भी भारतीयों से वसूले गए करों से ही चलता था.

आंकड़े देते हैं गवाही
उत्तरी आयरलैंड की उल्स्टर यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने वाली अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक के शोध के मुताबिक, अंग्रेजों ने 1765 से 1938 के बीच भारत से लगभग 45 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 3750 लाख करोड़ रुपये के बराबर धन को लूटा. यह आंकड़ा इतना विशाल है कि इसे समझना भी मुश्किल है. वहीं, दादाभाई नौरोजी जैसे शुरुआती भारतीय विचारकों ने भी 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया' जैसी अपनी किताबों में इस आर्थिक लूट का जिक्र किया है.

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