Nuclear bombs Buying and selling: आज के दौर में परमाणु हमले का खतरा लगातार बना हुआ है. भारत पाक में जंग जैसी स्थिति हुई तो दुनिया अलर्ट मोड पर आ गई, क्योंकि दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश थे. इस समय ईरान और इजरायल की जंग ने भी लोगों को ध्यान खींचा हुआ है. इसमें अब अमेरिका की भी एंट्री हो चुकी है. ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, जिसपर अमेरिका और इजरायल ने उसपर हमला कर दिया. जहां बात करें दुनिया में चल रहे अलग-अलग मोर्चों पर युद्धों की तो इस दौरान एक देश अपना हथियारों को मजबूत करने की दिशा में लग जाता है, जहां वह अन्य अपने साथी देशों से भी हथियार खरीद लेता है, लेकिन यहां सवाल ये कि क्या कोई देश परमाणु हथियार भी सप्लाई कर सकता है? क्या दुनिया में बना इसपर कोई नियम है?
क्या हर कोई बना सकता है परमाणु हथियार?
जी नहीं, पहले तो ये साफ है कि हर कोई परमाणु हथियार नहीं बना सकता. दुनिया में नौ परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) और इजराइल शामिल हैं. इनके अलावा कोई और देश परमाणु हथियार नहीं बना सकता और दुनिया में परमाणु हथियारों का प्रसार नो इसके लिए एक संधि हुई, जिसे न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी (NPT) नाम दिया गया. यह 1970 में हुई.
दरअसल, इस संधि पर 190 देशों ने साइन किए. तय ये हुआ कि अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन को छोड़कर अन्य कोई देश परमाणु हथियार नहीं बनाएगा. लेकिन आप सोचेंगे कि ऐसा क्यों और भारत पाकिस्तान ने फिर कैसे बना लिए? तो इसका जवाब है कि ऊपर 5 देशों को इसलिए छोड़ दिया गया, क्योंकि जब संधि हुई तब तक इन्होंने ये हथियार बना लिए थे, लेकिन आगे बाकी दुनिया में इसको बढ़ावा ना मिले, इस कारण संधि की गई.
बात भारत, पाक, इजरायल और उत्तर कोरिया की करें तो ये देश या तो संधि का हिस्सा नहीं बने या फिर चुपचाप बिना किसी खुलासे के परमाणु परीक्षण करके इससे बाहर हो गए. हालांकि, ईरान ऐसा नहीं कर पाया और उसकी परमाणु हथियार बनाने की इच्छा जाहिर हो गई, जिसपर अब हमला कर दिया गया और उसे हथियार बनाने से रोक दिया गया.
क्या परमाणु हथियार की सप्लाई हो सकती है?
दुनिया में हर हथियार को बेचते खरीदते देखा होगा.लेकिन परमाणु बम वो हथियार है जो दुनिया में तबाही ला सकता है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र इनके इस्तेमाल, बेचने खरीदने पर कड़ी नजर रखता है. इसके अलावा दुनिया के परमाणु शक्ति संपन्न देश भी यह ध्यान रखते हैं कि कोई देश परमाणु हथियार या उसकी टेक्नोलॉजी को किसी दूसरे देश को न दें.
साथ ही जो संधि है उसका मकसद भी यह है कि परमाणु हथियारों के खतरे को कम करना है व अन्य देशों को इस हथियार को बनाने से रोकना है. अब ऐसे में अगर कोई संधि से बाहर जाकर परमाणु हथियार बनाता है या कोई देश इन्हें बेचता है तो उसे कड़े प्रतिबंधों के साथ ही अन्य देशों द्वारा सैन्य कार्रवाई का खतरा भी रहता है.
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