trendingNow1zeeHindustan762369
Hindi news >> Zee Hindustan>> राष्ट्र
Advertisement

रामविलास पासवान का देहांत, राजनीति के एक युग का अवसान

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया है . 74 साल के पासवान ने दिल्ली के एक अस्पताल में आखिरी सांसें लीं. पिछले दिनों उनके दिल की सर्जरी हुई थी. उनकी राजनीतिक यात्रा बेहद लंबी रही.    

रामविलास पासवान का देहांत, राजनीति के एक युग का अवसान
  • केन्द्रीय मंत्री के निधन से शोक में राजनीति 
  • जानिए रामविलास पासवान की पूरी जीवन यात्रा 

नई दिल्ली: लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान ने 1969 में राजनीति में कदम रखा था. 5 दशक से भी ज्यादा के राजनीतिक जीवन में वे डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय तक मंत्री रहे.

fallback

चुनावी गहमागहमी के बीच छोड़ दी दुनिया
पाटलिपुत्र की धरती जब चुनावी महासंग्राम के शोर में डूबी थी. तभी राजनीति का एक बेहद चमकदार सितारा टूट गया और अचानक सन्नाटा छा गया. हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई.

सियासत का एक ऐसा योद्धा जनता से हमेशा के लिए दूर चला गया, जिसकी सभाओं में जनसैलाब उमड़ता था. जो चुनावी मैदान में महाविजय के रिकॉर्ड बनाता था. वंचित समाज को आवाज़ देने वाला एक ऐसा सूरमा, जिसकी एक पुकार पर लाखों लोग साथ चल पड़ते थे. वो अनंत सफर पर बढ़ चला.

कई सरकारों में सूत्रधार रहे दिवंगत पासवान
संपूर्ण क्रान्ति की आंच में तपे रामविलास पासवान राष्ट्रीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ थे. जिन्होंने फर्श से अर्श तक पहुंचकर राजनीति के नए समीकरण रचे. करीब 51 साल के राजनीतिक जीवन में वे कई सरकारों के सूत्रधार रहे. 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सांसद रहे.

प्रारंभिक जीवन
5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले में रामविलास पासवान का जन्म हुआ था. उन्होंने खगड़िया के शहरबन्नी गांव में शुरूआती पढ़ाई की.
फिर खगड़िया के ही कोसी कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की. कानून में ग्रेजुएशन के बाद रामविलास पासवान पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए और आर्ट्स में एमए किया.
1969 में बिहार पुलिस के डीएसपी चुने गए थे. लेकिन किस्मत ने रामविलास के लिए कुछ और तय कर रखा था. मन में सरकारी नौकरी को लेकर लगाव नहीं था. सार्वजनिक जीवन उन्हें अपनी ओर खींच रहा था.

राजनीति की राह
रामविलास पासवान ने सिर्फ 23 साल की उम्र में तय कर किया कि मेरे जीवन की राह राजनीति का राजपथ होगा. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ कर रामविलास पासवान ने राजनीति के रण में कदम रखा. जिसके बाद 1969 में पहले विधानसभा चुनाव में ही बड़ी जीत हासिल कर सबको चौंका दिया. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बनने के बाद उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा.

fallback

समाजवादी धारा को अपनी जीवन धारा बनाने वाले रामविलास 1974 में लोकदल के महासचिव बने. रामविलास पासवान राज नारायण, कर्पूरी ठाकुर के बेहद करीबी नेताओं में एक थे.

इमर्जेन्सी का विरोध
1975 में इंदिरा सरकार ने जब इमरजेंसी लागू की तो रामविलास ने इसका जमकर विरोध किया और जेल गए. इमरजेंसी लागू करने से हटाए जाने तक रामविलास 1977 तक जेल में रहे. 1977 में रिहाई के बाद जनता पार्टी के सदस्य बने.

fallback
लालू और नीतीश के साथ रामविलास जयप्रकाश आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल हुआ करते थे. इसी दौरान राष्ट्रीय राजनीति में पासवान की चमक बिखरी.
इमरजेंसी हटाए जाने के बाद जब 1977 में आम चुनाव हुए, तो पहली बार रामविलास पासवान ने लोकसभा में कदम रखा. हाजीपुर सीट से 4 लाख से भी ज्यादा वोटों से रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल कर सांसद बने.
1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004, और 2014 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए. 1989 में हाजीपुर से रामविलास पासवान 5 लाख से भी ज्यादा वोटों से जीते. ये भी एक रिकॉर्ड था.
रामविलास पासवान ने 1983 में दलित सेना की स्थापना की. जो दलित हितों से जुड़े मुद्दे को मजबूती से उठाती है.

लालू-नीतीश और रामविलास
बिहार की राजनीति से कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए लालू और नीतीश के साथ रामविलास पासवान ने लंबा संघर्ष किया और कामयाब रहे. तीनों नेता जनता दल में एक साथ रहे . एक दूसरे के मजबूत साथी रहे. बाद में राहें जुदा होती रहीं और फिर साथ भी आते रहे.

fallback
2000 में रामविलास पासवान ने जनता दल से अलग होकर लोकजनशक्ति पार्टी की स्थापना की. रामविलास पासवान को सियासी हवा का रुख पहचानने वाला नेता कहा गया. लालू यादव उन्हें मौसम वैज्ञानिक तक कहते थे. राष्ट्रीय राजनीति में रामविलास पासवान ने लंबी पारी खेली.

लगभग हर सरकार में रहे शामिल 
रामविलास पासवान डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय तक अलग-अलग सरकारों में मंत्री रहे-
- वह पहली बार 1989 में वी पी सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे
- 1996 में एच डी देवेगौड़ा सरकार में मंत्री रहे
- 1999 से 2002 तक वाजपेयी सरकार में मंत्री बने
- 2004 से 2009 तक मनमोहन सरकार में मंत्री रहे
- 2014 से मोदी सरकार में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे.

उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बढ़ गई थी
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्री रहते हुए सेहत खराब होने के बाद रामविलास पासवान ने बेटे चिराग को लोकजनशक्ति पार्टी से जुड़ी सारी जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं. दिल्ली के एक अस्पताल में रामविलास पासवान का इलाज चल रहा था. दिल से जुड़ी बीमारी लगातार गंभीर होती चली गई.
4 अक्टूबर को चिराग पासवान ने ट्वीट कर बताया था कि पापा कि सर्जरी हुई है. कुछ हफ्ते बाद दोबारा ऑपरेशन की जरूरत आ सकती है. लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. 74 साल की उम्र में रामविलास पासवान हमें छोड़ गए. 
ज़ी हिन्दुस्तान परिवार की तरफ से उनको श्रद्धांजलि

ये भी पढ़ें-- रामविलास के निधन पर सभी ने जताया शोक 

ये भी पढ़ें-- बेटे चिराग ने दुख भरा ट्विट करके निधन की दी जानकारी

देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा. नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-

Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN

IOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234

Read More