Chhatrapati Sambhaji Maharaj Battles: छत्रपति संभाजी महाराज एक बहादुर मराठा शासक थे, जिन्होंने सिद्दियों, मुगलों और पुर्तगालियों सहित कई दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्होंने अपने पिता छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा शुरू किए गए हिंदवी स्वराज के सपने को जारी रखा. अपने नौ साल के शासनकाल में, उन्होंने लगभग 120 लड़ाइयां लड़ीं और कभी एक भी नहीं हारी. आज हम छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों पर नजर डालेंगे.
छत्रपति संभाजी महाराज कौन थे?
छत्रपति संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक और शिवाजी के पुत्र थे. वे 1681 में राजा बने और उन्होंने अपना अधिकांश शासनकाल मुगलों, सिद्दियों, पुर्तगालियों और मैसूर शासकों से लड़ते हुए बिताया. एक बहादुर योद्धा होने के बावजूद, उनके शासन को आंतरिक संघर्षों और विश्वासघात का सामना करना पड़ा. 1689 में, मुगलों ने उन्हें पकड़ लिया और आत्मसमर्पण करने से इनकार करने पर उन्हें बेरहमी से मार डाला. वहीं, उनके छोटे भाई राजाराम ने मराठा प्रतिरोध जारी रखा.
छत्रपति संभाजी महाराज द्वारा लड़ी गई लड़ाइयां
छत्रपति संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं. उन्होंने मुगलों, जंजीरा के सिद्दियों, पुर्तगालियों और अन्य दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उनकी सैन्य प्रैक्टिस काफी खतरनाक होती थी और उन्होंने अपने नौ साल के शासनकाल में कभी कोई लड़ाई नहीं हारी.
जंजीरा के सिद्दियों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाइयां
संभाजी महाराज का पहला लक्ष्य जंजीरा के सिद्दियां थे, जो उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे. उन्होंने 20,000 मराठा सैनिकों और तोपों के साथ उन पर हमला किया, 30 दिनों तक उनके किले पर बमबारी की. उनके बीच लड़ी गई कुछ अन्य लड़ाइयां थीं:
-संभाजी बनाम जंजीरा (जैतापुर) के सिद्दी - 1687
-जंजीरा किले की घेराबंदी
-मराठा बनाम सिद्दीस (उंडेरी किला) - 1681
मुगलों के खिलाफ लड़ाई
संभाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं, जो मराठा साम्राज्य को नष्ट करना चाहते थे. उन लड़ाइयों में शामिल हैं:
-मुजफ्फर खान बनाम मराठा - 1681
-शाहबुद्दीन खान बनाम रूपाजी भोसले - 1682
-मराठा बनाम मुगल (औंधा) - जून 1682 और 1688
-मुगल बनाम मराठा (कंचनगढ़) - 1683
-मराठा बनाम मुगल (जालना) - 1683
-छत्रपति संभाजी बनाम राउद अंदाज खान (सिंहगढ़ क्षेत्र) - 1685
-छत्रपति संभाजी और अकबर बनाम मुगल (कोंकण) - 1683
सबसे महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक बुरहानपुर पर हमला था, जो एक प्रमुख मुगल व्यापारिक केंद्र था, जहां संभाजी महाराज की सेनाओं ने भारी तबाही मचाई थी.
पुर्तगालियों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाइयां
पुर्तगाली मराठों के खिलाफ मुगलों की मदद कर रहे थे. जवाब में, संभाजी महाराज ने पुर्तगाली क्षेत्रों पर हमला किया, कई किलों और गांवों पर कब्जा कर लिया. लड़ी गई लड़ाइयों में:
-मराठा बनाम पुर्तगाली (तारापुर किला) – 1683
-मराठा बनाम पुर्तगाली (कामांडुर्ग) – 1685
-छत्रपति संभाजी बनाम पुर्तगाली (दमन) – 1683
-मराठा बनाम पुर्तगाली (रेवदंडा) – 1682
-फोंडा किले की रक्षा – 1683
मराठों ने गोवा के खिलाफ एक बड़ा अभियान भी चलाया, जिसमें साल्सेट और सैंटो एस्टेवाओ द्वीप पर कब्जा कर लिया. हालांकि, इस लड़ाई में मराठों को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
विश्वासघात और शहादत
नौ साल तक छत्रपति संभाजी ने मुगलों का सफलतापूर्वक विरोध किया. उनके शीर्ष सेनापतियों, हंबीरराव मोहिते और येसाजी कंक ने उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, 1687 में वाई की लड़ाई में हंबीरराव मोहिते की मृत्यु के बाद सब बदल गया.
इसके तुरंत बाद, षड्यंत्रों और विश्वासघात के कारण, संभाजी महाराज को 1 फरवरी 1689 को संगमेश्वर में मुगलों ने पकड़ लिया.
औरंगजेब ने उनसे क्या मांग की?
-मुगलों को सभी किले सौंप दें
-औरंगजेब को अपना शासक स्वीकार करें
-इस्लाम धर्म अपना लें
संभाजी महाराज ने सभी मांगों को अस्वीकार कर दिया और शहादत को चुना. मुगलों ने उन्हें क्रूरता से प्रताड़ित किया. उनकी आंखें और जीभ काट दी और उन्हें एक सप्ताह तक बिना भोजन और पानी के रखा. उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने निर्णय पर अडिग रहे.
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