DRDO India Missile: भारत ने रक्षा के क्षेत्र में एक ऐसी छलांग लगाई है, जिससे दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें भी हैरान हैं. दरअसल, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी DRDO एक ऐसा खास प्रोग्राम चला रही है, जिसकी वजह से भारत जल्द ही हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी में दुनिया के सबसे ताकवर देशों अमेरिका, रूस और चीन की लिस्ट में शुमार हो जाएगा. ये वो मिसाइलें हैं जो जिनकी रफ्तार इतनी तेज है कि दुश्मन द्वारा इन्हें पकड़ पाना नामुमकिन होगा.
DRDO का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट विष्णु
भारत की DRDO ने ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत 12 अलग-अलग हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम बनाने का बीड़ा उठाया है. इस बड़े प्रोग्राम का मकसद भारत को एडवांस मिसाइल टेक्नोलॉजी में दुनिया का लीडर बनाना है. इसमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स (HGVs), हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें (HCMs) और दुश्मन की हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने वाले डिफेंस सिस्टम भी शामिल हैं. यह हमारी देश की डिफेंस क्षमता को बहुत मजबूत करेगा और किसी भी मुश्किल हालात में हमें दूसरों से आगे रखेगा.
बेजोड़ रफ्तार और दुश्मन के लिए चुनौती
हाइपरसोनिक हथियार वो होते हैं, जो Mach 5 यानी करीब 6,200 किमी/घंटा से भी ज्यादा तेज उड़ान भर सकती हैं. हालांकि, डीआरडीओ इससे भी ज्यादा तेज रफ्तार वाली मिसाइलें डेवलप कर रहा है.
बता दें, प्रोजेक्ट विष्णु के तहत बन रही ET-LDHCM जैसी मिसाइलें Mach 8 तक की स्पीड से उड़ेंगी. इनकी स्पीड, मैन्यूवर करने की ताकत और कम ऊंचाई पर उड़ने की खासियत इन्हें किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए रोकना लगभग नामुमकिन बना देती है.
टेक्नोलॉजी में बड़ी कामयाबी
DRDO ने इस हाइपरसोनिक प्रोग्राम के लिए सालों से रिसर्च की है और कई बड़ी सफलताएं हासिल की हैं. 2025 की शुरुआत में DRDO ने 1,000 सेकंड से ज्यादा देर तक स्क्रैमजेट इंजन को सफलतापूर्वक चलाने का कमाल कर दिखाया. यह उन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें के लिए बहुत बड़ी बात है, जिन्हें लंबी दूरी तक हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ना होता है.
इस टेक्नोलॉजी का टेस्ट 2020 में Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle पर Mach 6 की स्पीड से 22-23 सेकंड के लिए किया गया था. इसके साथ ही, मिसाइलों को बहुत ते रफ्तार से उड़ते समय पैदा होने वाली भयंकर गर्मी से बचाने के लिए खास थर्मल मैनेजमेंट तकनीक भी डेवलप की गई है.
क्या है भविष्य की तैयारी?
DRDO का प्लान है कि 2027-2028 तक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स को अपनी सेना में शामिल कर लिया जाए और 2030 तक ET-LDHCM जैसी हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें भी आ जाएंगी.
वही, रूस के साथ मिलकर डीआरडीओ ब्रह्मोस-II मिसाइल बना रहे हैं, जो Mach 7-8 की स्पीड से उड़ेगी. HTNP इंडस्ट्रीज जैसी प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर HGV-202F भी डेवलप किया जा रहा है, जो Mach 15 की अविश्वसनीय स्पीड और 5,500 किमी की रेंज वाली होगी.
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