Indian fighter jet kaveri engine: भारत के महत्वाकांक्षी कावेरी एयरो-इंजन प्रोग्राम को रक्षा मंत्रालय से एक बड़ी बूस्ट मिली है. मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त फंडिंग जारी की है, जिससे देश के अपने फाइटर जेट इंजन को बनाने की कोशिशों को नई रफ्तार मिलेगी. दरअसल, DRDO के तहत आने वाली गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट यानी GTRE का लक्ष्य है कि 2028 तक कावेरी इंजन को तेजस के टेस्टबेड में इंटीग्रेट कर दिया जाए. जिससे तेजस फाइटर जेट पूरी तरीके से देसी इंजन से घातक वार करने में सक्षम होगा.
क्या है कावेरी इंजन प्रोग्राम?
कावेरी इंजन प्रोग्राम भारत का अपना फाइटर जेट इंजन बनाने का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इसे DRDO के GTRE ने डिजाइन और विकसित किया है. इसका मकसद भारत के स्वदेशी फाइटर जेट्स जैसे तेजस और भविष्य के AMCA के लिए एक स्वदेशी पावरप्लांट तैयार करना है.
अतिरिक्त फंडिंग क्यों है जरूरी?
कावेरी इंजन प्रोजेक्ट ने अपने शुरुआती चरणों में कई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया था. इस अतिरिक्त फंडिंग से GTRE को इंजन के परफॉरमेंस, विश्वसनीयता और लाइफ साइकल को बेहतर बनाने के लिए जरूरी रिसर्च और डेवलपमेंट करने में मदद मिलेगी.
बता दें, यह पैसा इंजन के विभिन्न सिस्टमों के गहन परीक्षण और सर्टिफिकेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि यह फाइटर जेट में इंटीग्रेशन के लिए तैयार हो सके. यह फंडिंग प्रोजेक्ट की रफ्तार को बनाए रखने और 2028 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहद जरूरी है.
2028 तक तेजस में होगा इंटीग्रेशन
GTRE का लक्ष्य है कि 2028 तक कावेरी इंजन को तेजस के LSP यानी लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन के टेस्टबेड में इंटीग्रेट कर दिया जाए. LSP टेस्टबेड का मतलब है कि यह इंजन का एक शुरुआती, सीमित प्रोडक्शन वर्जन होगा जिसे वास्तविक फाइटर जेट में लगाकर परीक्षण किया जाएगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक बहुत बड़ा तकनीकी कदम होगा, क्योंकि फाइटर जेट में इंजन का इंटीग्रेशन बेहद जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें परफॉर्मेंस, सुरक्षा और विश्वसनीयता के कड़े मानक पूरे करने होते हैं. इस सफल इंटीग्रेशन के बाद ही कावेरी इंजन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो पाएगा.
इतना ही नहीं, डिफेंस मिनिस्ट्री से मिले इस फंड से नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. जो न केवल आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेंगे, बल्कि देश में ही स्किल्ड इंजीनियर तैयार करेंगे. जिससे भविष्य में भारत खुद का फाइटर जेट इंजन बनाने में सक्षम हो.
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