First engineering college: आज के समय में अधिकतर स्टूडेंट्स करियर ऑप्शन के लिए इंजीनियरिंग चुनते हैं, हालांकि पहले के समय में इंजीनियरिंग करना इतना आसान नहीं होता था. देश में कुछ गिने-चुने इंजीनियरिंग कॉलेज थे, लेकिन अब आपके पास हजारों ऑप्शन हैं. इसी कड़ी में भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के बारे में जानना बेहद जरूरी और दिलचस्प हो जाता है. ऐसे में हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि भारत का पहले इंजीनियरिंग कॉलेज कौनसा है और कब इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना हुई और कैसे इसकी नींव रखी गई.
भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज
भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज थॉमसन कॉलेज था, इसकी स्थापना 1847 में हुई थी. थॉमसन कॉलेज की नींव ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रखी गई जिसे थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग का नाम दिया गया. इसे जाने-माने ब्रिटिश इंजीनियर, जेम्स थॉमसन के नाम पर रखा गया था. इस कॉलेज का उद्देश्य स्थानीय भारतीय युवाओं को सिविल इंजीनियरिंग में शिक्षा देना था जिससे वे बांध, पुल आदि का निर्माण कर सकें.
IIT Roorkee की कहानी
स्वतंत्रता से बाद इस कॉलेज की दशा भी बदल गई, इस कॉलेज को अपग्रेड करके 'यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की' का नाम दिया गया. यह स्वतंत्र भारत की पहली इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी बनी.
आजादी के बाद भारत की पहली इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी
साल 2001 में भारत सरकार ने इस कॉलेज को बदलने का फैसला लिया और भारतीय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का दर्जा दिया और यह IIT Roorkee (रुड़की) बना. यह IIT का सातवां IIT कॉलेज था लेकिन यह भारत का सबसे पुराना इंजीनियरिंग संस्थान था.
आज के समय में IIT Roorkee
आज के इस आधुनिक युग में IIT Roorkee, जल संसाधन, अर्थक्वेक इंजीनियरिंग, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस आदि में हजारों छात्रों को टेक्नोलॉजी और विज्ञान में ट्रेन्ड कर चुका है.
ग्लोबल और NIRF की रैंकिग में स्थान
IIT रुड़की को NIRF 2024 में आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग कैटेगरी में पहला स्थान मिला. साथ ही इंजीनियरिंग और इनोवेशन कैटेगरी में छठा और रिसर्च कैटेगरी में नौवां स्थान रहा. वहीं अगर ओवरऑल रैंकिंग की बात करें तो IIT रुड़की की रैंकिंग आठवें स्थान पर रही. ग्लोबल लेवल पर भी QS वर्ल्ड यूनीवर्सिटी रैंकिंग 2025 में इसे 335वीं पोजिशन मिली है.