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इंडियन एयरफोर्स की ये मिसाइल बनेगी 'ब्रह्मास्त्र', आवाज से 21 गुना तेज रफ्तार; 5,500 किमी दूर से कांप उठेगा दुश्मन

DRDO एक ऐसी हाइपरसोनिक स्पीड वाली मिसाइल बना रहा है, जो दुनिया के किसी भी ताकतवर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की क्षमता रखेगी. साथ ही, इसकी रेंज इतनी ज्यादा है कि कई हजार किलोमीटर तक दुश्मनों को सटीक हमले से तबाह कर सकती है.  

इंडियन एयरफोर्स की ये मिसाइल बनेगी 'ब्रह्मास्त्र', आवाज से 21 गुना तेज रफ्तार; 5,500 किमी दूर से कांप उठेगा दुश्मन
  • हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल बना रहा है DRDO
  • 5,500 किमी की रेंज में करेगा सटीक हमला

भारत अपनी सैन्य ताकत को ऐसे स्तर पर ले जाने की तैयारी में है, जहां दुनिया के बड़े-बड़े देश भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे. देश का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) एक बेहद खास और आधुनिक हथियार विकसित कर रहा है, जिसका नाम है हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV). यह कोई साधारण मिसाइल नहीं, बल्कि एक ऐसा 'ब्रह्मास्त्र' है जो ध्वनि की गति से 21 गुना तेज रफ्तार से उड़ते हुए दुश्मन के किसी भी डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकता है.

DRDO बना रहा 'गेम चेंजर' हथियार
रिपोर्ट के मुताबिक, केरल स्पेसपार्क के शिलान्यास समारोह में एक पूर्व ब्रह्मोस वैज्ञानिक ने DRDO के हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) प्रोजेक्ट के बारे में अहम जानकारी दी है. ये HGV, हैदराबाद में DRDO की एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी में विकसित किया जा रहा है.

यह एक ऐसा अत्याधुनिक हथियार है, जो हाइपरसोनिक स्पीड से भी ज्यादा तेज गति से उड़ने के लिए डिजाइन किया गया है. जिसकी रफ्तार Mach 21 यानी करीब 25,900 किलोमीटर प्रति घंटा रहने वाली है.

क्या है इसकी बेजोड़ ताकत?
HGV की सबसे बड़ी ताकत इसकी रेंज और स्पीड का घातक मेल है. इसकी मारक क्षमता 5,500 किलोमीटर से अधिक होगी. साथ ही, HGV पारंपरिक या परमाणु दोनों तरह के वॉरहेड यानी विस्फोटक ले जाने में सक्षम होगा, और यह बेजोड़ सटीकता और गति के साथ लक्ष्य पर हमला कर सकेगा.

यह हाइपरसोनिक गति पर उत्पन्न अत्यधिक गर्मी को झेलने के लिए हल्के कंपोजिट मैटेरियल और एडवांस थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम से लैस है. DRDO इस प्रोजेक्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस जैसे संस्थानों और निजी उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है.

डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर करेगी वार
पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के विपरीत, जो एक तय रास्ते पर चलती हैं, HGV एक बूस्टर रॉकेट से लॉन्च होने के बाद कम ऊंचाई पर वायुमंडल में ग्लाइड करता है. जिसके चलते इसे पकड़ना और रोकना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

इसी क्षमता के चलते, यह दुश्मन के एडवांस मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जैसे चीन के HQ-19 या अमेरिका के THAAD को भी चकमा दे सकती है. वहीं, इसकी लंबी रेंज प्रमुख ठिकानों को कवर करती है, जबकि इसकी हाइपरसोनिक स्पीड को दुश्मन को जवाब देने के लिए न के बराबर समय देती है.

HGV कहां से होगी लॉन्च?
HGV को कई प्लेटफॉर्म से लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया जा सकता है, जिनमें जमीन-आधारित मोबाइल लॉन्चर, हवा से लॉन्च किए गए सिस्टम, और भविष्य में भारतीय नौसेना की प्रोजेक्ट 75I पनडुब्बियां या S5-क्लास SSBNs से भी लॉन्च किया जा सकता है.

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