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भारत के 'अंडरवॉटर जासूस' से चीन-पाकिस्तान में दहशत, पल भर में पकड़ लेगा दुश्मन की पनडुब्बियां; जानें खासियत

DRDO Seabed Sensor Suite: भारत न केवल आसमानी व जमीनी क्षेत्रों को एडवांस निगरानी सिस्टम से लैस कर रहा, बल्कि समंदर के अंदर भी अपनी निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए जोरों शोरों से जुट चुका है. जिसके लिए सीबेड सेंसर सूट गेमचेंजर माफिक काम करेगा.

भारत के 'अंडरवॉटर जासूस' से चीन-पाकिस्तान में दहशत, पल भर में पकड़ लेगा दुश्मन की पनडुब्बियां; जानें खासियत
  • समंदर के 50 मीटर अंदर होगा तैनात
  • एडवांस सेंसर से लैस होगा सेंसर सूट 

India Seabed Sensor Suite for underwater surveillance: भारत अपनी समंदर के अंदर की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने की तैयारी में है. जिसको लेकर DRDO के तहत आने वाली नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी 'सीबेड सेंसर सूट' प्रोजेक्ट के लिए भारतीय कंपनियों से दिलचस्पी दिखाई है. यह समंदर के अंदर अंडरवॉटर जासूस की तरह काम करेगा. जो दुश्मन की पनडुब्बियों को पलक झपकते ही पकड़ लेगा. ऐसे में, आइए सीबेड सेंसर सूट की खासियतों के बारे में आसान भाषा में समझते हैं.

क्या है 'सीबेड सेंसर सूट' प्रोजेक्ट?
NSTL यानी नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जारी किया है, जिसमें भारतीय कंपनियों को सीबेड सेंसर सूट की आपूर्ति, स्थापना और परीक्षण के लिए औद्योगिक भागीदार के रूप में सहयोग करने के लिए इनवाइट किया है. इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य भारत की पानी के अंदर निगरानी क्षमताओं को मजबूत करना है.

समंदर के अंदर बढ़ेगी निगरानी क्षमता
यह प्रोजेक्ट एक समुद्री सेंसर सिस्टम के विकास, आपूर्ति, स्थापना और परीक्षण से संबंधित है. इसे 10x10 किमी क्षेत्र में 50 मीटर की गहराई तक पानी के नीचे के वाहनों और पनडुब्बियों को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसे विशाखापट्टनम में एक किनारे-आधारित फैसिलिटी से नियंत्रित किया जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री सेंसर सूट में पानी के नीचे के सेंसर, जंक्शन बॉक्स, फाइबर ऑप्टिक केबल और वास्तविक समय ट्रैकिंग, डेटा स्टोरेज और विश्लेषण के लिए एक एकीकृत कंट्रोल रूम सिस्टम के रूप में काम करेगा. जो सबसिस्टम में पिंगर, हाइड्रोफोन और विशेष सॉफ्टवेयर से लैस होगा.

साथ ही, किनारे पर बनी फैसिलिटी में 15mx70m का इंटीग्रेशन बे भी होगा, जिसमें ओवरहेड क्रेन, डेटा अधिग्रहण यूनिट, ध्वनिक विश्लेषण सिस्टम और ऑटोमैटिक रिपोर्ट जनरेशन सॉफ्टवेयर लाइसेंस शामिल होंगे, जिसमें तीन साल के लिए मुफ्त अपग्रेड और रसीद के बाद 36 महीने की वारंटी मिलेगी.

पनडुब्बियों को पकड़ने की खासियतें
इस प्रोजेक्ट का मुख्य लक्ष्य भारतीय तटरेखा के साथ पानी के नीचे की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है. आधुनिक युद्ध में पनडुब्बियों और पानी के नीचे के हथियारों से बढ़ते खतरों के बीच यह भारत की निगरानी ताकत में इजाफा करेगा.

कैसे काम करेगा ये सिस्टम?
यह सिस्टम पानी के नीचे के वाहनों, जैसे पनडुब्बियों और ड्रोनों का तेजी से पता लगाएगा और उन्हें ट्रैक करेगा. साथ ही, रियल-टाइम ट्रैकिंग और डेटा विश्लेषण के जरिए, यह सिस्टम दुश्मनों की पनडुब्बियों की हर हरकत की सटीक जानकारी देगा.

वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, डिलीवरी का शेड्यूल कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने की तारीख से 30 महीने निर्धारित किया गया है.

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