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इंडियन एयरफोर्स के 5वीं पीढ़ी फाइटर जेट में धड़केगा 'देसी दिल', DRDO बना रहा 6वीं पीढ़ी का इंजन; बदलेगा डिफेंस का गेम

इस नई रणनीति के तहत, भारत अपने महत्वाकांक्षी AMCA यानी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम के लिए अंतरराष्ट्रीय पार्टनर के साथ मिलकर यह बेहद एडवांस इंजन विकसित करेगा.

इंडियन एयरफोर्स के 5वीं पीढ़ी फाइटर जेट में धड़केगा 'देसी दिल', DRDO बना रहा 6वीं पीढ़ी का इंजन; बदलेगा डिफेंस का गेम
  • AMCA फाइटर जेट को मिलेगी नई ताकत
  • DRDO 6वीं पीढ़ी के इंजन पर है फोकस

DRDO 6th generation fighter engine: भारत अब रक्षा टेक्नोलॉजी में एक और बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तहत आने वाली गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) ने छठी पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन बनाने की एक खास रणनीति बनाई है. यह कदम इंडियन एयरफोर्स की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा. ऐसे में, आइए जानते हैं क्या है ये स्ट्रैटेजी और कैसे ये भारत के आसमान को और सुरक्षित बनाएगी.

5वीं पीढ़ी की क्षमता, अब 6वीं पर फोकस
GTRE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि भारत ने अब 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट इंजन को पूरी तरह से खुद से विकसित करने की क्षमता हासिल कर ली है. यह उपलब्धि भारत की स्वदेशी जेट इंजन विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. अगर जरूरत पड़े, तो भारत 10 साल में ऐसा इंजन दे सकता है.

हालांकि, फिलहाल इंडियन एयरफोर्स की ओर से 5वीं पीढ़ी के इंजन की कोई औपचारिक मांग नहीं है, क्योंकि तेजस Mark 1A और MkII जैसे विमानों के लिए पहले से ही GE F404 और GE F414 जैसे इंजन तय हैं. इसलिए, GTRE ने अपना पूरा ध्यान अब सीधे 6वीं पीढ़ी के इंजन के डेवलपमेंट पर लगा दिया है, जो AMCA प्रोग्राम के लिए होगा.

क्या होगी 6वीं पीढ़ी के इंजन की खासियतें?
यह सह-विकास मॉडल GTRE को कुछ खास तकनीकों तक पहुंच सुनिश्चित करेगा, जो भविष्य की हवाई लड़ाई के लिए बहुत जरूरी हैं.

बदलने वाला परफॉर्मेंस- ये इंजन उड़ान की अलग-अलग स्थितियों के हिसाब से अपने परफॉर्मेंस को बदल सकेंगे, जिससे ईंधन की बचत और बेहतर क्षमता मिलेगी.

बेहतर ताकत और वजन अनुपात- इसका मतलब है कि इंजन अपने वजन के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकत पैदा करेगा.

स्टील्थ टेक्नोलॉजी- इन इंजनों से निकलने वाली गर्मी या इन्फ्रारेड सिग्नेचर को कम किया जाएगा, जिससे दुश्मन के सेंसर के लिए इनका पता लगाना मुश्किल हो जाएगा.

कूलिंग टेक्नोलॉजी- GTRE नए-जेनरेशन के उच्च-तापमान वाले मैटेरियल्स और एडवांस कूलिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर भी काम कर रहा है, जो 6वीं पीढ़ी के इंजन के लिए बहुत जरूरी हैं.

आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम
यह क्षमता भारत को महत्वपूर्ण रणनीतिक ताकत देगी. जिसका मतलब है कि भविष्य में सरकार और सशस्त्र बल आयात पर अपनी निर्भरता कम कर पाएंगे और अपनी जरूरतों के हिसाब से इंजन समाधान तैयार कर पाएंगे. ऐसे में, यह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को और मजबूत करेगा.

वहीं, GTRE को विश्वास है कि अगर भविष्य में तेजस Mk1A या MkII जैसे विमानों में विदेशी इंजनों को बदलने की जरूरत पड़ी, तो वे पहले से मौजूद तकनीकी जानकारी के आधार पर तेजी से स्वदेशी विकास शुरू कर सकते हैं.

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