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Astra Mk1 को मिलेगा नया अवतार, बस DRDO बना ले ये 'हीट-सीकर' मिसाइल; IAF की ताकत में होगा बड़ा इजाफा

Astra Mk1 IIR seeker missile: इंडियन एयरफोर्स के पास बेहद घातक अस्त्र मिसाइल है. जिसे बदलते हवाई युद्ध के तौर-तरीकों को ध्यान में रखते हुए अपग्रेड किया जाए, तो इंडियन एयरफोर्स की ताकत में कई गुना इजाफा हो सकता है. 

Astra Mk1 को मिलेगा नया अवतार, बस DRDO बना ले ये 'हीट-सीकर' मिसाइल; IAF की ताकत में होगा बड़ा इजाफा
  • अस्त्र मिसाइल की मारक रेंज 110 किमी
  • IIR सीकर से बढ़ेगी IAF की मारक क्षमता

Astra Mk1 Missile: भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को और बढ़ाने के लिए DRDO को Astra Mk1 मिसाइल का एक खास IIR यानी इमेजिंग इंफ्रारेड वेरिएंट बनाने की प्लानिंग है. यह नई मिसाइल मीडियम-रेंज के विद इन विजुअल रेंज और बियॉन्ड विजुअल रेंज रोल में इंडियन एयरफोर्स की ताकत बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है.

इंडियन एयरफोर्स की रीढ़ बन चुकी है Astra Mk1
Astra Mk1. भारत की स्वदेशी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAM) है. भारतीय वायुसेना की हवाई युद्धक क्षमताओं की एक रीढ़ बन चुकी है. यह 80-110 किमी की रेंज देती है और Su-30 MKI और Tejas Mk1A जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करती है. 

हालांकि, IAF की मिसाइल जखीरे में एक ऐसी स्वदेशी, आधुनिक मीडियम-रेंज मिसाइल की कमी है, जो WVR और शॉर्ट-टू-मीडियम-रेंज BVR रोल में मल्टीपर्पज हो. इसी कमी को पूरा करने के लिए, DRDO को Astra Mk1 का एक IIR वेरिएंट डेवलप करने के लिए कई सुझाव आए हैं, जो युद्ध के मैदान में इंडियन एयरफोर्स को ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी और मारक क्षमता देगा.

IAF को क्यों चाहिए IIR सीकर वाली मिसाइल?
आज के आधुनिक हवाई युद्ध में स्टील्थ एयरक्राफ्ट और एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेज एक बड़ी चुनौती हैं. Astra Mk1 जैसी राडार-गाइडेड मिसाइलों की परफॉरमेंस को ECM घटा सकता है. ऐसे में, IIR सीकर यानी जो टारगेट की गर्मी पर काम करता है रडार जैमिंग से इम्यून होता है और कम राडार क्रॉस-सेक्शन वाले स्टील्थ टारगेट के खिलाफ भी असरदार होता है.

एक IIR Astra Mk1 खास तौर पर LAC या LoC जैसे इलाकों में स्टील्थ लड़ाकू विमानों से निपटने के लिए बेहद जरूरी है.

मौजूदा Astra का ही होगा अपग्रेड
Astra Mk1 का IIR वेरिएंट बनाना तकनीकी रूप से पूरी तरह मुमकिन है. DRDO मौजूदा Astra के हल्के एयरफ्रेम और हाई-स्पीड प्रोपल्शन का फायदा उठा सकता है. इससे नई मिसाइल डिजाइन करने की तुलना में डेवलपमेंट टाइम और लागत दोनों कम हो जाएगी.

वहीं, DRDO के पास नाग एंटी-टैंक मिसाइल और हेलिना एयर-लॉन्च्ड मिसाइल जैसे प्रोग्राम्स के जरिए IIR सीकर्स का अनुभव पहले से है. इसके लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड या इंटरनेशनल पार्टनर्स के साथ मिलकर काम किया जा सकता है. अच्छी बात यह है कि Astra Mk1 पहले से ही Su-30 MKI और Tejas Mk1A के साथ इंटीग्रेटेड है, और Rafale, Mirage-2000, MiG-29UPG जैसे प्लेटफॉर्म पर भी इसके इंटीग्रेशन की प्लानिंग है.

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