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DRDO तैयार कर रहा हाइपरसोनिक मिसाइलों का काल, पाकिस्तान-चीन का सौदा होने से पहले ही मचा भौकाल!

DRDO Developing Radar against Hypersonic Missile: भारत में DRDO ने एक ऐसा रडार बनाने की प्रोसेस शुरू कर दी है, जो तेज गति और दिशा बदलने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक कर सकता है. यह रडार फिलहाल निर्माणाधीन है, काम पूरा होने के बाद इसका ट्रायल शुरू होगा.

DRDO तैयार कर रहा हाइपरसोनिक मिसाइलों का काल, पाकिस्तान-चीन का सौदा होने से पहले ही मचा भौकाल!
  • DRDO बना रहा मिसाइल ट्रैक करने वाला रडार
  • हाइपरसोनिक मिसाइलों को कर सकेगा ट्रैक

DRDO Developing Radar against Hypersonic Missile: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और चीन के खिलाफ अपने हथियारों को धार देना शुरू कर दिया है. भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO ऐसे-ऐसे हथियार बना रहा है, जो इंडियन मिलिट्री को दुश्मन से चार कदम आगे रखेंगे. अब दुश्मन की हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने के लिए एक नया रडार बनाया जा रहा है. ये रडार ऐसे टाइम में बनाया जा रहा है, जब पाकिस्तान चीन से DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल खरीदना चाहता है.

DRDO की यूनिट बना रही रडार
DRDO की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट की LRDE यूनिट एक नया और आधुनिक रडार बना रही है. यह रडार हाइपरसोनिक मिसाइलों का पता लगाने और उनकी निगरानी करने के लिए डिजाइन किया गया है. भारत के डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में ये रडार अहम भूमिका निभा सकता है.

तेजी स्पीड वाली मिसाइलों को कर लेगा ट्रैक
दरअसल, हाइपरसोनिक मिसाइलों की स्पीड बहुत तेज होती है. ये मैक 5 से भी अधिक गति से उड़ती हैं. ये मिसाइलें ना सिर्फ तेज उड़ती हैं, बल्कि दिशा बदलने में भी सक्षम होती हैं. यही कारण है कि पारंपरिक रडार इन्हें आसानी से कैच नहीं कर पाते हैं. ऐसे में भारत को एक आधुनिक रडार की जरूरत पड़ी जो इन मिसाइलों को ट्रैक कर अलर्ट दे सकता है. LRDE  द्वारा बनाया गया रडार तेज गति से लेकर डायरेक्शन बदलने वाली मिसाइलों तक को ट्रैक कर सकता है.

फिलहाल बन रहा, इसके बाद होंगे ट्रायल
LRDE  पहले भी अपनी ताकत को सिद्ध कर चुका है. DRDO की ये यूनिट पहले स्वॉर्डफिश लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार जैसे सिस्टम बना चुकी है. हाइपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने वाले रडार का प्रोजेक्ट भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का को बढ़ावा देगा. यह रडार पूरी तरह से भारत में बनाया जा रहा है. फिलहाल रडार डवलपमेंट स्टेज में है, सफल रूप से बनने के बाद इसके ट्रायल शुरू होंगे. जब परीक्षण भी सफल हो जाएगा, इसके बाद ही इसे भारतीय सेना इस्तेमाल कर पाएगी.

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