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संविधान पर सीधे हमले का सबसे काला अध्याय था आपातकाल: संसद में राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18वीं लोकसभा में पहली बार दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया. उन्होंने अपने अभिभाषण में आपातकाल पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने बजट समेत अन्य मुद्दों पर भी अपनी बात रखी.

संविधान पर सीधे हमले का सबसे काला अध्याय था आपातकाल: संसद में राष्ट्रपति
  • बजट में कई ऐतिहासिक कदम उठाए जाएंगे 
  • भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र में अपने अभिभाषण के दौरान आपातकाल को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा, आपातकाल संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था. आपातकाल के दौरान पूरा देश अंधेरे में डूब गया था, लेकिन देश ऐसी असंवैधानिक शक्तियों को पराजित करने में सफल रहा. उन्होंने कहा कि नीतियों का विरोध करना और संसद की कार्यवाही बाधित करना अलग-अलग बात है. सभी सदस्यों के लिए जनता का हित सर्वोपरि होना चाहिए.

बजट में कई ऐतिहासिक कदम उठाए जाएंगे 

उन्होंने कहा कि आगामी आम बजट में कई ऐतिहासिक कदम उठाये जाएंगे. साथ ही प्रमुख आर्थिक निर्णय लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बजट भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'बजट में प्रमुख आर्थिक और सामाजिक निर्णय लिए जाएंगे और कई ऐतिहासिक कदम उठाए जाएंगे. लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुधारों की गति बढ़ाई जाएगी.'

भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

राष्ट्रपति के अनुसार, सरकार का मानना है कि निवेश के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद की भावना होनी चाहिए. भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, पिछले दस साल में आठ प्रतिशत की दर से औसत विकास हुआ है जबकि यह कोई सामान्य काल नहीं था. 

वैश्विक विकास में भारत का 15 फीसदी योगदान

उन्होंने कहा, 'यह विकास दर विश्व के विभिन्न हिस्सों में वैश्विक महामारी और संघर्ष के बीच हासिल की गई है. यह पिछले दस वर्ष में सुधारों का परिणाम है. अकेले भारत ने वैश्विक विकास में 15 प्रतिशत का योगदान दिया है. मेरी सरकार भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रही है.'

परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता जरूरी है

मुर्मू ने कहा कि हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के हर प्रयास की सभी को निंदा करनी चाहिए. विभाजनकारी ताकतें लोकतंत्र को कमजोर करने, देश के भीतर और बाहर से समाज में खाई पैदा करने की साजिश रच रही हैं. उन्होंने परीक्षाओं में धांधलियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकारी भर्तियों और परीक्षाओं में शुचिता और पारदर्शिता जरूरी है. परीक्षा में पेपर लीक और अनियमितताओं के मामलों की उच्च-स्तरीय जांच की जा रही है. दलगत राजनीति से ऊपर उठने की जरूरत है.

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